Sonbhadra News : कभी कभी भुला सा याद बहुत आता है, कविता-मुक्तक, गीत-गजल से गुलजार रहा 62वां अखिल भारतीय कवि सम्मेलन

Sonbhadra News: साहित्य से जुड़े देश के शीर्ष मंचों में शुमार मधुरिमा साहित्य गोष्ठी की तरफ से आयोजित 62वें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में बृहस्पतिवार की रात देश के विभिन्न हिस्सों से आए कवियों ने वीर, हास्य और श्रृंगार रस से भरी रचनाओं की ऐसी अद्भुत प्रस्तुति दी।

Update:2025-01-03 19:18 IST

कभी कभी भुला सा याद बहुत आता है, कविता-मुक्तक, गीत-गजल से गुलजार रहा 62वां अखिल भारतीय कवि सम्मेलन (social media)

Sonbhadra News: जिला मुख्यालय पर लगातार 62वें वर्ष कड़कड़ाती ठंड के बीच साहित्य की सरिता बहाई गई। साहित्य से जुड़े देश के शीर्ष मंचों में शुमार मधुरिमा साहित्य गोष्ठी की तरफ से आयोजित 62वें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में बृहस्पतिवार की रात देश के विभिन्न हिस्सों से आए कवियों ने वीर, हास्य और श्रृंगार रस से भरी रचनाओं की ऐसी अद्भुत प्रस्तुति दी कि कब शुक्रवार की भोर के चार बज गए पता ही नहीं चला। पूरी रात गीतों की कशिश में डूबने और कहकहों के साथ ताली बजाने का दौर चलता रहा।

प्रख्यात चिंतक एवं नगर पालिका परिषद राबर्टसंगंज के पूर्व अध्यक्ष पं. अजय शेखर संयोजन में आयोजित कवि सम्मेलन की शुरूआत कवियत्री कुमारी श्रीजा और गीतकार जगदीश पंथी ने वाणी वंदना श्वेत वसने मां तुम कहां हो, एक बार फिर वीणा बजा दो.. की प्रस्तुति से की। इस दौरान सदर विधायक भूपेश चौबे ने बतौर मुख्य अतिथि मौजूदगी दर्ज कराई।

नोएडा से आए जाने-गीना गीतकार डा. सुरेश ने कभी कभी भुला सा सब कुछ याद बहुत आता है.. वक्त गुजर जाता है.. गीत के जरिए सोनभद्र से जुड़े चार दशकों के संबंध का जिक्र किया। वहीं, चर्चित गीत ..सोने के दिन, चांदी के दिन, आए गए आंधी के दिन.. गुनगुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

चंदौली से आए गीतकार मनोज द्विवेदी मधुर ने मैं जमाने के नजरों में नाकाम हुँ , क्योंकि हमने किसी को छला ही नही.., सोनभद्र की जानी मानी कवियित्री रचना तिवारी ने मौत जी गए तुम्हारे बिन, सांस सांस जख्म कर गयी.. गीत के जरिए जमकर वाहवाही लूटी।

बलिया से आए भोजपुरी भूषण डा. नंद जी नंदा ने लीले खातिर तोहके मिलल आजादी, इहे राष्ट्रभक्ति सही आचरण ह.. सुनाकर जहां मौजूदा परिवेश पर करारा व्यंग्य कसा। वहीं, धर्मनगरी काशी से आए कवि डा. धर्म प्रकाश मिश्र ने त्रेता वाला गिद्ध सीता माता हेतु जान दिया, कलयुग के गिद्ध सीताओं को नोच खाते हैं.. सुनाकर यथार्थ का बोध कराया।

गजलकार अब्दुल हुई ने अच्छा हुआ जो आप बेगाने हो गए, नाहक ही इश्क में कई अफ़साने हो गए.., शायर अशोक तिवारी ने जुबां से तल्ख मगर दिल से बहुत सच्चा है, हवेलियों के दरमियां उसका मकान कच्चा है.. जैसी कई प्रस्तुतियां दी।

गोरखपुर से आए गीतकार मनमोहन मिश्र ने कूबत हुनर पे आपके कोई शक नही, फिर दो दिलों के मिलने का हक नही.., कवियित्री अनुपम वाणी ने छोड़कर हसरतों को इसी द्वार पर, लौट आयी दबे पांव जैसे गई.., आजमगढ़ की दिव्या राय ने कोई आने की जुर्रत ना करे दिल के मुहल्ले में, मेरे दिल के इलाके के बहुत बड़े माफिया हो तुम.., कवियित्री कौशल्या कुमारी चौहान ने देश द्रोहियों के हस्ती को करना होगा बिल्कुल खाक, आग नही जिनके सीने में समझो वो इंसान नही.. जैसी रचनाओं से श्रोताओं को देर तक बांधे रखा।

लोक संस्कृति को रचनाओं के जरिए सहेजने वाले कवि लखन राम जंगली ने बरवारी तरे आवे संगी, चाहें बैठ बंसिया बजावे..., गीतकार ईश्वर विरागी ने गंध अलकों में छिपाए ठहर जाओ, तुमको तुझसे मैं चुरा लूं’.., कवि प्रदुम्न त्रिपाठी ने कस कमर जवानों फिर से शीश देना है अपने वतन के लिए.., कमल नयन त्रिपाठी ने नज्म की प्रस्तुति, दिवाकर द्विवेदी ने हास्य रचना.. माई बाऊ बदे भयल हउवा, बीए पढई लागल बा बेटउवा.., वाराणसी से आए सलीम शिवालवी ने एक से बढ़कर एक नज्म की प्रस्तुति देकर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी।

ओज के कवि प्रभात सिंह चंदेल ने शव लिपटा शान तिरंगे में नन्हा एक नादान खड़ा था, दूर खड़ी खड़ी थी बेवा उसकी पीछे हिंदुस्तान खड़ा था.. से जहां देशभक्ति का जोश भरा। वहीं, संचालन कर रहे वाराणसी से आए हास्य कवि नागेश शांडिल्य ने अपने काव्य पाठ से जमकर गुदगुदी छुड़ाई।

गीतकार जगदीश पंथी ने सोनवा क बलिया सिवनवा में लटकल, देखई चंदनिया सिहाई से जहां खेती-किसानी का हाल सुनाया। वहीं, अध्यक्षता कर रहे पूर्व संयुक्त स्वास्थ्य निदेशक साहित्यकार डा. अनिल मिश्र ने कविता, मुक्तक, छंद के जरिए आयोजन को ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। मधुरिमा साहित्य गोष्ठी के उप निदेशक आशुतोष कुमार ने सभी का आभार ज्ञापित करते हुए, कार्यक्रम समापन की घोषणा की।

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