Sonbhadra News : युवती से दुष्कर्म के दोषी को 7 वर्ष की कठोर कैद, वारदात के वक्त घर में अकेली थी पीड़िता

Sonbhadra News: युवती से दुष्कर्म के दोषी को 7 वर्ष के कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। 50 हजार रुपये अर्थदंड भी अदा करने के लिए कहा गया है। जुर्माने की अदायगी न किए जाने पर, तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा गया है।;

Update:2025-04-07 16:51 IST

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Sonbhadra News : सोनभद्र। युवती से दुष्कर्म के दोषी को 7 वर्ष के कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। 50 हजार रुपये अर्थदंड भी अदा करने के लिए कहा गया है। जुर्माने की अदायगी न किए जाने पर, तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा गया है। 11 वर्ष पुराने इस मामले की सोमवार को विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी कोर्ट आबिद शमीम की अदालत ने सुनवाई की। अधिवक्ताओं की तरफ से दी गई दलीलों, पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों और गवाहों की तरफ से परीक्षित कराए गए बयानों के आधार पर दोषसिद्ध पाया गया और इस अपराध के लिए दोषी अमर शेखर दूबे उर्फ देवा दूबे को 7 वर्ष को कठोर कैद के साथ अर्थदंड की सजा सुनाई गई।

यह था मामला, जिसको लेकर सुनाई गई सजा 

अभियोजन कथानक के मुताबिक घटना 19 मार्च 2014 की है । 28 मार्च 2014 को करमा थाना क्षेत्र की रहने वाली एक महिला ने थाने पर पहुंचकर पुलिस को एक तहरीर सौंपी। इसके जरिए अवगत कराया कि 19 मार्च 2014 की दोपहर उसकी पुत्री घर में अकेली थी । उसी दौरान बारी महेवा गांव निवासी देवा दूबे पुत्र प्रेम शंकर दूबे घर में घुस आया और उसकी बेटी को घर में अकेला पाकर उसके साथ जबरिया दुष्कर्म किया।जाते समय धमकी दी कि अगर उसने इस घटना की किसी को जानकारी दी तो उसे जान से मार दिया जाएगा। पीड़िता के शोर मचाने पर गांव के कई लोग पहुंच गए यह देख आरोपी वहां से भाग निकला। वह घर लौटी तब पीड़िता ने पूरी आपबीती बताई।

पर्याप्त सबूत का दावा करते हुए पुलिस ने दाखिल की थी चार्ज शीट

पुलिस ने प्रकरण में दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज कर मामले की छानबीन की । विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने का दावा करते हुए चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की गई। लगभग 11 साल तक चली सुनवाई के बाद अपराध सिद्ध पाया गया दोषी को कठोर कारावास की सजा के साथ ही अर्थदंड से दंडित किया गया।अर्थदंड जमा न करने की दशा में जहां तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा गया। वहीं, अर्थदंड जमा होने के बाद, उसमें से 40 हजार रुपये पीड़िता को प्रदान किए जाने का आदेश दिया गया । अभियोजन पक्ष की तरफ से मामले की पैरवी सरकारी अधिवक्ता सी शशांक शेखर कात्यायन द्वारा की गई।

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