Sonbhadra : NGT के फैसले पर टिका 5 पत्थर खदानों का भविष्य, बंदी आदेश के बाद भी संचालित खदानों को कराया गया बंद

एनजीटी की सख्ती के बाद राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से संचालित खदानों को बंद कर दिया गया है। पांच पत्थर खदानें ऐसी हैं, जिन्होंने बंदी आदेश के बाद वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम से जुड़ा सीटीओ प्रमाण पत्र प्राप्त किया है।

Update:2024-09-26 17:05 IST

एनजीटी (Social media)

Sonbhadra News। एनजीटी की सख्ती के बाद राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जारी बंदी आदेश के बाद भी संचालित खदानों को बंद कर दिया गया है। बंदी आदेश की जद में आए आठ खनन पट्टों में से, पांच पत्थर खदानें ऐसी हैं, जिन्होंने बंदी आदेश के बाद वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम से जुड़ा सीटीओ प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। फिलहाल, एनजीटी की सख्ती को देखते हुए, बंदी आदेश को सभी आठ खनन पट्टों के लिए प्रभावी बनाया गया है। अब इस मसले पर एनजीटी की तरफ से आने वाले फैसले पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं।

2022 में दाखिल एक याचिका में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से बगैर सीटीओ प्रमाण पत्र के संचालित खनन पट्टों और उनको लेकर की जाने वाली कार्रवाई के बारे में रिपोर्ट मांगी थी। इसी दौरान सोनभद्र में संचालित आठ खनन पट्टों को तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्देश जारी किया गया था। 10 जनवरी 2024 को मुख्य पर्यावरण अधिकारी की तरफ से जारी निर्देश में कहा गया था कि संबंधित खदानों को सीटीओ प्रमाण पत्र के लिए आवेदन और आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के लिए कई बार नोटिस दी गई, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। औपचारिकताओं को पूरी करने की बात तो दूर आवेदन तक करने की जरूरत नहीं समझी गई।


निर्देश के बाद भी संचालित खदानों को लेकर एनजीटी ने लिया संज्ञान

निर्देश के बाद भी संबंधित खनन पट्टों के संचालन के मामले का संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने जिला प्रशासन, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से रिपोर्ट तलब की। अगस्त में जिला प्रशासन की तरफ से चिन्हित किया गया 8 खनन पट्टों में 6 को नाॅन ऑपरेशनल होने की जानकारी दी गई। दो के पास संचालन के लिए जरूरी सभी वैध प्रमाण पत्र होने का दावा किया गया। वहीं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से सभी आठ खनन पट्टों के लिए बंदी निर्देश प्रभावी होने की रिपोर्ट दाखिल की गई।



संचालित बताई जा रही खदानों को भी कराया गया बंद

मामले में एनजीटी की तरफ से सभी आठ खदानों के लिए जारी बंदी निर्देश और उसके प्रभावित होने की स्थिति के बारे में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी गई। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से, जिलाधिकारी को पत्र भेजा गया, जिसमें बंदी के निर्देश से प्रभावित खनन पट्टों में, निर्देश जारी होने के बाद सीटीओ प्रमाण पत्र मिलने के बाद भी बंदी का निर्देश प्रभावी बताया गया। यह आदेश तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक बंदी का जारी निर्देश निरस्त/ अप्रभावी नहीं हो जाता। इसको देखते हुए 9 सितंबर को ज्येष्ठ खान अधिकारी की तरफ से संचालित बताई जा रही दो पत्थर खदानों के भी बंदी का निर्देश जारी कर दिया गया।

अब एनजीटी के फैसले पर टिकी निगाहें

अब इस मामले में सभी की निगाहें एनजीटी की फैसले पर टिकी हुई हैं। जिला प्रशासन और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जहां वस्तुस्थिति की रिपोर्ट एनजीटी में दाखिल कर उचित निर्णय लेने का अनुरोध किया गया है। वहीं, एक खनन पट्टा संचालक की तरफ से, बंदी निर्देश के बाद प्राप्त किए गए सीटीओ प्रमाण पत्र के आधार पर, खनन गतिविधियों के संचालन के लिए निर्देश दिए जाने की याचना की गई है।

किन-किन खदानों का भविष्य तय करेगा एनजीटी का फैसला

20 सितंबर को एनजीटी में दाखिल रिपोर्ट में बताया गया है कि बंदी के जद में आए आठ खनन पट्टों में से रिपोर्ट दाखिल करने के समय तक पांच पट्टा संचालकों ने सीटीओ प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया है। बंदी निर्देश के बाद भी लंबे समय तक संचालन में रही खदानों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का क्या निर्णय आता है और बंदी निर्देश के बाद सीटीओ प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले खदानों की स्थिति क्या होगी? इस पर, सभी की निगाहें बनी हुई हैं।

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