अयोध्या केस पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने ऐसी बात कह सभी को चौंका दिया

इस केस में अहम पक्षकार रहे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने कहा कि हम उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं। बोर्ड अब इस फैसले को चुनौती नहीं देगा।

Update:2019-11-09 16:51 IST

लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर पर फैसला आने के बाद सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने बड़ा बयान दिया है। इस केस में अहम पक्षकार रहे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने कहा कि हम उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं। बोर्ड अब इस फैसले को चुनौती नहीं देगा।

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उन्होंने ये भी कहा कि अगर कोई वकील या अन्य व्यक्ति बोर्ड की तरफ से न्यायालय के फैसले को चुनौती देने की बात कह रहा है तो उसे सही न माना जाए।

उधर मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन संतुष्ट नहीं हैं। आगे की कार्रवाई पर हम बाद में फैसला करेंगे।

उन्होंने कहा कि फैसले में कई विरोधाभास हैं, लिहाजा हम फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। हम फैसले का मूल्यांकन करेंगे और आगे की कार्रवाई पर फैसला लेंगे। जफरयाब जिलानी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड फैसले का सम्मान करता है, लेकिन फैसला संतोषजनक नहीं है।

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विवादित जमीन रामलला की: रंजन गोगोई

फैसला पढ़ते वक्त चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई ने शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज करने की बात बताई थी।

इसके बाद निर्मोही अखाड़े का भी दावा खारिज कर दिया। कोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर कहा कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी।

मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है। आस्था के आधार पर जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता। फैसला कानून के आधार पर ही दिया जाएगा।

मुस्लिम पक्ष जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा है। मुस्लिमों(सुन्नी वक्फ बोर्ड) को दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन दी जाए। विवादित जमीन रामलला की है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा है कि केंद्र सरकार तीन महीने में स्कीम लाए और ट्रस्ट बनाए। यह ट्रस्ट राम मंदिर का निर्माण करेगा।

इस फैसले में विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देने का फैसला किया गया है। पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सर्वसम्मति से दिया।

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