69000 शिक्षक भर्तीः इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने किया सुनवाई से इनकार, राहत में सरकार

सर्वोच्च न्यायालय ने 69,000 शिक्षकों की भर्ती मामलें को सुनने से इंकार करके यूपी सरकार को बड़ी राहत दे दी है।

Update: 2020-06-24 09:17 GMT

लखनऊ: सर्वोच्च न्यायालय ने 69,000 शिक्षकों की भर्ती मामलें को सुनने से इंकार करके यूपी सरकार को बड़ी राहत दे दी है। इस मामलें में उच्च न्यायालय द्वारा प्रश्रपत्र को यूजीसी पैनल को न भेजने के डबल बेंच फैसले को चुनोती देने वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई से इंकार करते हुए याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय में अपील करने के लिए कहा है।

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दरअसल, उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने बीती 3 जून को सरकार द्वारा आठ मई 2020 को घोषित परीक्षा परिणाम पर सवालिया निशान लगाते हुए कुछ प्रश्नों एवं उत्तर कुंजी पर भ्रम की स्थिति पाते हुए पूरी चयन प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए प्रश्रपत्र को जांचने के लिए यूजीसी पैनल को भेजने के लिए कहा था। एकल पीठ के फैसले के खिलाफ यूपी सरकार ने उच्च न्यायालय में विशेष अपील की थी।

यूपी सरकार की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए बीती 12 जून को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के दो न्यायधीशों न्यायमूर्ति पीके जायसवाल और न्यायमूर्ति डीके सिंह की पीठ नेएकल पीठ के इस आदेश पर रोक लगा दी थी। दो न्यायधीशों की पीठ द्वारा लगायी गई इस रोक के बाद यूपी सरकार को बड़ी राहत मिली थी। लेकिन कुछ अभ्यर्थी उच्च न्यायालय के के दो न्यायधीशों की पीठ के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गए थे। जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने सुनने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय में अपील करने की सलाह दी।

इधर, 69000 शिक्षक भर्ती मामले में अजय कुमार ओझा तथा उदयभान चैधरी की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच में दायर याचिका की सुनवाई अब 07 जुलाई 2020 को होगी। याचीगण की अधिवक्ता डॉ नूतन ठाकुर ने यह जानकारी देते हुए बताया कि याचिका में कहा गया है कि 06 जनवरी 2019 को इस परीक्षा के बाद पेपर लीक के संबंध में एसटीएफ तथा केंद्र अधीक्षकों द्वारा प्रदेश के कई स्थानों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिससे व्यापक स्तर पर पर्चा लीक होने की बात साबित होती है। आज भी एसटीएफ इस केस में विवेचना कर रहा है। अतः याचिका में परीक्षा को निरस्त करने तथा एसटीएफ पर सरकार के दवाब में काम करने के आधार पर सीबीआई जांच कराये जाने की प्रार्थना की गयी है।

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नूतन ठाकुर ने बताया कि बुधवार को सरकारी अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि इस मामले में प्रदेश सरकार तथा परीक्षा नियामक प्राधिकरण की ओर से प्रदेश के महाधिवक्ता स्वयं बहस करेंगे जो आज उपलब्ध नहीं हैं, अतः 07 जुलाई को सुनवाई रखी जाये। इस पर याचीगण की अधिवक्ता डॉ नूतन ठाकुर ने आपत्ति जाहिर की और कहा कि इस मामले में सरकार अनुचित तेजी दिखा रही है और इतने दिनों में प्रक्रिया पूरी करने का प्रयास करेगी। इस सरकारी अधिवक्ता ने मौखिक रूप से कहा कि इतनी जल्दी कुछ नहीं होगा। सरकारी अधिवक्ता तथा नूतन की दलील सुनकर न्यायमूुर्ति आलोक माथुर की पीठ ने सुनवाई के लिए 07 जुलाई का तिथि नियत की है।

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