Sonbhadra News: त्रिवेणी संगम का सीना चीरकर निकाली जा रही बालू, पर्यावणीय मानक भी तार-तार, वीडियो वायरल

Sonbhadra News: बताते हैं कि राज्यसभा सांसद की तरफ से भी त्रिवेणी संगम स्थल पर बालू खनन को लेकर सवाल उठाए गए थे। सितंबर माह में उनकी तरफ से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण तथा श्रम रोजगार मंत्री कार्यालय में पत्र भी सौंपा गया था।

Update:2023-10-24 19:59 IST

Sonbhadra Sand Mining News (Photo - Social Media)

Sonbhadra Sand Mining News: ओबरा तहसील क्षेत्र के सिंदुरिया के पास स्थित रेणुका पुल के नजदीक स्थित सोन-रेणु-बिजुल संगम स्थल का सीना चीरकर बालू निकाला जा रहा है। इसको लेकर कई वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। वीडियो भगवा साइट से जुड़ा बताया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि सोन नदी और रेणुका नदी के संगम वाले स्थल पर नाव पर लदी पाइप और पंप के जरिए नदी की बीच धारा से बालू खिंचकर किनारे लाई जा रही है और यहां से पोकलेन के जरिए उसे, ट्रकों पर लोड कर भेजा जा रहा है।

बताते चलें कि रेणुका पुल के समीप भगवा नामक स्थान पर 14.980 हेक्टेअर एरिया में बालू की साइट आवंटित की गई है। गत एक अक्टूबर से खनन कार्य भी जारी है। क्षेत्रीय ग्रामीणों के मुताबिक इस बालू साइट की आड़ में सोन नदी से रेणुका नदी के मिलन स्थल पर, नाव की श्रृंखला जोड़कर, पाइप के जरिए नदी की धारा से बालू निकाली जा रही है। इसको लेकर पिछले दो दिन से वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। कुछ तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिसमें नाव पर पाइप बिछी दिख रही हैं। पिछले सीजन में भी यहां इसी तरह की तस्वीर सामने आई थी, जिसको लेकर खनन विभाग की टीम ने यहां छापेमारी भी की थी और दो बार में 71 लाख रूपये से अधिक का जुर्माना लगाया था।

राज्यसभा सांसद भी उठा जा चुके हैं सवाल

बताते हैं कि राज्यसभा सांसद की तरफ से भी त्रिवेणी संगम स्थल पर बालू खनन को लेकर सवाल उठाए गए थे। सितंबर माह में उनकी तरफ से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण तथा श्रम रोजगार मंत्री कार्यालय में पत्र भी सौंपा गया था। इससे पूर्व विहिप के नेता भी सवाल उठा चुके हैं और त्रिवेणी, संगम से सटे बालू खनन को आस्था पर चोट बताया है।

अच्छे मुनाफे के लिए अपनाया जा रहा यह रास्ता

लोगों की मानें तो सोन नदी से आने वाली बालू की गुणवत्ता, रेणुका नदी के बालू से अच्छी है। संगम क्षेत्र में यह बालू रेणुका नदी की एरिया में भी आकर जम जाती है। इस बालू को निकालने तथा बालू पूरी तरह साफ और क्वालिटी युक्त हो, इसके लिए धारा के बीच में नाव पर मोटर लगाकर पाइप के जरिए बालू किनारे पहुँचाई जाती है और यहां से इसे पोकलेन के जरिए ट्रक पर लोड किया जाता है। बाजार में इस बालू की अच्छी मांग बताई जाती है। इस कारण, बालू निकासी का यह तरीका काफी पसंद किया जा रहा है।

जलीय पर्यावरण को पहुंच रहा नुकसान, संबंधित उदासीन

बालू साइट पर खनन नियमों-निर्देशों का पालन किया जा रहा है कि नहीं, इसके देखरेख की जिम्मेदारी जहां, खनन विभाग की है। वहीं, खनन से जलीय पर्यावरण के संरक्षण की जिम्मेदारी प्रदूषण नियंत्रण विभाग की है । लेकिन जिस तरह से वायरल वीडियो में बालू निकासी का दृश्य दिख रहा है, उसको लेकर विभागीय कार्यशैली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। खान अधिकारी राजबहादुर सिंह का फोन पर कहना था कि तीन दिन से वह आगरा में है। वह विभगीय स्तर पर मामले की जानकारी कर रहे हैं। लौटते ही प्रकरण की जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी आरके सिंह का कहना था कि यह अवैध खनन का मामला है। पहले माइंस विभाग को चाहिए कि कार्रवाई करें। पर्यावरण को क्षति पहुंची होगी उसके मामले में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय जांच कर कार्रवाई करेगा।

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