KGMU: सांस तंत्र की सिकुड़ी नली का किया सफल इलाज 

उन्‍होंने बताया कि मरीज अब स्वस्थ है और इसके बाद डिस्चार्ज किए जाने के लगभग 6 से 8 हफ्ते के बाद दूसरी स्टेज के इलाज के लिए एक और ऑपरेशन की आवश्यकता है, जिसमें अब सांस नली के ऊपरी हिस्से का ऑपरेशन किया जाएगा और पूरी नली को एक किया जाएगा। इस पूरे इलाज में मरीज का दस हजार रुपए मे ऑपरेशन और 40 हजार रूपए दवाई और अन्य सामान में खर्च हुआ

Update:2018-12-28 21:21 IST

लखनऊ: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के जर्नल सर्जरी विभाग के डॉ शैलेन्द्र यादव ने ट्रेकिया स्टेनोसिस नामक बेहद जटिल सर्जरी के द्वारा सोनभद्र के 26 वर्षीय युवक अजीत को नया जीवन दिया है।

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लंबे समय तक आइसीयू में भर्ती रहने से होती है यह परेशानी

डॉ शैलेन्द्र यादव ने बताया कि अजीत को इससे पहले सिर में गंभीर चोट लगने के कारण निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया था, जहा लंबे समय तक भर्ती रहने के कारण सांस तंत्र की नली में सिकुड़न की समस्या हो गयी थी। उन्‍होंने बताया कि लम्‍बे समय तक आईसीयू भर्ती रहने वाले मरीजों को यह शिकायत अक्‍सर हो जाती है। इससे सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। चूंकि सांस लेने का यह मार्ग काफी सेंसेटिव माना जाता है इसलिए इसका इलाज बेहद ही जोखिम भरा होता है। ज्ञात हो ट्रेकिया सांस तंत्र का ऊपरी हिस्सा होता है। सांस की नली में दो छेद होते है एक ऊपरी हिस्सा और दूसरा नीचे की तरफ का भाग।

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उन्‍होंने बताया कि 22 दिसंबर को मरीज़ केजीएमयू के ईएनटी विभाग में सांस की गंभीर दिक्कतों के साथ भर्ती हुआ था, जहां उसे एक पतली नली के द्वारा सांस दी जा रही थी। जब जांच की गयी तो इस बीमारी का पता चला। इस मरीज का ऑपरेशन 26 दिसंबर को किया गया। ऑपरेशन के दौरान इसकी छाती के बीच की हड्डी को काटने के बाद सांस की नली में 6 सेन्‍टीमीटर का चीरा लगाकर ऑपरेशन किया गया और इसके सिकुड़े हुए भाग को निकाल दिया गया एवं इसमें ट्यूब डाल दिया गया।

निजी अस्पताल के मुकाबले आधे से भी कम खर्च में हुआ इलाज

उन्‍होंने बताया कि मरीज अब स्वस्थ है और इसके बाद डिस्चार्ज किए जाने के लगभग 6 से 8 हफ्ते के बाद दूसरी स्टेज के इलाज के लिए एक और ऑपरेशन की आवश्यकता है, जिसमें अब सांस नली के ऊपरी हिस्से का ऑपरेशन किया जाएगा और पूरी नली को एक किया जाएगा। इस पूरे इलाज में मरीज का दस हजार रुपए मे ऑपरेशन और 40 हजार रूपए दवाई और अन्य सामान में खर्च हुआ, जबकि निजी अस्पताल में इस ऑपरेशन का खर्च लगभग 8 से 10 लाख होता है।

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ऑपरेशन करने वाली सर्जिकल टीम में डॉ शैलेन्द्र यादव के साथ डॉ भूपेन्द्र, डॉ धीरेन्द्र, डॉ अभिषेक, डॉ अजय, डॉ समीक्षा और ऐनेस्थीसिया टीम में डॉ रमन और उनकी टीम शामिल थी।

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