Sonbhadra News: मेडिकल कॉलेज में दो बुजुर्गों को मिली नई जिंदगी, सफलतापूर्वक किया गया कूल्हे का प्रत्यारोपण, ’आयुष्मान’ बना वरदान
Sonbhadra News Today: जिले में कठिन और मुश्किल मानी जाने वाली सर्जरी की जहां सुविधा उपलबध नहीं थी। इसके लिए जहां घुटने और कुल्हे के मुश्किल ऑपरेशन/प्रत्यारोपण के लिए वाराणसी जाने की विवशता थी।;
Sonbhadra News in Hindi: सोनभद्र, जिला मुख्यालय स्थित राजकीय मेडिकल कालेज के चिकित्सकों की टीम ने एक बार फिर से जिले के लोगों के लिए कठिन माने जाने वाली सर्जरी की बड़ी सौगात दी है। 72 से 75 वर्ष की अवस्था में गिरने के कारण कूल्हे की हड्डी टूटने से, चलने-फिरने में असमर्थ हो चुके दो बुजुर्गों के कुल्हे का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किए जाने का मामला सामने आया है। खास बात यह है कि बुजुर्गों को इस सौगात के लिए, किसी तरह की धनराशि खर्च नहीं करनी पड़ी है। उन्हें प्रत्यारोपण और उपचार की यह सुविधा ’आयुष्मान’ कार्ड के जरिए प्राप्त हुई है।
वाराणसी जाने की विवशता से मिली बड़ी राहत
जिले में कठिन और मुश्किल मानी जाने वाली सर्जरी की जहां सुविधा उपलबध नहीं थी। इसके लिए जहां घुटने और कुल्हे के मुश्किल ऑपरेशन/प्रत्यारोपण के लिए वाराणसी जाने की विवशता थी। वहीं, महंगे खर्च पर यहां के चंद निजी अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध कराई जा रही थी। ..लेकिन इसके लिए भी सर्जन वाराणसी से बुलाए जा रहे थे। मेडिकल कॉलेज का संचालन शुरू होने से जहां यहां कई अच्छे चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित हुई। वहीं, घुटने के लिंगामेंट के सफल प्रत्यारोपण के बाद, पहली बार दो बुजुर्गों के कूल्हे के सफल प्रत्योरापण का मामला सामने आया है।
एक माह से बनी हुई थी परेशानी
जिले के दुरूह क्षेत्र से आने वाली कौशिल्या देवी 75 वर्ष और श्यामसुंदर 72 वर्ष एक माह से अधिक समय से कूल्हे की हड्डी टूटने के कारण परेशान थे। गिरने के कारण उनकी हड्डी टूट गई थी। एक तरफ बुजुर्ग अवस्था तो दूसरी तरफ कमर की हड्डी टूटने का दंश उनके लिए खासी परेशानी का कारण बना हुआ था। कुछ लोगों की सलाह पर परिवार के लोग उन्हें लेकर राजकीय स्वायत्तशासी मेडिकल कॉलेज पहुंचे जहां चिकित्सकों ने उन्हें कुल्हा प्रत्यारोपण की सलाह दी। महंगे खर्च वाले इस ऑपरेशन के लिए आयुष्मान कार्ड की मदद ली गई और पिछले सप्ताह दोनों बुजुर्गों को आर्थोपेडिक सर्जन डा. अवनीश शाह और एनेस्थेसिया डा. चंद्रभूषण, डा. निधि गोंड की टीम ने, सफलतापूर्वक कुल्हा प्रत्यारोपण कर नई जिंदगी प्रदान कर दी।