यूपी का 'चीनी का कटोरा': किसानों पर आफत, कई सालों से नहीं खुली मिल
सरैया चीनी मिल चौरी-चौरा के लोगों के लिए लाइफ लाइन थी। अस्सी नब्बे के दशक में सरैया चीनी मिल को यूपी का चीनी का कटोरा कहा जाता था। यहां के किसान अपने खेतों में गन्ने की बुआई करके नगद लाभ प्राप्त करते थे।
गोरखपुर: चौरी चौरा के सरदार नगर में स्थित सरैया चीनी मिल के बंद होने से यहाँ के स्थानीय श्रमिक व गन्ना किसान परेशान हैं। गन्ना किसानों व श्रमिकों के इस समस्या के निराकरण के लिए स्थानीय तहसील प्रसाशन भी कई वर्षों से सरैया चीनी मिल की नीलामी करना चाहता है। लेकिन हर बार नीलामी कर्ता प्रशासन द्वारा तय धनराशि देने में विफल हो जाते हैं जिसके कारण यहाँ के लोगो मे बेरोजगारी बढ़ रही है।
अस्सी नब्बे के दशक में सरैया चीनी मिल चौरी-चौरा के लाइफ लाइन थी
गौरतलब है कि सरैया चीनी मिल चौरी-चौरा के लोगों के लिए लाइफ लाइन थी। अस्सी नब्बे के दशक में सरैया चीनी मिल को यूपी का चीनी का कटोरा कहा जाता था। यहां के किसान अपने खेतों में गन्ने की बुआई करके नगद लाभ प्राप्त करते थे। इस चीनी मिल से लाखों परिवारों का भरण पोषण होता था।
सरैया चीनी मिल क्षेत्र में आजादी से पहले लगाई गई थी।इस चीनी मिल का भारत मे अपना अलग इतिहास है।चौरी चौरा के बेहद करीब जिलों कुशीनगर व देवरिया से गन्ना लाने के लिए इस चीनी मिल का रेलवे ट्रैक था।जिस पर भाप इंजन वाली ट्रेनें दौड़ती थी।
1990 के दशक में सरैया चीनी मिल के कर्मचारी, प्रबंधन और गन्ना किसानों के बीच आपसी सामंजस्य के बीच दरार की नींव पड़ी जिसके कुछ वर्षों बाद ही सरैया चीनी मिल लगभग 30 महीनों के लिए बन्द हो गई । दूसरी बार सरैया चीनी मिल 2012 में बंद हुई तब से लेकर आज तक सरैया चीनी मिल बंद है।
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सरैया चीनी मिल के प्रबंधन पर करोड़ों का बकाया
चीनी मिल बन्द होने के बाद से किसानों का गन्ना बकाया अभी तक भुगतान नही हो पाया है।आज भी चीनी मिल के कर्मचारी इस आस में नियमित हाजरी लगा रहे है कि उन्हें उनका पारिश्रमिक मिल जाएगा। इस दौरान कई कर्मचारी रिटायर्ड भी हो चुके है।लेकिन उनके पूरे जीवन की कमाई अभी नही मिल पाई है। सरैया चीनी मिल के प्रबंधन पर करोड़ों का बकाया है।
गन्ना किसानों व श्रमिको के पैसे के भुगतान के लिए स्थानीय तहसील प्रसाशन सरैया चीनी मिल को अधिग्रहित कर लिया है।फिर भी सरैया चीनी मिल की नीलांमी नही हो पा रही है।जिसके कारण स्थानीय गन्ना किसानों व कम्पनी के श्रमिकों की मुसीबत कम नही हुई है।वही दूसरी तरफ यहाँ कंपनी बन्द होने के कारण लोग बेरोजगार हो गए है।जिसके कारण परिवारिक जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए लोग दूसरे रोजगार के लिए अन्य प्रदेशों में जाकर सहारा ले रहे है।
गन्ना किसानों व श्रमिकों को परिवार के भरण पोषण में काफी दिक्कत
इस पर बोलते हुए कई वर्षों तक सरैंया सुगर मिल में बाबू के पद पर कार्य करने वाले बनारसी सिंह ने बताया कि चीनी मिल बन्द होने के कारण यहाँ के गन्ना किसानों व श्रमिकों को अपने परिवार के भरण पोषण में काफी दिक्कत हो रही है। किसानों व श्रमिकों की समस्या को लेकर वह कानूनी लड़ाई लड़ रहे है। तहसील प्रशासन भी श्रमिको व गन्ना किसानों की समस्या का निराकरण के लिए लगा हुआ है लेकिन बात नही बन पा रही है।गन्ना किसानों व श्रमिकों का लगभग 83 करोड़ रुपये से अधिक चीनी मिल को चुकाना है।
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वहीं इस मामले पर चौरी चौरा तहसीलदार रत्नेश तिवारी ने भी कहा है कि गन्ना किसानों व श्रमिको के बकाए के भुगतान के लिए कई बार सरैया चीनी मिल के नीलांमी की प्रक्रिया की कवायद शुरू हुई लेकिन पूरी नही हुई।भविष्य में जल्द ही नीलांमी कि प्रकिया पूरी होने की उम्मीद है ।