राम मंदिर विवाद: सुन्नी वक्फ बोर्ड ने लिया बड़ा फैसला, छोड़ेगा जमीन पर दावा
दरअसल, बोर्ड के चेयरमैन ने मुकदमा वापस लेने का हलफनामा मध्यस्थता पैनल के सदस्य श्रीराम पंचू को भेजा है। इसी बीच आज सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की अंतिम सुनवाई शुरू हो गई है।
नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े मुकदमे में आज नया मोड़ सामने आया है। रामजन्मभूमि विवाद में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या केस वापस लेने का फैसला लिया है।
दरअसल, बोर्ड के चेयरमैन ने मुकदमा वापस लेने का हलफनामा मध्यस्थता पैनल के सदस्य श्रीराम पंचू को भेजा है। इसी बीच आज सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की अंतिम सुनवाई शुरू हो गई है।
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हालांकि सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के अपील वापस लेने के मामले में कोर्ट में कोई चर्चा नहीं हुई है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने स्पष्ट किया कि आज शाम 5 बजे तक हर हाल में बहस पूरी कर ली जायेगी। वहीं बता दें कि चीफ जस्टिस ने तय पक्षकारों के अतिरिक्त किसी अन्य को हस्तक्षेप की अनुमति देने से इनकार कर दिया। हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन ने बहस की शुरुआत की।
वक्फ बोर्ड के वकील बोले- मुझे जानकारी नहीं
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने केस वापस लेने के बोर्ड के फैसले की जानकरी से अनभिज्ञता जाहिर की है। उन्होंने बताया कि उन्हें वक्फ बोर्ड ने केस वापस लेने की सूचना नहीं दी है। अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में आठ मुस्लिम पक्षकारों ने केस दायर किए हैं। मुख्य पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से दो केस दायर किए गए हैं।
इकबाल अंसारी बोले- मुझे कोई आपत्ति नहीं
रामजन्मभूमि विवाद मामले में एक और पक्षकार इकबाल अंसारी ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि बोर्ड के निर्णय से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने एक बार फिर से दोहराया कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार्य होगा। वहीं, इकबाल अंसारी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर शमशाद ने बताया कि पिछले दो महीनों में सुन्नी वक्फ बोर्ड के रवैये में आमूलचूल परिवर्तन आया था। उन्होंने बताया कि इस मामले में कुल छह मुस्लिम पक्षकार हैं, जिनमें से सुन्नी वक्फ बोर्ड भी एक था|
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'इस स्टेज पर केस वापस लेना संभव नहीं'
इकबाल अंसारी के वकील शमशाद का कहना है कि अयोध्या विवाद मामले की सुनावाई निर्णायक दौर में है, ऐसे में किसी भी पक्ष द्वारा संबंधित समुदाय को नोटिस दिए बगैर इस स्टेज पर केस वापस नहीं लिया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा केस वापस लेने की स्थिति में भी इस मामले पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि मामले के अन्य पक्षकार कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बने रहेंगे।