Sonbhadra News: झरकटा घाटी बनी बगैर परमिट बालू-गिट्टी ढुलाई की सेफ जोन, ऑडियो वायरल होने से मचा हड़कंप

Sonbhadra News: झरकटा के रास्ते गुजरते बालू-गिट्टी लदे वाहनों का वीडियो और इसका विरोध करने वालों को धमकाने का कथित ऑडियो वायरल होने से भी हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।

Update: 2024-02-05 12:30 GMT

झरकटा घाटी बनी बगैर परमिट बालू-गिट्टी ढुलाई की सेफ जोन (न्यूजट्रैक)

Sonbhadra News: कोलिया घाट से जुड़ी झरकटा घाटी बगैर परमिट गिट्टी-ढुलाई करने वालों के लिए सेफ जोन बन गई है। वर्षों से बालू के अवैध खनन-परिवहनकर्ताओं की पनहगार बनी इस घाटी से गुजरने वाला रास्ता अब, बगैर परमिट गिट्टी ढुलाई करने वालों के लिए मुफीद बन गया है। एक वाहन संचालक की तरफ से एक पुलिसकर्मी पर लगाए गए संगीन आरोप को देखते हुए जहां झरकटा घाटी के रास्ते से होने वाले बालू-गिट्टी परिवहन को लेकर मामला खासा चर्चा में बना हुआ है। वहीं, झरकटा के रास्ते गुजरते बालू-गिट्टी लदे वाहनों का वीडियो और इसका विरोध करने वालों को धमकाने का कथित ऑडियो वायरल होने से भी हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में वषों से अवैध परिवहन के लिए मुफीद बने घोरावल के इस इलाके पर, आला अफसरानों की नजर पड़ेगी या फिर सरकार के खजाने को चपत लगाने का पुराना खेल यूं ही चलता रहेगा? चर्चा बनी हुई है।

झरकटा मोड़ के रास्ते से हर दिन गुजर रहे दर्जनों वाहन

घोरावल क्षेत्र के रहवासियों से मिल रही जानकारी पर यकीन करें तो हर दिन ढाई से तीन दर्ज वाहन बगैर परमिट के ही गिट्टी-बालू लेकर इस रास्ते से गुजर रहे हैं। बताया जा रहा है कि जहां गिट्टी लदे वाहन ओबरा-वर्दिया इलाके से आ रहे हैं। वहीं, चोपन से कुड़ारी के बीच चोरी छिपे अवैध खनन के जरिए निकाली जाने वाली बालू, आसानी से इस रास्ते से निकाल ली जा रही है। झरकटा के बाद, मिर्जापुर की सीमा शुरू हो जाने से जहां अवैध खननकर्ता आसानी से सोनभद्र की सीमा से पार हो जाते हैं।

आउटसाइड रास्ता होने के कारण नहीं पड़ पाती अफसरों की नजर

वहीं, चोपन की तरफ से कुड़ारी घाट होकर झरकटा के लिए आने वाला रास्ते का ज्यादातर हिस्सा सोन पार इलाका होने के कारण, आउटसाइड होने के साथ ही, मध्यप्रदेश की सीमा से सटे होंने के कारण आसानी से अफसरों की नजर भी इस रास्ते होने वाले परिवहन पर नहीं पड़ पाती। खनिज वाहनों की चेकिंग के लिए बनी टीम का मूवमेंट ज्यादातर समय हाइवे पर ही रहता है, इस कारण भी इस रास्ते बगैर परमिट निकालने में वाहन चालकों-पासरों को काफी आसानी होती है। इस रूट पर वन विभाग कभी-कभी अपनी हनक जरूर दिखाता है लेकिन वन विभाग की कार्रवाई भी कोरम अदायगी तक ही सिमटी रह जाती है।

