Sonbhadra News: अद एस के पूर्व विधायक के पुत्र को हाईकोर्ट से जमानत, शादी का वायदा कर शारीरिक संबंध-मारपीट का आरोप

Sonbhadra News: न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की बेंच ने संबंधित न्यायालय में आरोपी को एक व्यक्तिगत बांड और समान राशि के दो जमानतदार प्रस्तुत करने के बाद जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।;

Update:2025-02-20 09:40 IST

Sonbhadra News (Photo Social Media)

Sonbhadra News: शादी का वायदा कर शारीरिक संबंध बनाने, दबाव बनाने पर जबरिया दुष्कर्म करते हुए मारपीट करने के आरोप में जिला कारागार में बंद अपना दल एस के पूर्व विधायक हरिराम चेरो के पुत्र की जमानत हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली है। मामला दुद्धी कोतवाली में दर्ज दुष्कर्म और मारपीट के केस से जुड़ा हुआ है। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की बेंच ने संबंधित न्यायालय में आरोपी को एक व्यक्तिगत बांड और समान राशि के दो जमानतदार प्रस्तुत करने के बाद जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। रिहाई आदेश जारी करने से पहले, जमानतदारों के सत्यापन के लिए कहा गया है।

बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनाया फैसला:

हाई कोर्ट की बेंच के सामने बचाव पक्ष की तरफ से अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा और अभियोजन पक्ष की तरफ से राज्य विधि अधिकारी राजेंद्र प्रसाद सिंह ने दलीलें पेश की। बेंच ने पाया कि धारा 115(2), 352, 351(3), 64(2)(एम) बीएनएस के तहत दर्ज केस और मामले के विचारण रहने के दौरान आरोपी की तरफ से, जमानत मांगी गई है। अभियोजन पक्ष का कहना था कि आरोपी ने पीड़िता से शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध स्थापित किया और बाद में वादा पूरा करने से इंकार कर दिया।

 शादी का झूठा वायदा करके शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार नहीं : बचाव पक्ष

वहीं जमानत याचिका बाकी करने वाले आरोपी के अधिवक्ता एके मिश्रा का कहना था कि आरोपी पूर्णतः निर्दोष है। उसे फंसाया गया है। ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है जिससे पता चले कि आवेदक ने शुरू से ही पीड़िता को गुमराह किया। सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध को आपराधिक मामले में बदल दिया गया है। पीड़िता के बयान के अनुसार वह लगभग 20 वर्ष की वयस्क है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से वर्ष 2022 में पारित निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया कि शादी का झूठा वायदा करके किसी व्यक्ति के साथ किसी भी तरह का शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार नहीं कहा जा सकता।

शादी का वायदा सच्चा था या झूठा, ट्रायल कोर्ट निकालेगी निष्कर्ष : हाईकोर्ट

हाई कोर्ट की बेंच ने इस मसले पर अपनी राय जाहिर करने से परहेज करते हुए कहा कि मामला इस बात पर टिका है कि आवेदक का शादी का वादा सच्चा था या झूठा और शारीरिक संबंध सहमति से बने थे या नहीं। निष्कर्ष निकालना ट्रायल कोर्ट का काम है जो उसके सामने पेश किए गए सबूतों और कानून के अनुसार उसकी व्याख्या पर निर्भर करेगा। मामले के तथ्यों, परिस्थितियों, पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा दिए गए तर्कों, सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से स्थापित किए गए विधि सिद्धांतों को दृष्टिगत रखते हुए आरोपी जमानत का अधिकारी है।

 शर्तों का पालन न करने पर जमानत कर दी जाएगी रद्द:

हाई कोर्ट की बेंच ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश देने के साथ ही जमानत की कई शर्तें भी तय कीं। हिदायत दी गई थी आरोपी साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा। मामले की सुनवाई शुरू करने, आरोप तय करने, धारा 313 सीआरपीसी/351 बीएनएसएसएस के तहत बयान दर्ज करने के लिए निर्धारित तारीखों पर ट्रायल कोर्ट के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहेगा। यदि ट्रायल कोर्ट की राय में आवेदक/आरोपी की अनुपस्थिति जानबूझकर या बिना पर्याप्त कारण के है, तो ट्रायल कोर्ट के लिए इस तरह की चूक को जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग मानना ​​और कानून के अनुसार उसके खिलाफ कार्यवाही करने का विकल्प खुला रहेगा। उपरोक्त शर्तों का जमानत रद्द करने का आधार माना जाएगा।

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