Sonbhadra News: कूटरचित NOC के जरिए रिहंद बांध एरिया में तीन साल तक बालू खनन, सरकार को करोड़ों की चपत

Sonbhadra News: रिहंद बांध सिविल खंड की तरफ से एमपी स्टेट माइनिंग कारपोरेशन के एमडी को पत्र भेजकर, रिहंद बांध की एरिया में खनन पट्टा आवंटन की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं।

Update: 2024-08-27 03:46 GMT

Sonbhadra News (Pic: Newstrack)

Sonbhadra News: यूपी-एमपी सीमा पर ठटरा में पट्टा मध्यप्रदेश की सीमा में स्वीकृत होने और कथित खनन उत्तर प्रदेश की सीमा में होने के मामले का अभी पटाक्षेप नहीं हो पाया है। इससे पहले, यूपी-एमपी सीमा पर रिहंद बांध की एरिया में, नियमों को ताक पर रखकर, खनन पट्टा स्वीकृत करने और रिहंद सिविल खंड की तरफ से एनओसी आवेदन खारिज करने के बाद भी, कूटरचित एनओसी के आधार पर वर्ष 2020 से 2023 के बीच, बालू खनन कराए जाने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। एक बार फिर से रिहंद बांध सिविल खंड की तरफ से एमपी स्टेट माइनिंग कारपोरेशन के एमडी को पत्र भेजकर, रिहंद बांध की एरिया में खनन पट्टा आवंटन की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं। वहीं, मिनिस्टीरियल एसोसिएशन इरिगेशन डिपार्टमेंट की पिपरी इकाई की तरफ से पत्र भेजकर आंदोलन और न्यायालय का सहारा लेने की चेतावनी दी गई है।

रिहंद बांध एरिया में खनन से यूपी सरकार को करोड़ों की चपत

एमपी स्टेट माइनिंग कारपोरेशन के एमडी सहित अन्य को भेजे पत्र में कहा गया है कि रिहंद जलाशय परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम हर्रहवा खसरा क्रमांक 412, 413, कांदोपानी का खसरा कमांक 1, ओरंगाई का खसरा कमांक 01, पिपराकुरूंद का खसरा कमांक 01 रिहंद जलाशय का परिक्षेत्र है जो एमपी के सिंगरौली तक विस्तारित है और इस पर यूपी के रिहंद बॉध का स्वामित्व है। यूपी सरकार सिंचाई विभाग की तरफ से सिंगरौली की उपरोक्त भूमि का अधिग्रहण किया गया है जो एमपी के भूअभिलेख से पृथक भी हो गया है। आरोप है कि बावजूद एमपी के खनन विभाग और माइनिंग कारपारेशन की तरफ से अनधिकृत तरीके से संबंधित एरिया में बालू खनन कराकर यूपी सरकार को करोड़ों के राजस्व की चपत लगाने के साथ ही, रिहंद जलाशय का पथ प्रभावित किया जा रहा है। इसके चलते संबंधित इलाके में भू कटान की आशंका तेजी से गहराने लगी है।


इन बिंदुओं पर उठाए गए हैं खास सवाल

आरोप है कि प्रकरण संज्ञान में आने के बाद रिहंद सिविल खंड की तरफ से आपत्ति दर्ज कराई गई। इसके बाद खनन विभाग सिंगरौली की तरफ से मार्च, 2021 में अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग की गई। रिहंद सिविल खंड ने एनओसी के आवेदन को अस्वीकार कर दिया। बावजूद आरोपों के मुताबिक अक्टूबर 2021 में कूटरचित अनापत्ति प्रमाण पत्र के आधार पर मेसर्स आरकेटीसी को खनन का ठेका देकर वर्ष 2020 से 2023 के बीच बडे स्तर पर अवैध खनन कराया गया। रिहंद बांध की एरिया में पोकलेन चलवाकर रिहंद पथ को क्षति पहुंचाई गई। अब एक बार फिर से निविदा प्रक्रिया अपनाए जाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई गई है।


मामले में इनके यहां भेजा गया पत्र

प्रकरण में हाईकोर्ट के अधिवक्ता सच्चिदानंद सिंह के जरिए एमपी स्टेट माइनिंग कारपोरेशन के एमडी, एमपी के चीफ सेक्रेटरी, एमपी माइनिंग कारपोरेशन के जीएम, मुख्य सविव खनन यूपी, मुख्य सचिव सिंचाई यूपी, सिंचाई विभाग यूपी के मुख्य अभियंता, सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता सोनभद्र, डीएम सोनभद्र, खान अधिकारी सोनभद्र, अधिशासी अभियंता रिहंद बांध सिविल खंड पिपरी, सीपीपीसी और यूपीपीसीबी के चेयरमैन को, पत्र भेजकर, समुचित कदम उठाने का अनुरोध किया गया है। पत्र की एक प्रति एनजीटी के चेयरमैन को भी भेजकर, आवश्यक हस्तक्षेप की मांग की गई है। 

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