Syed Sibtey Razi Died: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी का KGMU में निधन
Syed Sibtey Razi Died: कांग्रेस पार्टी ने उन्हें तीन बार राज्यसभा का सदस्य बनाया और उनकी वरिष्ठता और कार्य अनुभव को देखते हुए उन्हें असम फिर झारखंड का राज्यपाल भी नियुक्त किया. उनके निधन पर तमाम कांग्रेस नेताओं ने शोक प्रकट किया है.
Syed Sibtey Razi Died: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और असम, झारखंड के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रज़ी का आज लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में निधन हो गया. 83 वर्षीय सैयद सिब्ते रजी को हार्ट की बीमारी के चलते पिछले दिनों लखनऊ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. जहां शनिवार को उन्होंने आखिरी सांस ली.
सैयद सिब्ते रजी के परिवार वालों ने पूर्व राज्यपाल के निधन की जानकारी दी है. सैयद सिब्ते रजी रायबरेली जिले के निवासी थे. वह पुराने कांग्रेसी दिग्गज नेताओं में शुमार थे. यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें तीन बार राज्यसभा का सदस्य बनाया और उनकी वरिष्ठता और कार्य अनुभव को देखते हुए उन्हें असम फिर झारखंड का राज्यपाल भी नियुक्त किया. उनके निधन पर तमाम कांग्रेस नेताओं ने शोक प्रकट किया है.
सैयद सिब्ते रजी का सियासी सफर
सैयद सिब्ते रज़ी का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में 7 मार्च 1939 को हुआ था और आज (20 अगस्त 2022) को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर उनका निधन हुआ. उनकी माँ का नाम रज़िया बेगम और बाप का नाम सैयद विरासत हुसैन था। उन्होंने हुसेनाबाद हायर सेकेण्डरी स्कूल से दसवीं करने के बाद लखनऊ के शिया कॉलेज मे दाखिला लिया. यहां वे छात्र नेता के साथ साथ जेबखर्च निकालने के लिये वे होटलों के एकाउण्ट्स भी देखते थे। बाद में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से बी०कॉम० किया।
सियासत में एंट्री
कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में जन्मे सैयद सिब्ते रज़ी ने 1969 में उत्तर प्रदेश यूथ कांग्रेस में शामिल हुए थे. 1971 में वे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 1973 तक वे यूथ काँग्रेस के अध्यक्ष रहे। 1980 से 1985 तक राज्य सभा सदस्य के अतिरिक्त 1980 से 1984 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव भी रहे। उन्हें कांग्रेस पार्टी द्वारा दूसरी बार 1988 से 1992 तक तथा तीसरी बार 1992 से 1998 तक राज्य सभा का सदस्य बनाया गया। मार्च 2005 में, जब वे झारखंड के राज्यपाल थे, उन्होंने सरकार में एनडीए के सदस्यों की संख्या को नज़र अन्दाज़ करते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन को सरकार बनाने का न्योता देकर विवादास्पद भूमिका निभायी। इसकी शिकायत मिलते ही तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने हस्तक्षेप किया और सिब्ते रज़ी के निर्णय को उलटते हुए एनडीए के अर्जुन मुंडा को 13 मार्च 2005 को उन्हीं राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी।