इस स्कूल को खोलने पर भाकपा का विरोध, कहा- बच्चों और टीचर्स में कोरोना का खतरा
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों को आज से खोले जाने के औचित्य पर सवाल उठाया है।
लखनऊ: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों को आज से खोले जाने के औचित्य पर सवाल उठाया है। जब अभिभावकों की चाहत और भाकपा द्वारा सभी स्कूलों को जुलाई में न खोले जाने के मुद्दे को उठाने के बाद मानव संसाधन मंत्रालय तक में इस सवाल पर पुनर्विचार चल रहा है, ऐसे में कस्तूरबा विद्यालयों को अभी से खोला जाना आग से खेलना जैसा है।
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यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा0 गिरीश ने कहा कि उन्हें ज्ञात हुआ है कि उत्तर प्रदेश में कस्तूरवा गांधी आवासीय विद्यालयों को आज से खोलने और सभी शिक्षकों को स्कूल पहुँचने, नामांकन करने और अन्य तैयारियां करने के आदेश दिये हैं। ज्ञात हो कि प्रदेश में 746 कस्तूरबा गांधी स्कूल हैं जिनमें शिक्षक संविदा पर रखे जाते हैं। उन्हें जून माह का मानदेय भी नहीं मिलता।
शिक्षकों के तौर पर महिलाओं को रखा जाता है
इन स्कूलों में पूर्णकालिक शिक्षकों के तौर पर महिलाओं को रखा जाता है। इन्हें विद्यालयों के हास्टल में ही रहना होता है, जहां उन्हें 5 साल तक के बच्चे को रखने की भी सुविधा प्रदान की गयी है। इन हास्टलों में कामन टायलेट्स हैं। कोविड-19 के प्रकोप के चलते कोई भी कॉमन टायलेट्स के प्रयोग से चिन्तित हो सकता है। बच्चों के लिए तो यह और भी खतरनाक है। खासतौर पर तब, जब वहां अलग-अलग जिलों के शिक्षक सीधे पहुंचेंगे।
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भाकपा राज्य सचिव ने सरकार से मांग की कि इन विद्यालयों के शिक्षकों के स्कूल पहुंचने के आदेश को तत्काल रद्द किया जाये। इन विद्यालयों को भी अन्य विद्यालयों के साथ ही खोला जाये तथा रेजीडेंट स्टाफ के लिये अलग टायलेट्स बनवाए जायें। जहां तक प्रवेश की कार्यवाही का सवाल है, उसे आन लाइन भी चलाया जा सकता है।
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