Rae Bareli News: ये कैसे शिक्षक! पुस्तकों की कुर्सी बनाकर उस पर बैठकर कर रहे भोजन, वीडियो ने किया खुलासा
Rae Bareli News: पत्रकार द्वारा शिक्षक से प्रश्न पूछा गया क्या आप शिक्षक होकर किताबों पर बैठकर भोजन कर रहे हैं। शिक्षकों को अपनी गलती का जरा भी एहसास नहीं हुआ।
Raebareli News: बच्चों को यह शिक्षा दी जाती है कि "विद्या धनम सर्व धनम प्रधानम।" विद्या माने कॉपी, किताब का सम्मान करो, इसमें माँ सरस्वती देवी (Maa Saraswati Devi) का वास होता है। भूलवश भी यदि कॉपी किताब में पैर छू जाए तो कॉपी किताब को छूकर माथे में लगाने कि परम्परा है। रायबरेली- जूनियर हाईस्कूल राही, विकास क्षेत्र राही में कुछ शिक्षकों ने कॉपी किताबों का सम्मान ही नहीं गिराया, बल्कि अपने शिक्षक होने पर भी कलंक लगाया।
उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) द्वारा बच्चों को वितरित की जाने वाली निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों की कुर्सी बनाकर उसपर बैठकर भोजन करते शिक्षकों का वीडियो कैद हो गया। चार माह से बिना किताबों के पढ़ाई कर रहे बच्चो का इंतज़ार खत्म हुआ और विभाग ने इस सत्र मे किताबें वाहन द्वारा स्कूल के द्वार तक पहुँचवायी। इसके पूर्व के वर्षों मे शिक्षक स्वयं बीआरसी से किताबें ढोकर लाते थे।
शिक्षकों के अन्दर किताबों के प्रति कोई भी सम्मान नहीं
इस वर्ष विभाग द्वारा स्कूलों तक किताबें पहुंचाई जा रही हैं ताकि शिक्षकों को किताब ढोने से मुक्ति मिल सके। शिक्षकों द्वारा लगातार मांग की जाती रही थी की बोरी मे किताब उठवाने और बार-बार बीआरसी बुलाना एक शिक्षक की मर्यादा और सम्मान के विरुद्ध काम है। शिक्षकों की सहूलियत और सम्मान के लिए किताबें अब स्कूल पहुँच रही हैँ वही कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जिनको शिक्षण पेशा और बच्चों को दी जाने वाली किताबों के प्रति कोई भी सम्मान नहीं है।
महानिदेशक विजय किरन आनंद के स्पष्ट आदेश और निर्देश है कि किसी भी शिक्षक को सम्बद्ध न किया जाये सभी शिक्षक विद्यालय मे रहकर शिक्षण कार्य करें। बीएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह द्वारा सताँव व अन्य विकास क्षेत्र के शिक्षकों को सम्बद्ध करके उनसे राही ब्लॉक मे पुस्तक वितरण कार्य करवाया जा रहा है। जहां एक ओर शून्य शिक्षक संबद्धिकरण का राग अलापा जा रहा वहीं स्वयं बीएसए रायबरेली शिवेंद्र प्रताप सिंह द्वारा महानिदेशक के आदेशों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैँ।
एक शिक्षक के रूप विद्यालय मे रहकर शिक्षण कार्य मे ही सर्वाधिक मान सम्मान मिलता है वही कुछ शिक्षक स्कूल न जाकर बाबूगीरी और चपरासीगीरी करने मे मशगूल दिखते हैं।
बच्चों की किताबों पर बैठकर भोजन कर रहे शिक्षक
वीडियो में साफ दिख रहा है कि कुछ शिक्षक बच्चों की किताबों पर बैठकर भोजन कर रहे हैं। पत्रकार द्वारा शिक्षक से प्रश्न पूछा गया क्या आप शिक्षक होकर किताबों पर बैठकर भोजन कर रहे हैं। शिक्षकों को अपनी गलती का जरा भी एहसास नहीं हुआ। नए जमाने के नए शिक्षक भले ही टीईटी, सुपर टेट और कंपटीशन पास करके आ रहे हो लेकिन विद्या और पाठ्य पुस्तकों का अनादर उनको समाज मे सही स्थान नहीं दिला सकता और पेशे के प्रति उनकी वफादारी भी भी प्रश्न चिन्ह जरूर लगाता है।