Sonbhadra : नियमों को ताक पर रखकर पत्थर खनन मसला: जिला प्रशासन ने कहा-ऑल इज ओके, यूपीपीसीबी का दावा-पर्यावरण नियमों का उल्लंघन
Sonbhadra News: क्षेत्र के कुछ पत्थर खदानों में नियमों को ताक पर रखकर पत्थर खनन के आरोप और इसको लेकर एनजीटी में दाखिल याचिका पर जिला प्रशासन और यूपीपीसीबी की तरफ से सौंपी गई रिपोर्ट में विरोधाभासी स्थितियां सामने आई है।;
Sonbhadra News : ओबरा-डाला खनन क्षेत्र के कुछ पत्थर खदानों में नियमों को ताक पर रखकर पत्थर खनन के आरोप और इसको लेकर एनजीटी में दाखिल याचिका पर जिला प्रशासन और यूपीपीसीबी की तरफ से सौंपी गई रिपोर्ट में विरोधाभासी स्थितियां सामने आई है। संयुक्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन की तरफ से सौंपी गई रिपोर्ट में जहां करीब-करीब ऑल इज ओके यानी लगभग चीजें सही मिलने का दावा किया गया है। वहीं, यूपीपीसीबी की तरफ से सौंपी रिपोर्ट में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन पाया जाना बताते हुए दो पत्थर खदानों पर 10-10 हजार की दर से पर्यावरण क्षतिपूर्ति और एक खदान में, राज्य बोर्ड से स्थिति क्लीयर होने/नया निर्देश आने तक कार्य बंदी की सिफारिश की गई है। अब इस पर एनजीटी की तरफ से क्या निर्णय आता है? इस पर निगाहें टिकी हुई हैं।
इन-इन खदानों से जुड़ा बताया जा रहा मामला
प्रकरण मेसर्स श्री कृष्णा माइनिंग, मेसर्स साईं बाबा स्टोन, मेसर्स मां कामाख्या स्टोन वर्क्स से जुड़ा हुआ है। डीएम की तरफ से गठित की गई संयुक्त समिति ने 12 नवंबर 2024 को प्रश्नगत खदानों का निरीक्षण किया गया था। टीम में खान सुरक्षा निदेशक (भारत सरकार), वाराणसी क्षेत्र, वाराणसी, उप जिलाधिकारी, ओबरा, प्रभारी अधिकारी, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग, क्षेत्रीय कार्यालय, सोनभद्र, क्षेत्रीय अधिकारी यूपीपीसीबी, ज्येष्ठ खान अधिकारी, उप प्रभागीय वनाधिकारी, ओबरा वन प्रभाग और खनिज सर्वेक्षक को शामिल किया गया था। टीम के तरफ से जो रिपोर्ट सौंपी गई और इस रिपोर्ट के आधार पर डीएम की तरफ से एनजीटी में जो रिपोर्ट दाखिल की गई उसमें दावा किया गया कि निरीक्षण के समय खनन कार्य बंद मिला लेकिन जांच करने पर खनन कार्य स्वीकृत क्षेत्र के अन्तर्गत किया जाना पाया गया।
प्रशासन की रिपोर्ट में कहा गया: सब कुछ पाया गया सही
खनन कार्य से किसी आवासीय / सार्वजनिक भवन अथवा प्राकृतिक नाला को क्षति पहुंचाना नहीं पाया गया है न ही वन भूमि व वन भूमि से छोड़े गए सुरक्षित क्षेत्र में खनन कार्य किया जाना पाया गया।ं हैवी ब्लास्टिंग का कोई चिन्ह न मिलने का दावा किया गया। संबंधित पट्टा क्षेत्र से निकले उप खनिज डोलो स्टोन को टीपरों के द्वारा स्टोन क्रशर पर ले जाकर क्रश किए जाने और वहां पर वाटर स्प्रिंकलर मशीन लगे होने की बात कही गई। कहा गया कि पट्टा क्षेत्र एवं उप खनिज के निकासी मार्ग पर नियमित रूप से पानी के छिड़काव का निर्देश दिया गया है। पट्टा क्षेत्र में कार्य कर रहे श्रमिकों द्वारा मास्क, शूज, सेफ्टी बेल्ट इत्यादि सुरक्षा उपकरणों का उपयोग किया जाता है। खनन कार्य खान सुरक्षा निदेशालय, वाराणसी से अनुमति प्राप्त खान प्रबंधक/फोरमैन/ ब्लास्टर की देख-रेख में बेंच बनाते हुए किए जाने की बात कही गई।