कुछ इस तरह मैनेज हो रहा सारा खेल

लेगों के बीच हो रही चर्चाओं पर यकीन करें तो वर्षों से चल रहे इस खेल को मैनेज करने के लिए बाकायदा एक सिस्टम बना हुआ है। बताया जाता है कि इस इलाके में तैनात एक पुलिसकर्मी अपने कथित प्राइवेट सहयोगी के जरिए, यहां से गुजरने वाले वाहनों की सूची बनाता है और लोकल स्तर पर अपने संपर्क-पहुंच का इस्तेमाल कर, लोगों को मैनेज करता है ताकि घोरावल क्षेत्र से होकर वाहनों के गुजारने के खेल की भनक आला अफसरों तक न पहुंचनी पाए। इसके लिए इस रूट से गुजरने वाले बालू-गिट्टी लदे वाहन, चाहे वह परमिट लेकर चलें या बगैर परमिट, उन्हें इंट्री शुल्क के रूप में एक निश्चित रकम की अदायगी करनी पड़ती है। यह बात दीगर है कि परमिट वाले का रेट कम और बगैर परमिट वाले का रेट ज्यादा बताया जाता है।

इस रूट से गुजरने वाले हर वाहन पर नजर रखती है युवाओं की टोली

घोरावल से शिवद्वार की तरफ, जैसे ही कोई नया व्यक्ति वाहन लेकर निकलता है। वैसे ही, पासर ग्रुप से जुड़े दर्जन भर युवाओं की टोली नजर रखनी शुरू कर देती है। रात में इस टोली को विशेष रूप से सक्रिय रखा जाता है। अगर रास्ते में बाइक साइड में लगाकर कोई युवक, बाइक पर ही आराम फरमाता नजर आए और आपके गुजरते ही, उसकी बाइक आपके पीछे लग जाए तो समझ जाइए कि आप पासर ग्रुप की निगरानी में आ चुके हैं।

सत्ता पक्ष के संरक्षण की बनी रहती है चर्चा

अवैध बालू परिवहन के लिए वर्षों से पहचान रखने वाले इस इलाके में इस धंधे से जुड़े लोगों को सत्तापक्ष से जुड़े होने की चर्चा जब-तब सुनने को मिलती रहती है। पहले यह खेल ट्रैक्टर के जरिए होता था। अब उसकी जगह टीपरों ने ले ली है। कुछ वर्ष पूर्व, एक हादसे के बाद बालू लदे ट्रैक्टर को फूंकने, जमकर बवाल काटने के पीछे अवैध बालू परिवहन का ही मामला सुर्खियों में बना रहा था।

जिसने किया विरोध उसे होना पड़ता है चलता

लगभग 15 वर्ष से घोरावल एरिया में जड़ जमाए अवैध बालू परिवहन, अब इसमें गिट्टी परिवहन भी शामिल हो गया है, की जड़ें काफी मजबूत बताई जाती हैं। बताया जाता है कि लोकल स्तर पर कभी किसी थानेदार, क्षेत्राधिकारी या उपजिलाधिकारी द्वारा अड़ंगेबाजी या अंकुश की कोशिश की जाती है तो अवैध परिवहन को संरक्षण देने वाले ग्रुप के रसूख और प्रभाव के चलते उसे यहां से चलता होना पड़ता है। पूर्व में हुए कुछ तबादले-कार्रवाई इसके उदाहरण माने जाते रहे हैं।

हालिया शिकायत के बाद खासा गरमाया हुआ है मामला

पिछले दिन इस कथित परिवहन में घोरावल में तैनात रहे एक पुलिसकर्मी की कथित संलिप्तता को लेकर खासा मामला गरमाया हुआ है। एक वाहन स्वामी की तरफ से जहां एसपी से शिकायत की गई है। वहीं पूर्वांचल नव निर्माण मंच के गिरीश पांडेय की तरफ से ट्वीटर के जरिए डीएम और सोनभद्र पुलिस से हस्तक्षेप की गुहार लगाई गई है। पुलिस का कहना है कि प्रकरण की जांच की जा रही है। जांच से प्राप्त तथ्यों के आधार पर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। अवैध परिवहन के मसले पर जानकारी के लिए ज्येष्ठ खान अधिकारी से संपर्क साधा गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए।

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