Sonbhadra News: श्रमिक संगठन में दो फाड़, कार्यालय पर कब्जे को लेकर मारपीट, 11 पर केस, सात गिरफ्तार

Sonbhadra News: ओबरा में भारतीय संविदा श्रमिक संगठन दो फाड़ की स्थिति में पहुंच गया है। यहां अध्यक्ष और महामंत्री खेमे की तरफ से जहां एक दूसरे के खिलाफ आरोप लगाते हुए, ओबरा कोतवाली में केस दर्ज कराया गया है।

Update:2024-08-16 20:05 IST

Sonbhadra News (Pic:Newstrack)

Sonbhadra News: ओबरा में भारतीय संविदा श्रमिक संगठन दो फाड़ की स्थिति में पहुंच गया है। यहां अध्यक्ष और महामंत्री खेमे की तरफ से जहां एक दूसरे के खिलाफ आरोप लगाते हुए, ओबरा कोतवाली में केस दर्ज कराया गया है। वहीं, कार्यालय पर कब्जे को लेकर मारपीट की शिकायत दर्ज कराई गई है। प्रकरण में ओबरा पुलिस ने दोनों पक्षों से कुल 11 लोगों को नामजद करते हुए, शुक्रवार को एक पक्ष के सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के बाद, सातों का शांति भंग की आशंका में चालान कर दिया गया।

सचिव खेमे ने कार्यालय पर कब्जे को लेकर लगाया आरोप

ओबरा थाना क्षेत्र के धोबिया नाला इलाके के रहने वाले नागेंद्र प्रताप चौहान ने स्वयं को भारतीय संविदा श्रमिक संगठन का महामंत्री बताते हुए, पुलिस को दी तहरीर में कहा है कि गत 12 अगस्त की दोपहर सुशील मिश्रा, संग्राम, नवलेश वर्मा, मणिशंकर पाठक, रणजीत तिवारी उर्फ छोटू तिवारी, तारकेश्वर शुक्ला, जय शुक्ला, मंतोष, शुभम सिंह, विभूति शुक्ला 8-10 अन्य लोगों के साथ यूनियन कार्यालय पहुंचे और उनका सामान निकालकर बाहर फेंकने लगे। सूचना मिलने पर जब वह मौके पर पहुंचा तो गले में रस्सी बांधकर पटकने के साथ ही, गला दबाकर मारने की कोशिश की गई। नकदी भी छिनने का आरोप लगाया गया है।

सुशील मिश्रा को ओबरा सी का निर्माण करा रही दूसान कंपनी से जुड़ी एसजीके कंपनी का ठेकेदार और नवलेश वर्मा को साईट इंचार्ज बताया गया है। उन पर मजदूरों का शोषण का आरोप लगाते हुए, मजदूरों के लिए आवाज उठाने पर हमला बोलने की बात कही गई है। यह भी अवगत कराया गया है कि गंभीर हालत में उसे परियोजना अस्पताल ले जाया गया जहां से पीएचसी चोपन, वहां से जिला अस्पताल और जिला अस्पताल से बीएचयू ट्रामा सेंटर भेजा गया। दो दिन बाद हालत जब सामान्य हुई, तब अस्पताल से छुट्टी मिली। पुलिस इस मामले में धारा 309(2), 191(2), 115(2), 351(2) बीएनएस के तहत मामला दर्ज कर छानबीन में जुटी हुई है।

जबरिया कार्यालय पर कब्जा जमाने का आरोप

इसी प्रकरण से जुड़ी दूसरी तहरीर में मणिशंकर पाठक ने स्वयं को भारतीय संविदा श्रमिक संगठन ओबरा का अध्यक्ष बताते हुए कहा है कि महामंत्री रहे नागेन्द्र चौहान और नवाज खान कोे संगठन विरोधी क्रिया कलापो में लिप्त पाये जाने पर संगठन से निष्कासित किया जा सका है। दोनों को 2018 से 2024 तक के मजदूर हित से संबंधित गतिविधियो का लिखित आकडा प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था लेकिन न तो कार्यवाही रजिस्टर दिए न ही सदस्यता रसीद का विवरण..। निष्कासन के बाद भी संगठन में पदाधिकारी होने का फर्जी दावा करते हुए मजदूरों का आर्थिक शोषण और संगठन की छवि खराब करने का काम किया जा रहा है।

गत 31 जुलाई को दोनों को संगठन से निष्कासित किए जाने का दावा करते हुए आरोप लगाया गया है कि नागेन्द्र चौहान पूर्व से संगठन के कार्यालय में एक रुम में रहते थे। निष्कासित होने के बाद रुम को खाली करने की बजाय, उस पर अवैध कब्जा करने की नियत से अपनी मां को लाकर रख दिए। 15 अगस्त के मद्देनजर कार्यालय की रंगाई-पोताई कराई जा रही थी। इसी मसले को लेकर नागेंद्र चौहान और नवाज खान पहुंचे। गाली-गलौज, जान से मारने की धमकी देते हुए, उन लोगों के साथ अभद्रता की। फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी देते हुए, कार्यालय का कमरा खाली करने का मना कर दिया। इस मामले में ओबरा पुलिस ने धारा 352, 351(2) बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया गया है।

शांति भंग की आशंका में सात की गिरफ्तारी

पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक नवलेश वर्मा, मणि शंकर पाठक, तारकेश्वर शुक्ला, जय शुक्ला, मंतोष कुमार मांझी, शुभम सिंह पटेल, विभूति शुक्ला को गिरफ्तार कर चालान कर दिया गया। उनके खिलाफ धारा 170, 126, 135 बीएनएसएस के तहत चालान की कार्रवाई की गई है।

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