UP News: कौन हैं ये सपा विधायक? जिसने स्वामी प्रसाद के खिलाफ खोला मोर्चा, बोले- पार्टी से निकालें या पद छींने...

Ramcharitmanas Row: सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने स्वामी प्रसाद पर हमला बोलते हुए कहा कि राजनीति रहे न रहे, विधायक रहूँ न रहूँ, आगे टिकट रहे न रहे, लेकिन जब धर्म पर उँगली उठेगी तो मैं चुप नहीं रहूँगा।

Report :  Jugul Kishor
Update:2023-02-12 13:22 IST

सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह (फोटो: सोशल मीडिया)

Ramcharitmanas Row: रामचरितमानस पर समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा की गई विवादित टिप्पणी के बाद से पार्टी के अंदर ही विरोध शुरु हो गया है। अमेठी के गौरीगंज से समाजवादी पार्टी के विधायक राकेश प्रताप सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर निशाना साधते हुए कहा कि भगवान श्रीराम के चरित्र पर टिप्पणी करने वाला न तो सनातनी हो सकता है और न ही समाजवादी हो सकता है। वो सिर्फ एक विक्षिप्त प्राणी ही हो सकता है। विधायक ने कहा कि जब भी कोई भगवान श्रीराम पर टिप्पणी करेगा तो मैं उसका मुखर होकर विरोध करुंगा।

सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होने स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमला बोलते हुए कहा है कि राजनीति रहे न रहे, विधायक रहूँ न रहूँ, आगे टिकट रहे न रहे, लेकिन जब धर्म पर उँगली उठेगी तो मैं चुप नहीं रहूँगा। श्री राम पर टिप्पणी करने वाला सनातनी और समाजवादी नहीं हो सकता। कोई विक्षिप्त प्राणी ही श्रीराम पर टिप्पणी कर सकता है। श्रीराम और श्रीकृष्ण पर टिप्पणी करने वालों का विरोध करूँगा। श्री राम चरित्रमानस पर टिप्पणी करने वालों को भगवान सद्बुद्धि दें।

सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने ये बातें गौरीगंज में आयोजित रामकथा के दौरान कही। उन्होने कहा कि ये मेरा दुर्भाग्य है कि स्वामी प्रसाद मौर्या हमारे दल के नेता हैं और प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होने कहा कि धर्म पर जब भी कोई कुठाराघात करेगा, मानस पर जब भी कोई टिप्पणी करेगा और राम-कृष्ण को जाने बिना कोई विरोध करेगा, तो वो विरोध करेंगे। 

जानें स्वामी प्रसाद मौर्य ने क्या कहा था?

बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने मानस पर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा था कि रामचरित मानस को बैन कर देना चाहिए। उन्होने कहा कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ ऐसे अंश हैं, जिन पर हमें आपत्ति है। क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का कोई अधिकार नहीं है। मानस की चौपाई है जिसमें शूद्रों को अधम जाति होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। इस पूरे विवाद की शुरुआत बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के बयान के बाद से शुरु हुई है। 

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