Sonbhadra News: बगैर वन विभाग की सहमति पर डोंगिया जलाशय पर नहीं हो सकेगा कार्य, NGT में दाखिल की गई रिपोर्ट

Sonbhadra News: पिपरी नगर पंचायत के एक व्यक्ति की ओर से गत मई माह में एनजीटी को एक शिकायत भेजी गई थी जिसमें कहा गया था कि डोंगिया जलाशय और उसके आस-पास रिजर्व फारेस्ट की एरिया में बगैर अनुमति कई कार्य कराए गए हैं और आगे कराए जा रहे हैं।

Update:2024-08-22 20:20 IST

Sonbhadra News (Pic: Newstrack) 

Sonbhadra News: पिपरी नगर पंचायत क्षेत्र के तुर्रा के पास रिहंद डैम से जुड़े डोंगिया जलाशय में पर्यटन विकास संबंधी कार्य, क्रिया-कलापों के लिए वन विभाग की सहमति आवश्यक है। एनजीटी के निर्देश पर की गई जांच और सामने आए तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए, डीएम की तरफ से रिपोर्ट एनजीटी में दाखिल कर दी गई है। वहीं, बगैर अनुमति कराए गए कार्यों पर, वन विभाग की ओर से कार्रवाई की प्रक्रिया अपनाए जाने की जानकारी दी गई है।

वह मामला, जिसको लेकर एनजीटी ने तलब की थी रिपोर्ट

पिपरी नगर पंचायत के एक व्यक्ति की ओर से गत मई माह में एनजीटी को एक शिकायत भेजी गई थी जिसमें कहा गया था कि डोंगिया जलाशय और उसके आस-पास रिजर्व फारेस्ट की एरिया में बगैर अनुमति कई कार्य कराए गए हैं और आगे कराए जा रहे हैं। जलाशय के बीच स्थित टापू सरीखी जगह को मगरमच्छों का मिलन स्थल होने का दावा करते हुए, उस पर स्थित पेड़ों की अवैध तरीके से कटाई करते हुए, संबंधित जमीन पर रेस्टारेंट खोलने की कवायद की जानकारी दी गई थी। इसके अलावा अन्य कई संवेदनशील मुद्दों का जिक्र करते हुए हस्तक्षेप की गुहार लगाई गई थी।

नौका संचालन संस्था की तरफ से भी कई दावों का उल्लेख

एनजीटी को भेजी शिकायत में इस बात का भी दावा किया गया था कि नौका संचालन कर रही संस्था ने यहां की स्थिति और मगरमच्छ जैसे जीवों की अच्छी-खासी मौजूदगी को देखते हुए, जिला पर्यटन अधिकारी को पत्र भेजकर डोंगिया जलाशय पिपरी में, पर्यटन संबंधी क्रिया कलाप न करने संबंधी सुझाव/रिपोर्ट दिया गया था। इस बात का भी दावा किया गया है कि संबंधित पत्र को दृष्टिगत रखते हुए डीएम ने जहां नौका संचालन बंद करा दिया था। वहीं, वन क्षेत्र पर कथित अवैध कब्जे-पेड़ कटान को लेकर वन विभाग की तरफ से नगर पंचायत पिपरी के ईओ सहित अन्य जिम्मेदारों और उनसे जुड़े लोगों पर केस भी दर्ज किया गया है।

इनको-इनको रिपोर्ट सौंपने का दिया गया था निर्देश

प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए प्रमुख सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, राज्य सरकार के प्रतिनिधि, सदस्य सचिव, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिलाधिकारी और प्रभागीय वन अधिकारी को मामले को लेकर बैठक करने, साइट का दौरा करने, आवेदक की शिकायतों पर गौर करने, तथ्यात्मक स्थिति को सत्यापित करने और उचित उपचारात्मक कार्रवाई का सुझाव देने का निर्देश दिया गया था।

वन विभाग की पूर्व अनुमति बिना नहीं हो सकती विकास गतिविधि

एनजीटी में डीएम की तरफ से दाखिल रिपोर्ट में अवगत कराया गया है कि संबंधित क्षेत्र में पेड़ों की कटाई और सड़क के चौड़ीकरण के संबंध में वन विभाग की तरफ से कार्रवाई शुरू की गई है। साथ ही संयुक्त समिति की तरफ से सुझाव दिया गया है कि संबंधित स्थल पर वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत वन विभाग की पूर्व अनुमति के बिना नगर पंचायत-पिपरी द्वारा कोई भी विकास गतिविधि नहीं की जानी चाहिए।

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