मचा सियासी घमासान: कानून-व्यवस्था पर हंगामा, सपा और बसपा का वाकआउट
विधान परिषद में शुक्रवार को प्रश्नकाल शुरू होते ही सपा सदस्यों ने के नरेश चंद्र उत्तम ने प्रदेश की ध्वस्त कानून-व्यवस्था, बाढ़ की बिगड़ती स्थिति और कोरोना संक्रमण के बेकाबू होते हालात पर सदन की कार्यवाही रोक कर चर्चा कराने की मांग को लेकर सरकार विरोधी नारेबाजी और हंगामे के कारण सभापति ने सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।
लखनऊ: विधान परिषद में शुक्रवार को प्रश्नकाल शुरू होते ही सपा सदस्यों ने के नरेश चंद्र उत्तम ने प्रदेश की ध्वस्त कानून-व्यवस्था, बाढ़ की बिगड़ती स्थिति और कोरोना संक्रमण के बेकाबू होते हालात पर सदन की कार्यवाही रोक कर चर्चा कराने की मांग को लेकर सरकार विरोधी नारेबाजी और हंगामे के कारण सभापति ने सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर शून्यकाल में 105 के तहत प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा को लेकर सपा और बसपा की अलग-अलग सूचनाओं पर सपा और बसपा सदस्यों ने वाकआउट किया।
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नरेश चंद्र उत्तम ने कहा ये
विधान परिषद में प्रश्नकाल शुरू होते ही सपा के नरेश चंद्र उत्तम ने प्रदेश की ध्वस्त कानून-व्यवस्था, बाढ़ की बिगड़ती स्थिति और कोरोना संक्रमण के बेकाबू होते हालात पर सदन की कार्यवाही रोक कर चर्चा कराने की मांग की। इसी बीच सपा के सदस्यों ने सभापति के आसन के सामने आकर सरकार विरोधी नारेबाजी और हंगामा शुरू कर दिया। सभापति रमेश यादव के समझाने पर भी सपा सदस्यों के शांत न होने और लगातार नारेबाजी किए जाने पर सभापति ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर शून्यकाल में नियम 105 के तहत सपा और कांग्रेस की कानून-व्यवस्था के संबंध में दी गई सूचना की ग्राह्यता पर बोलते हुए सपा के नरेश उत्तम ने कहा कि पूरे प्रदेश में जंगलराज है, कानून नाम की कोई चीज नहीं है। कानपुर में संजीत यादव का शव अभी तक नहीं मिला है। पुलिस पूरी तरह से निरकुंश हो गई है। 03 साल में जितनी भी बड़ी घटनाएं हुई किसी की भी रिपोर्ट नहीं आयी। पूरे प्रदेश में पुलिसिया तांडव से कई विधायक परेशान है। कांग्रेस के दीपक सिंह ने कहा कि यूपी में लोकतंत्र की मर्यादा का चीरहरण हो रहा है। दर्जनों जिलों में अधिवक्ताओं की हत्या हुई है और तमाम अधिकारी सुरक्षा मांग रहे है। यूपी में लोकतंत्र की हत्या हो रही है।
नेता सदन डा. दिनेश शर्मा ने कहा
सूचना का जवाब देते हुए नेता सदन डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश में कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घटी है। विपक्षी दलों ने जिन जिलों का उल्लेख किया है वहां अपराधी पकड़े गए है। नेता सदन के कहा कि विपक्षी दल एक ओर जातिगत आरक्षण की मांग की पट्टी लगा कर घूमता है और दूसरी ओर कहता है कि ब्राहम्णों पर अत्याचार नहीं सहेंगे। अपराधी की कोई जाति-धर्म नहीं होता है। विपक्ष दुष्प्रचार करके शासन-सत्ता का सुख भोगने का सपना देख रहा है, उनका सपना पूरा नहीं होने वाला।
नेता सदन ने कहा कि यूपी में क्राइम रेट कम हुआ है। पूरे भारत में क्राइम रेट 2.4 प्रतिशत है और यूपी में 1.8 है। दो-चार घटनाओं को छोड़ दिया जाये तो पूरे प्रदेश में अमन-चैन और शांति है। वर्ष 2016 में सपा सरकार की तुलना में हमारी सरकार में डकैती की घटनाओं में 74 प्रतिशत, हत्या में 26 प्रतिशत, लूट में 65 प्रतिशत, अपहरण में 54 प्रतिशत, गृहभेदन में 12 प्रतिशत तथा रोड़ हेल्डअप में 100 प्रतिशत की कमी आयी है। सरकार के जवाब से असंतुष्ट सपा सदस्यों ने वाकआउट किया। अधिष्ठाता सुरेश कुमार त्रिपाठी ने कार्यस्थगन अस्वीकार कर सूचना को सरकार को आवश्यक कार्यवाही के लिए संदर्भित किया।
बसपा ने कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा की मांग की
शून्यकाल में ही बसपा ने कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा की मांग की। सूचना की ग्राह्यता पर बसपा सदस्य दिनेश चंद्रा और सुरेश कश्यप ने अपने बात सदन में रखी। सरकार की ओर से जवाब देते हुए नेता सदन डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि सरकार जाति के आधार पर अपराधियों को संरक्षण नहीं दे सकती, हम जाति के आधार पर वोट नहीं लेते। नेता सदन ने कहा कि 2012 में बसपा सरकार में डकैती की 150, हत्या की 2892, लूट की 1731 तथा फिरौती की 42 घटनायें हुई थी।
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जबकि मौजूदा सरकार में वर्ष 2020 में 31 जुलाई तक डकैती की 38, हत्या की 2032, लूट की 792 तथा फिरौती की 32 घटनाएं हुई है। नेता सदन के कहा कि इस सरकार में अपराधों में कम आयी है। सरकार पूरी पारदर्शिता से काम कर रही है, सरकार किसी जाति के आधार पर काम नहीं करती। सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर बसपा सदस्यों ने वाकआउट किया। अधिष्ठाता सुरेश कुमार त्रिपाठी ने कार्यस्थगन अस्वीकार कर सूचना को सरकार को आवश्यक कार्यवाही के लिए संदर्भित किया।
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