UP News: प्रदेश सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन के लिए मांगे सुझाव, कर्मचारियों के हित में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव

UP News: भारत में कोई राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन नीति नहीं है, जिसके कारण विभिन्न राज्यों में अलग-अलग न्यूनतम वेतन निर्धारित किया जाता है।;

Report :  Virat Sharma
Update:2025-02-16 11:45 IST

UP News Today State Government Asked For Suggestions For the Formation of the Eighth Pay Commission

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन के बाद राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद से सुझाव मांगे हैं। परिषद ने प्रदेश के लगभग 12 लाख राजपत्रित और गैर-राजपत्रित कर्मचारियों के लिए सुझाव भेजे हैं, जिन्हें 15 फरवरी को वित्त विभाग के विशेष सचिव पुष्पराज सिंह के साथ विचार विमर्श किया गया। परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी और महामंत्री अरुणा शुक्ला ने इस बैठक में कर्मचारियों के हित में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने सुझाव दिए।

राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन नीति लागू की जानी चाहिए

जेएन तिवारी ने बताया कि भारत में कोई राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन नीति नहीं है, जिसके कारण विभिन्न राज्यों में अलग-अलग न्यूनतम वेतन निर्धारित किया जाता है। उनका मानना है कि राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन नीति लागू की जानी चाहिए और 2019 के न्यूनतम मजदूरी कोड को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, परिषद ने आठवें वेतन आयोग से यह उम्मीद जताई है कि न्यूनतम वेतन का निर्धारण एकरॉयड फार्मूले के आधार पर किया जाएगा, जिससे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को बेहतर जीवन जीने का अवसर मिलेगा। इसके अंतर्गत, न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये तक और पेंशन को 9,000 रुपये से बढ़ाकर 30,000 रुपये तक करने का प्रस्ताव रखा गया है।

परिवहन भत्ता को दोगुना किया जाए

वेतन आयोग के तहत परिषद ने कर्मचारियों के लिए 3.33 का फिटमेंट फार्मूला और 2700 कैलोरी के भोजन के हिसाब से वेतन निर्धारण का सुझाव दिया है। इसके अलावा, नगर प्रतिकर भत्ते को समाप्त करने की बात पर परिषद ने यह सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश में परिवहन भत्ता को दोगुना किया जाए। आवास भत्ता, यूनिफॉर्म एलाउंस, यात्रा भत्ता, शिक्षा भत्ता, व्हीकल भत्ता और अन्य भत्तों को केंद्र सरकार की दरों के समान पांच गुना बढ़ाने की मांग भी की गई है।

संविदा शिक्षकों को नियमित किया जाए

संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की नीति बनाने का भी प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें 2001 के बाद संविदा कर्मियों के नियमितीकरण नियमावली का प्रख्यापन न होने पर विचार किया गया। परिषद ने यह सुझाव दिया कि 2008 से समाज कल्याण एवं जनजाति विकास विभाग में कार्यरत 1100 संविदा शिक्षकों को नियमित किया जाए।

सातवें वेतन आयोग की तरह, आठवें वेतन आयोग से भी कर्मचारियों को लाभ 1 जनवरी 2026 से देने की मांग की गई है। इसके साथ ही, कर्मचारियों के वेतन में सालाना 5 प्रतिशत की वृद्धि की सिफारिश भी की गई है। एसीपी व्यवस्था के तहत सेवा की अवधि के अनुसार पदोन्नति की सिफारिश और कर्मचारियों के लिए पेंशन में वृद्ध‍ि का सुझाव भी परिषद द्वारा दिया गया है।

आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करने के प्रस्ताव

महिला कर्मचारियों के लिए रात्रिकालीन ड्यूटी से छूट, चाइल्ड केयर लीव की सीमा बढ़ाने और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करने के प्रस्ताव भी परिषद ने दिए हैं। इस प्रस्ताव के तैयार करने में परिषद के अध्यक्ष, महामंत्री और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों का बड़ा योगदान रहा है।

यह कदम राज्य कर्मचारियों के हित में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि इससे न केवल वेतन में सुधार होगा, बल्कि कर्मचारियों की भत्तों और अन्य लाभों में भी वृद्धि होगी, जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर होगा।

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