Sonbhadra: 25 दिन बाद पोस्टमार्टम के लिए निकाला गया शव, आदिवासी की मौत का मामला
Sonbhadra News: SDM की मौजूदगी में पुलिस की तरफ से खेत में दफनाए गए आदिवासी के शव को बाहर निकलवाया गया और पंचनामा की कार्रवाई करते हुए, उसे पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया।
Sonbhadra News: ओबरा थाना क्षेत्र के रेणुकापार स्थित ग्राम पंचायत पनारी के टोला खाड़र निवासी एक आदिवासी की वनकर्मियों की कथित पिटाई से हुई मौत मामले में बड़ी कार्रवाई सामने आई है। बुधवार की दोपहर बाद, खाड़र पहुंचे एसडीएम ओबरा अजय कुमार सिंह की मौजूदगी में, पुलिस की तरफ से खेत में दफनाए गए आदिवासी के शव को बाहर निकलवाया गया और पंचनामा की कार्रवाई करते हुए, उसे पीएम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया। पीड़ित परिजनों की तरफ से लगाई गई गुहार और उस पर डीएम चंद्रविजय सिंह की तरफ से दिए गए निर्देश पर यह कार्रवाई की गई। प्रकरण को लेकर वनकर्मियों पर जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हें, उसमें कितनी सच्चाई है, इसको लेकर अब सभी की निगाहें, पोस्टमार्टम के बाद आने वाली रिपोर्ट पर टिकी हुई हैं।
यह है पूरा प्रकरण
पनारी ग्राम पंचायत के खाड़र टोला निवासी शिवकुमार गोंड़ ने पिछले दिनों ओबरा पुलिस को तहरीर देकर वनकर्मियों पर उसके पिता की बेरहमी से पिटाई करने और इसके चलते मौत होने का आरोप लगाया था। प्रकरण की तहरीर देकर कार्रवाई की गुहार लगाई। इसके जरिए बताया गया था कि गत 13 फ़रवरी की दोपहर, उसके घर से कुछ दूरी पर मौजूद घुमतहवा के जंगल में, उसके पिता रामबरन गोंड बकरी चरा रहे थे। दोपहर करीब डेढ़ बजे मौके पर पहुंचे तीन वन कर्मी वन दरोगा सियाराम चौबे, प्रेमचंद पटेल, दिनेश यादव पहुंचे और उसके पिता को अपशब्द कहना शुरू कर दिए। जब उसके पिता ने विरोध किया तो तीनों ने मिलकर रामबरन की बेरहमी से पिटाई कर दी। मौके पर मौजूद दूसरे ग्रामीणों ने किसी तरह रामबरन को उनके चंगुल से छुड़ाया।
पिटाई के 11 दिन बाद हो गई थी रामबरन की मौत
परिजनों के मुताबिक वनकर्मियों की पिटाई के चलते गंभीर रूप से घायल रामबरन का पहले गांव में ही इलाज कराया गया। कोई राहत न मिलने पर चोपन स्थित एक निजी अस्पताल ले जाया गया। वहां से जवाब मिलने पर उरमौरा स्थित एक निजी अस्पताल ले गए। वहां भी हालत मे कोई सुधार नहीं हुआ तो चंदौली स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां से भी जवाब मिलने पर बीएचयू वाराणसी ले गए, जहां उपचार के दौरान गत 24 फ़रवरी को मौत हो गयी। इसके बाद परिवार के लोग शव को लेकर घर पहुंचे और घर से कुछ दूरी पर स्थित खेत के पास शव को दफना दिया।
डीएम तक पहुंचा मामला तो दिए गए पीएम के निर्देश
बताते हैं कि पीड़ित की तरफ से पुलिस के साथ ही, डीएम से मिलकर कार्रवाई की गुहार लगाई। इसको गंभीरता से लेते हुए डीएम ने दफनाए गए शव को बाहर निकलवाकर पीएम कराने का निर्देश दिया ताकि सच्चाई सामने आ सके। इसके बाद बुधवार को एसडीएम ओबरा अजय कुमार सिंह, प्रभारी निरीक्षक देवीवर शुक्ला, क्राइम इंस्पेक्टर माधव सिंह, एसआई ऐश खान और चोपन सीएचसी के चिकित्सक की मौजूदगी वाली टीम लेकर खाड़र पहुंचे। ग्रामीणों की मौजूदगी में, 25 दिन पूर्व दफनाए गए शव को बाहर निकलवाया और पंचनामा की कार्रवाई पूरी करते हुए, शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजवा दिया गया।
डीएम के निर्देश पर की गई कार्रवाई: एसडीएम
एसडीएम ओबरा के मुतातिबक जिलाधिकारी के निर्देश पर यह कार्रवाई की जा रही है। पोस्टमार्टम के बाद रिपोर्ट में जो स्थिति सामने आए, उसके आधार पर पुलिस कार्रवाई आगे बढ़ाएगी। वहीं प्रभारी निरीक्षक ओबरा देवीवर शुक्ला का कहना था कि प्रकरण की जांच की जा रही है, जो भी स्थिति सामने आएगी, उसके अनुरूप कार्रवाई होगी।
15 वर्ष पूर्व भी सामने आया था इसी तरह का मामला
15 वर्ष पूर्व बभनी थाना क्षेत्र के कोंगा में भी दफनाए गए एक आदिवासी का शव पीएम के लिए बाहर निकाले जाने का मामला सामने आया था। उस मामले में भी पीड़ित के परिजन हत्या का आरोप लगा रहे थे। वहीं दुद्धी में पीएम करने वाले डॉक्टर ने पानी में गिरने के कारण इत्तफाकिया मौत की रिपोर्ट दे दी लेकिन परिवार के लोग इस बात को मानने में तैयार नहीं थे। पीएम के बाद भी शव को खेत में दफन कर ग्रामीणों ने कई दिन तक धरना-प्रदर्शन किया। तत्कालीन डीएम के निर्देश पर शव को बाहर निकलवाकर दोबारा पीएम कराया तो गला दबाकर हत्या किए जाने की पुष्टि हुई। हालांकि इस मामले में पहली बार पीएम हो रहा है लेकिन इस मामले में भी पिटाई कर हत्या किए जाने का आरोप लगाए जा रहे हैं। इसको देखते हुए अब सभी की निगाहें पीएम रिपोर्ट पर टिकी हुई है।