चार दिन पूर्व के निरीक्षण में यूपीपीसीबी ने बताया नियमों का उल्लंघन
एनजीटी में यूपीपीसीबी की तरफ से जो दूसरी रिपोर्ट दाखिल किया गया है उसमें बताया गया है कि यूपीपीसीबी ने संबंधित खदानों का आठ नवंबर 2024 यानी संयुक्त समिति की जांच से चार दिन पूर्व निरीक्षण किया गया था। मेसर्स श्री कृष्णा माइनिंग वर्क्स (माइनिंग प्रोजेक्ट) के पक्ष में स्वीकृत 8.79 एकड़ के पट्टे के बारे में रिपोर्ट दी गई है कि एनजीटी की तरफ से पहली मार्च 2023 को बिना राज्य बोर्ड की सहमति के संचालित उक्त इकाई के विरूद्ध कार्रवाई के लिए कहा गया था। इसके क्रम में 18 अप्रैल 2023 को यूपीपीसीबी की तरफ से पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित किये जाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी की गई थी जो निरीक्षण तक प्रभावी थी। निरीक्षण के समय खनन परियोजना के चारों ओर जिओ को-आर्डिनेट्स अंकित पिलर स्थापित नहीं पाए गए। लीज क्षेत्र के सीमा के चारों तरफ फेसिंग भी निरीक्षण के समय स्थापित नहीं पाई गई। माइनिंग स्थल पर निर्धारित प्लांटेशन, वॉटर स्प्रिंकलर-डस्ट सप्रेशन, सेप्टिक टैंक की व्यवस्था भी स्थापित नहीं मिली। दावा किया गया कि खनन परियोजना द्वारा राज्य बोर्ड से निर्गत सहमति आदेश में अधिरोपित शर्तों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। ऐसा निरीक्षण के समय पाये गए तथ्यों से परिलक्षित हुआ। मेसर्स मेसर्स साईं बाबा स्टोन, मेसर्स मां कामाख्या स्टोन में भी इसी तरह की खामियां पाए जाने की बात कही गई।
इन-इन कार्रवाई की हुई सिफारिश, एनटीपीसी के निर्णय पर टिकी निगाहें
सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि मेसर्स श्री कृष्णा माइनिंग वर्क्स (माइनिंग प्रोजेक्ट) के गाइड लाइन के मुताबिक सुधारात्मक कार्रवाई होने तक, निरीक्षण तिथि से 10 हजार प्रतिदिन की दर से पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित किए जाने के सिफारिश के साथ वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 (यथासंशोधित) की धारा 31-ए के अंतर्गत कारण बताओ नोटिस जारी की गई है।
साई बाबा स्टोन वर्क्स (डोलो स्टोन माइनिंग प्रोजेक्ट) संचालन अस्थाई रूप से बंद होने के कारण तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जारी सहमति शर्तों का अनुपालन नहीं किये जाने के कारण बोर्ड मुख्यालय स्तर से सहमति शर्तों का अनुपालन किए जाने तक माइनिंग कार्य बंद रखे जाने के संबंध में, वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 (यथासंशोधित) के अंतर्गत नोटिस/निर्देश निर्गत किए जाने का दावा किया गया है। इसी तरह मेसर्स कामाख्या स्टोन वर्क्स (डोलो स्टोन माइनिंग प्रोजेक्ट) पर भी निरीक्षण तिथि से सुधारात्मक कार्यवाही होने तक, प्रतिदिन 10 हजार की दर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित किए जाने की सिफारिश और वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधनियम, 1981 (यथासंशोधित) की धारा 31-ए के अन्तर्गत कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने की बात कही गई है।