स्ट्रीट वेंडरों को हटाने के मामले में कोर्ट ने प्रदेश सरकार व नगर निगम से मांगा जवाब

Update: 2017-06-09 14:02 GMT

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिविल लाइंस एरिया इलाहाबाद की रोड पटरी से स्ट्रीट वेंडरों को हटाने के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार, नगर निगम व एडीए से विस्तृत नीति व ब्यौरे के साथ जवाबी हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने कहा है, कि हाईकोर्ट ने सड़क पटरी से अतिक्रमण व अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया है। वेंडरों को हटाने का आदेश नहीं दिया है, तो वेंडरों को क्यों हटाया जा रहा है। याचिका की सुनवाई 14 जून को होगी।

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यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी तथा न्यायमूर्ति एस.डी.सिंह की खण्डपीठ ने रेखा सिंह की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि सरकार ने स्ट्रीट वेंडरों के लिए नियमावली बना ली है, परन्तु उसका पालन नहीं किया जा रहा है। नगर निगम के अधिवक्ता अजीत कुमार सिंह ने बताया कि पूरे इलाहाबाद में बारह हजार दो सौ वेंडर है। नियमावली के तहत चालीस सदस्यीय कमेटी गठित करने व आपत्ति दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गयी है।

कमेटी में चालीस फीसदी सदस्य वेंडर होंगे। कमेटी स्थल निर्धारण करेगी। 15 जुलाई 17 तक कमेटी गठित हो जायेगी। सितम्बर तक स्थल चिन्हांकन के बाद स्ट्रीट वेंडरों को नवंबर 17 तक आवंटन कर दिया जायेगा। अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता वाई.के.श्रीवास्तव ने कहा कि नेशनल पॉलिसी है। स्ट्रीट वेंडर अस्थायी दुकान लगा सकते है। इन्हें स्थायी निर्माण की अनुमति नहीं है। याची का कहना था कि जब तक स्ट्रीट वेंडरों को लाइसेंस नहीं दे दिये जाते, तब तक उन्हें हटाया न जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार व नगर निगम से पूरा ब्यौरा देते हुए हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

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