Sonbhadra News: कोयला ट्रांसपोर्टरों की नाराजगी के बाद हटाई गई पाबंदी, ओवरलोडिंग-जाम पर बनेगी नई रणनीति
Sonbhadra News: कोयला ट्रांसपोर्टरों का कहना था कि जाम से सबसे ज्यादा प्रभावित रीवा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-39ई) का हिस्सा डिबुलगंज-रेनुकुट-हाथीनाला है।
Sonbhadra News: राखड़ के ओवरलोड परिवहन और अनपरा-रेणुकूट के बीच खराब होकर जहां-तहां खड़े होते मालवाहक वाहनों के चलते बनती भीषण जाम की स्थिति को देखते हुए, जिला प्रशासन की तरफ से सात सात पुराने भारी वाहनों के परिचालन पर लिए गए पाबंदी के निर्णय को वापस ले लिया गया है। कोयला परिवहन से जुड़े ट्रांसपोर्टरों की तरफ से जताई गई तीखी नाराजगी, उठाई गई मांगों और दिए गए तर्कों के दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया है। पाबंदी हटाने के साथ ही कहा गया है कि ओवरलोेडिंग-जाम के मसले पर जल्द ही बैठक आहूत की जाएगी जिसमंें ट्रांसपोर्टरों को भी राख एवं कोयले के परिवहन में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों के समाधान के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
सरकारी प्रवक्ता की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक शक्तिनगर में एनटीपीसी के विभिन्न पावर ऊर्जा संयंत्रों से नॉर्दर्न कोल फील्ड लिमिटेड की चार खदानों से राखड़ तथा कोयले की ढुलान के चलते सामान्य जन को होने वाली कठिनाइयों के दृष्टिगत पिछले दिनों सभी संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई थी। उसमें यह निर्णय लिया गया था कि उक्त कार्य के लिए ट्रांसपोर्टर 7 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों का प्रयोग नहीं करेंगे। 18 नवंबर 2024 को ट्रांसपोर्टरों की तरफ से जिलाधिकारीको ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया गया कि उक्त के परिप्रेक्ष्य में उन्हें आर्थिक कठिनाई हो रही है, तथा परिवहन भी प्रभावित हो रहा है।
फिटनेस प्रमाणपत्र साथ रखने, ओवरलोडिंग न करने के दिए गए दिर्नेश
बताया गया कि डीएम की तरफ से, इस संबंध में एआरटीओ प्रवर्तन से आख्या प्राप्त की गई। आख्या प्राप्त होने के पश्चात सम्यक विचारोपरांत 7 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों से राखड़ एवं कोयले की ढुलाई न कराए जाने के संबंध में लिए गए निर्णय में शिथिलता प्रदान करते हुए ट्रांसपोर्टरों से अपेक्षा की गई है कि वह अपने वाहन का फिटनेस प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से वाहन के साथ रखेंगे। ओवरलोडिंग नहीं करेंगे। ओवरलोडिंग की स्थिति पाए जाने पर संबंधित के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। ताकि दुर्घटनाओं को कम किया जा सके और आमजन को कोयले की राख से होने वाली कठिनाई से राहत प्रदान की जा सके। सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक आगामी बैठक में ट्रांसपोर्टरों को भी राख एवं कोयले के परिवहन में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों के समाधान के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
ट्रांसपोर्टरों का यह था तर्क
कोयला ट्रांसपोर्टरों का कहना था कि जाम से सबसे ज्यादा प्रभावित रीवा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-39ई) का हिस्सा डिबुलगंज-रेनुकुट-हाथीनाला है। इस रोड से प्रतिदिन लाखों टन कोयला व राख का परिवहन भारी मालवाहको से किया जाता है। उक्त मार्ग को फोर लेन/सिक्स लेन बनाये जाने का प्रस्ताव पिछले 10 वर्ष से लंबित है। सडक का आधा हिस्सा गड्ढो मे तब्दील है। इसके चलते कोयला व राख लदे मालवाहक ब्रेकडाउन हो जाते है जो जाम का कारण बनता है। इसके अलावा जाम लगने का मुख्य कारण कोयला आधारित ताप विद्युत परियोजनाओ के राख बंधो/साईलो से ओवरलोड राख लेकर निकलने वाले मालवाहकों का ब्रेकडाउन होना है। दावा किया गया था कि हाल के महीनों में लगे जाम का मुख्य कारण राख का ओवरलोड परिवहन रहा है।
यहां-यहां से राख की ओवरलोडिंग का दावा
डीएम को सौंपे गए पत्रक में ट्रांसपोर्टरों का दावा है कि एनटीपीसी की सिंगरौली सुपर थर्मल पावर स्टेशन परियोजना (शक्तिनगर), रिहन्द सुपर थर्मल पावर स्टेशन (बीजपुर), विंध्याचल सुपर थर्मल पावर स्टेशन (विंध्यनगर ), लैंको अनपरा पावर प्राईवेट लिमिटेड-एमईआईएल परियोजना के राख बंधो व साईलो से राख का परिवहन मालवाहक वाहनों द्वारा किया जा रहा है। दावा किया गया है तिक इन परियोजनाओं के राख बंधे से होने वाली लदान अनुमन्य सीमा से काफी अधिक हो हो रही है। मैनुअल वजन पर्ची देकर ओवरलोड राख का परिवहन कराया जा रहा है। परियोजना स्तर पर कोई अत्याधुनिक तौल कांटा न होने के कारण धड़ल्ले से ओवरलोड जारी है। इसके चलते ओवरलोड राख लेकर निकलने वाले मालवाहक वाहन डिबुलगंज-रेनुकुट-हाथीनाला के बीच ब्रेकडाउन होकर जाम का कारण बन रहे हैं।
हाइवे की मरम्मत, ओवरलोडिंग पर अंकुश है समस्या का हल
कोयला ट्रांसपोर्टरों का कहना था कि हाथीनाला से अनपरा के बीच स्थित नेशनल हाइवे की मरम्मत औैर मैनुअल पर्ची के जरिए, मनमाने तरीके से हो रही राख की लोडिंग पर अंकुश ही जाम और हादसे पर नियंत्रण का सही निदान है। कोयला परिवहन अंडरलोड होने का दावा किया गया था। साथ ही कहा था कि कोयले का अधिकांश परिवहन डिबुलगंज से पहले तक सिमटा हुआ है।