Sonbhadra News: खनन विभाग का कारनामा, मिट्टी की बहुलता वाली जगह पर बतायी 2,18,628 घनमीटर बालू, निविदा पर उठ रहे सवाल

Sonbhadra News: खनन विभाग की तरफ से जिस एरिया के लिए निविदा मंगाई गई है, वहां बालू कम, मिट्टी ज्यादा दिखाई देने का दावा किया जा रहा है।

Update:2022-12-10 18:25 IST

सोनभद्र: खनन को लेकर टेंडर में खनन विभाग ने मिट्टी वाली जगह पर दिखाया बालू

Sonbhadra News: फसल बोई जमीन पर रेत-खेत खनन का पट्टा दिए जाने को लेकर चर्चित रह चुका खनन विभाग (mining department) एक बार फिर से चर्चा में है। इस बार यह चर्चा ई-टेंडरिंग के लिए ओबरा तहसील (Obra Tehsil) के जुगैल क्षेत्र स्थित भगवा क्षेत्र खंड दो के लिए आमंत्रित की गई निविदा को लेकर की जा रही है। जिस एरिया के लिए निविदा मंगाई गई है, वहां बालू कम, मिट्टी ज्यादा दिखाई देने का दावा किया जा रहा है। वहीं खनन विभाग की तरफ से निविदा पूर्व किए गए सर्वे में जहां, यहां 2,18,628 घनमीटर बालू का भंडारण यानी मौजूदगी आंकलित की गई है।

वहीं इसके खनन को लेकर टेंडर प्रक्रिया भी शुरू है। सवाल उठता है कि जो बालू भंडारण दिखाया गया है, उसकी उपलब्धता कहां से आएगी और खनन कैसे व किस जगह कराया जाएगा? इस पर चर्चाओं का बाजार गर्म है।

खनन निदेशक और डीएम से शिकायत कर उठाए गए सवाल

प्रश्नगत मामले को लेकर निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म, जिलाधिकारी और जिला खनिज अधिकारी से शिकायत कर हस्तक्षेप की मांग की गई है। सौंपी गई शिकायत में कहा गया है कि गत पांच नवंबर को भगवा क्षेत्र दो के लिए जो निविदा निकाली गई है, उसमें मौके पर 2,18,628 घनमीटर बालू का आंकलित भंडारण दिखाया गया है। शिकायत में दावा किया है कि जबकि मौके पर बालू की मात्रा, आंकलित किए गए भंडारण के मुकाबले नहीं के बराबर है। शिकायत में गत 22 नवंबर को निदेशक की तरफ से प्रस्तावित बालू साइट के स्थलीय निरीक्षण करने और वहां के लोगों द्वारा भौगालिक स्थिति से अवगत कराए जाने की भी जानकारी दी गई है।

परियोजना प्रस्तावक लेता है पट्टे की एनओसीः ज्येष्ठ खान अधिकारी

प्रकरण में की गई शिकायत और उठाए गए सवाल के बाबत ज्येष्ठ खान अधिकारी आशीष कुमार से जानकारी चाही गई तो उनका कहना था कि वह बाहर हैं। जहां तक निविदा का सवाल है तो इसके लिए एनओसी लेने की जिम्मेदारी परियोजना प्रस्तावक की है। बालू के भंडारण का आंकलन किसके जरिए कराया जाता है, इस सवाल को वह टाल गए।

बता दें कि पूर्व के सालों में फसल बोई जमीनों पर बालू पर पट्टा आवंटित किए जाने के साथ ही, सीमांकन की बात भी सामने आ चुकी है। अब एक बार फिर से ऐसे ही कथित साइट को लेकर अपनाई जा रही प्रक्रिया पर चर्चा शुरू हो हुई है।

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