Sonbhadra News: एनजीटी की रोक को दरकिनार कर यूपी-एमपी की सीमा पर खनन, वीडियो वायरल, चेयरमैन को भेजी गई शिकायत
Sonbhadra News: नदी में हो रहे खनन का एक कथित वीडियो भी वायरल किया जा रहा है। इस वीडियो को यूपी एमपी सीमा पर स्थित ठठरा में सोन नदी के बीच, किए जा रहे खनन का बताया जा रहा है, जिसको लेकर तरह-तरह की चर्चा बनी हुई है।
Sonbhadra News: यूपी-एमपी की सीमा पर ठठरा में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की रोक को दरकिनार कर खनन किए जाने का आरोप लगाया गया है। इसको लेकर एक शिकायती पत्र भी एनजीटी के चेयरमैन को भेजा गया है। जिसमें सोन घड़ियाल सेंच्युरी से एक किमी से भी कम दूरी होने के बावजूद, नदी के बीच में पोकलेन मशीन चलाने और एमपी से आवंटित हुए खनन पट्टे की आड़ में यूपी में खनन का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की गुहार लगाई गई है। पत्र के साथ, नदी में हो रहे खनन का एक कथित वीडियो भी वायरल किया जा रहा है। इस वीडियो को यूपी एमपी सीमा पर स्थित ठठरा में सोन नदी के बीच, किए जा रहे खनन का बताया जा रहा है, जिसको लेकर तरह-तरह की चर्चा बनी हुई है।
बताया गया है कि सोनभद्र की सीमा से सटे एमपी में सिंगरौली से सीधी जनपद तक सोन नदी की एरिया घड़ियाल अभयारण्य के रूप में संरक्षित है। आरोप लगाया गया है कि अभयारण्य के बफर जोन को महज एक किमी की दूरी पर स्थित होने का लाभ लेकर, यूपी-एमपी सीमा पर तेजी से बालू खनन किया जा रहा है। बताते चलें कि पिछले महीने एनजीटी ने एक याचिका की सुनवाई करते समय, सोन नदी में बालू खनन पर रोक लगाई थी, जिसमें तीन साइटों पर लगी रोक पर, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से स्थगन आदेश दिया गया है लेकिन शेष जगहों को लेकर अभी कोई आदेश सामने नहीं आया है।
दावा किया जा रहा है कि यूपी की तरह एमपी की सीमा में भी सोन नदी में हो रहे खनन पर एनजीटी का निर्देश प्रभावी है लेकिन इसको दरकिनार कर बालू खनन जारी है। यूपी-एमपी सीमा पर सोन नदी में किए जा रहे खनन को लेकर एक वीडियो शनिवार को सोशल मीडिया पर वायरल होता रहा, जिसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं बनी रहीं।
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गलत डीपीआर के जरिए पट्टा हासिल करने का आरोप
डाला क्षेत्र में एक फर्म पर पहले से गहरी खदान की, स्थिति अच्छी होने की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर पत्थर खनन पट्टा हासिल करने का आरोप लगाया गया है। अधिकारियों को भेजी शिकायत में, मामले की जांच कर कार्रवाई की गुहार लगाई है। लगाए जा रहे आरोपों के बाबत, संबंधित पट्टाधारक से कॉल और मैसेज के जरिए, पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन, इस मामले पर किसी तरह का जवाब देने से कन्नी काट ली गई।