Sonbhadra News: प्रयागराज-एमपी से पश्चिम बंगाल तक फैला है पशु तस्करी का जाल, दो तस्कर दबोचे गए, 16 गोवंश बरामद
Sonbhadra News: सोनभद्र से रास्ते बिहार-झारखंड तक फैला पशु तस्करी का एक बड़ा रैकेट सामने आया है। कोन थाने से जुड़ी बागेसोती पुलिस ने जंगल के रास्ते बिहार ले जाए जा रहे 16 गोवंश की बरामदगी के साथ ही गिरोह को दो सदस्यों को दबोचने में कामयाबी पाई है।
Sonbhadra News: प्रयागराज के साथ मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों से सोनभद्र से रास्ते बिहार-झारखंड तक फैला पशु तस्करी का एक बड़ा रैकेट सामने आया है। कोन थाने से जुड़ी बागेसोती पुलिस ने जंगल के रास्ते बिहार ले जाए जा रहे 16 गोवंश की बरामदगी के साथ ही गिरोह को दो सदस्यों को दबोचने में कामयाबी पाई है। वहीं दो तस्कर जंगल का फायदा उठाकर भाग निकलने में सफल रहे गए। मुक्त कराए गए गोवंशों को ग्रामीणों को सुपुर्द करने के साथ ही, पकडे़ गए तस्करों का 3/5।/8 गोवध निवारण अधिनियम और 11 पशु क्रूरता अधिनियम के तहत चालान कर दिया गया। वहीं, फरार तस्करों की तलाश जारी है।
दो पुलिस चौकियों से जुड़ी टीम ने घेरेबंदी कर पाई कामयाबी
पुलिस के मुताबिक बागेसोती चौकी प्रभारी वंशराज यादव, एसआई धर्मदेव तथा अन्य पुलिसकर्मियों के साथ इलाके के भ्रमण पर थे। तभी सूचना मिली कि जंगल के रास्ते पशु तस्करों का एक गिरोह बड़ी मात्रा में गोवंश लेकर बिहार की तरफ जा रहा है। इस सूचना पर रास्ते में चननी चौकी प्रभारी श्रीकांत राय और उनके हमराहियों को साथ लेकर कोन थाना क्षेत्र के निगाई टोला गईयाबथान पहुंचा। वहां देखा कि पुलिया के पास कुछ लोग गोवंशों को हांकते हुए ले जा रहे हैं। घेरेबंदी कर दो को पकड़ लिया गया। जबकि दो तस्कर भाग निकले ।
इनकी हुई गिरफ्तारी, यह हो गए फरार
पकड़े गए व्यक्तियों ने अपना नाम नूर नोहम्मद / जाकिर अली निवासी कुड़वा पड़रछ थाना कोन और दूसरे व्यक्ति ने अपना नाम जालिम प्रसाद पुत्र राजाराम निवासी नौडिहा थाना कोन बताया। फरार हुए व्यक्तियों का इश्तियाक उर्फ झुरई जो पकड़े गए नूर मोहम्मद का भाई है तथा बदरे आलम निवासी करिवाडीह थाना खरौंधी जिला गढ़वा (झारखंड) बताया।
इस तरह से की जा रही थी गोवंश की तस्करी
पुलिस के मुताबिक पकड़े गए तस्करों बताया कि वह प्रयागराज, मध्यप्रदेश व आस पास के जनपदों से गोवंश तथा मवेशियों को औने-पौने दामों मे खरीदकर पीकप में लोड कर सोनभद्र लाते हैं। यहां से पुलिस से बचाते हुए जंगल के रास्ते झारखंड बार्डर पार ले जाते हैं। वहां एक जगह गोवंश एकत्रित कर उसे ट्रक पर लादा जाता है। इसके बाद गोवंशों-मवेशियों को पश्चिम बंगाल ले जाया जाता है, जहां उन्हें इसकी ऊंची रकम मिलती है।