आजाद भारत के दस ऐसे बजट जिसने बदल दी देश की तस्वीर
मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट 1 फरवरी को पेश करने जा रही है। इस आम बजट से लोगों को बहुत उम्मीदें हैं, तो इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं आजादी से अब तक के दस अहम बजट के बारे में...
मनीष श्रीवास्तव
नई दिल्ली: मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट 1 फरवरी को पेश करने जा रही है। इस आम बजट से लोगों को बहुत उम्मीदें हैं, तो इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं आजादी से अब तक के दस अहम बजट के बारे में...
1. वर्ष 1947 का पहला बजट
वर्ष 1947 में देश को आजादी मिलने और बंटवारे के बाद देश को नए बजट की आवश्यकता हुई तो 26 नवंबर 1947 को आजाद भारत का पहला बजट वित्त मंत्री आर के शनमुखम चेट्टी ने 26 नबंबर 1947 को पेश किया था। 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक के लिए पेश किए गए इस बजट में पाकिस्तान से आए हुए शरणार्थियों को बसाने के लिए होने वाले खर्च की व्यवस्था की गई थी।
2. वर्ष 1951- भारतीय गणतंत्र का पहला बजट
भारतीय गणतंत्र का पहला बजट वर्ष 1951 में वित्त मंत्री जान मथाई ने पेश किया था। इस बजट के जरिए देश में सोवियत रूस की तर्ज पर एक योजना आयोग की स्थापना का फैसला लिया गया था। दरअसल, उस समय देश भारी महंगाई और गरीबी के अलावा कम उत्पादकता व लगभग शून्य निवेश की समस्या से जूझ रहा था। योजना आयोग से नीति आयोग बनने तक इस संस्थान ने देश का ढांचात्मक विकास करने में अहम भूमिका निभाई और देश में मौजूद संपदा व संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल करते हुए एक मजबूत देश बनाया।
3. वर्ष 1957- कृष्णामाचारी बजट
कांग्रेस सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री टी टी कृष्णामाचारी ने 15 मई 1957 को बजट पेश किया था। इस बजट में आयात के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया गया और नॉन-कोर प्रोजेक्ट के लिए बजट का आवंटन वापस ले लिया गया। निर्यातकों की सुरक्षा के लिए एक्सपोर्ट रिस्क इन्श्योरेंस कॉरपोरेशन बनाया गया। इस बजट में वेल्थ टैक्स लगाया गया और एक्साइज ड्यूटी में 400 फीसदी तक का इजाफा किया गया।
4. वर्ष 1968-लोगों के काम का बजट
देश के वित्त मंत्री के तौर पर अपनी दूसरी पारी में मोरारजी देसाई ने फरवरी 1968 में बजट पेश किया। इस बजट का देश के लोगों की सहूलियत के लिए कई अहम फैसले लिए। देसाई ने इस बजट में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट पर एक्साइज विभाग के असेसमेंट और स्टांप की अनिवार्यता खत्म करने का फैसला करते हुए मैन्युफैक्चरर द्वारा सेल्फ असेसमेंट की प्रक्रिया शुरू की। देसाई के इस फैसले को देश के विनिर्माण क्षेत्र से जुडे़ लोगों ने हाथो-हाथ लिया और यह फैसला आज भी देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
5. वर्ष 1973- ब्लैक बजट
वर्ष 1973-74 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव बी चव्हाण ने भारी घाटे का बजट पेश किया था। इस बजट को ब्लैक बजट कहा गया। चव्हाण ने इस बजट में 550 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा दिखाया था और साधारण बीमा कंपनियों के राष्ट्रीयकरण के लिए 56 करोड़ रुपये का प्राविधान भी किया था।
6. वर्ष 1986- वीपी सिंह का बजट
वर्ष 1986 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के वित्त मंत्री वीपी सिंह ने अप्रत्यक्ष करों में सुधारों के साथ बजट पेश किया था। 28 फरवरी को पेश इस बजट में लाइसेंस राज की समाप्ति से जुड़ी बहुत बड़ी पहल की गयी थी।
7. 1987- गांधी बजट
वर्ष 1987 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बजट पेश किया था। इस बजट के जरिए उन कंपनियो को टैक्स के दायरे में लाने का प्रयास किया गया था, जो लाभ तो बहुत कमाती थी लेकिन सरकार को टैक्स देने से कतराती थी। इस बजट में न्यूनतम निगम कर पेश किया गया, जिसे आज मिनिमम अल्टरनेट टैक्स कहा जाता है।
8. वर्ष 1991- उदारीकरण बजट
पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहा राव सरकार में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह का यह बजट भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण बजट में से एक माना जाता है। 24 जुलाई 1991 को पेश इस बजट में आयात-निर्यात नीति में महत्वपूर्ण बदलाव किये गए। आयात के लिए लाइसेंसिंग नीति में राहत दी गयी और निर्यात को बढ़ावा देने के कई प्रावधान किये गए। अपनी उदार नीतियों के जरिए इस बजट ने भारतीय उद्योगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार के दरवाजे पूरी तरह से खोल दिए।
9. वर्ष 1997- ड्रीम बजट
वर्ष 1997 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आम बजट पेश किया। आम जनता और कंपनियों के कर प्राविधानों में बड़े बदलाव वाले इस बजट को ड्रीम बजट कहा गया। इस बजट के जरिए काले धन को बाहर निकालने के लिए लोगों को अपनी आय स्वयं घोषित करने का मौका देते हुए वॉलंटियरी डिसक्लोजर ऑफ इनकम योजना पेश की गई। इस योजना का काफी असर देखने को मिला और वर्ष 1997-98 में सरकार को आयकर से 18,700 करोड़ रुपये प्राप्त हुए ।
10. वर्ष 2000- नई सदी का बजट
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 29 फरवरी 2000 को नई सदी का पहला बजट पेश किया था। इस बजट में भारत को सॉफ्टवेयर निर्यात का हब बनाने के लिए कई प्राविधान किये गए थे। सॉफ्टवेयर निर्यात का हब बनाने की इस पहल से देश की आईटी इंडस्ट्री को काफी मदद मिली और उसने तेज विकास दर्ज किया।