लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय की ओर से शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किए जाने के मामले में नियुक्ति में प्रति वर्ष ढाई अंक और अधिकतम 25 अंक वेटेज देने का प्रस्ताव शिक्षा मित्र एसोसिएशन के सामने रखा है। हालांकि, सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार कर दिया है।
विभागीय अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह ने बताया कि शिक्षामित्र टीईटी पास करने तक अपने मूल पद पर काम करेंगे। शिक्षामित्र चाहें तो जहां तैनाती है, वहां काम करें या अपने मूल स्कूल में वापस जाना चाहें तो वहां के लिए आवेदन कर सकेंगे। नवंबर के पहले सप्ताह में अध्यापक पात्रता परीक्षा कराई जाएगी।
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि न्यायालय के फैसले के अनुसार, अनुभव के आधार पर वेटेज देने पर भी सहमति बन गई है। शिक्षामित्रों को अनुभव वेटेज के तौर पर प्रतिवर्ष सेवा के लिए ढाई अंक दिए जाएंगे और अधिकतम 25 अंक दिए जा सकेंगे।
आगे की स्लाइड में पढ़िए पूरी खबर
सूत्रों के मुताबिक, शिक्षामित्र चाहें तो सर्वोच्च अदालत के निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर कर सकते हैं लेकिन सरकार अब अदालत नहीं जाएगी। धनराशि को लेकर मुख्यमंत्री निर्णय लेंगे। सरकार अभी तक असमायोजित शिक्षा मित्रों को 10 हजार रुपए मानदेय दे रही है।
सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को पत्र लिखकर मानकों में छूट देने का अनुरोध करेगी।
उल्लेखनीय है कि देश की सर्वोच्च अदालत ने 25 जुलाई को शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया है, लेकिन निर्णय में यह भी कहा है कि यदि सरकार चाहे तो इनके टीईटी पास करने के बाद इन्हें लगातार दो भर्तियों में मौका दे सकती है। अनुभव और उम्र के आधार पर भी वरीयता दे सकती है।
इधर, आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शाही ने कहा कि शिक्षा मित्र अपने स्तर से पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। ये 1.37 लाख शिक्षामित्रों की जिंदगी से जुड़ा मामला है। हालांकि, सरकार ने आश्वस्त किया है कि शिक्षामित्रों के हितों की रक्षा की जाएगी।
सौजन्य: आईएएनएस