ताज महोत्सव: असलम साबरी की शेरो-शायरी से रूमानी हुई ताजनगरी

ताज महोत्सव में बुधवार 21 फरवरी की शाम रूमानियत भरी रही।  प्रसिद्ध कव्वाल असलम साबरी ने शेरो-शायरी से शुरुआत की जिसके साथ तालियों की गूंज ने माहौल को जश्न से भर दिया। देर रात तक फरमाइशों के दौर में शिल्पग्राम उनकी प्रस्तुति से झंकृत होता रहा।

Update:2018-02-22 11:47 IST

आगरा: ताज महोत्सव में बुधवार 21 फरवरी की शाम रूमानियत भरी रही। प्रसिद्ध कव्वाल असलम साबरी ने शेरो-शायरी से शुरुआत की जिसके साथ तालियों की गूंज ने माहौल को जश्न से भर दिया। देर रात तक फरमाइशों के दौर में शिल्पग्राम उनकी प्रस्तुति से झंकृत होता रहा।

- ताज महोत्सव में बुधवार को शिल्पग्राम में मुख्य प्रस्तुति कव्वाल असलम साबरी की रही।

- वह रात 10:30 बजे के करीब मंच पर पहुंचे।

- उन्होंने शुरुआत शेरो-शायरी से की। हर दर्द की दवा है, मोहम्मद के शहर में.. सुनाकर उन्होंने अपने फैन्स को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।

- इसके बाद उन्होंने मेरे रश्के कमर की धुन सुनाई।

-इसके बाद उन्होंने दमादम मस्त कलंदरसुनाकर रंग जमा दिया।

- इसके बाद वह दर्शकों की फरमाइशों पर देर रात तक प्रस्तुतियां देते रहे।

- ताज महोत्सव में प्रस्तुति देने आए कव्वाल असलम साबरी ने कहा कि फिल्मों से कव्वाली गायब होने की वजह उनका स्तर गिरना था।

- इसकी वजह से फिल्मों से कव्वाली दूर हो गई।

- अब धीरे-धीरे अच्छे लोग आ रहे हैं। गंदगी और बुराई दूर हुई है।

- कव्वाली का दौर फिल्मों में एक बार फिर लौटेगा। गायकी, अभिनय व अन्य विधाओं के समान कव्वाली के लिए टैलेंट शो शुरू करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है।

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