पर्यावरण सरंक्षण के लिए मीडिया आगे आए- आर. एस. एस.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकर जी ने कहा है कि मीडिया की ताकत अपार है। आवश्यकता इस बात की है कि इसका विवेकपूर्ण ढ़ंग से उपयोग किया जाए।
लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकर जी ने कहा है कि मीडिया की ताकत अपार है। आवश्यकता इस बात की है कि इसका विवेकपूर्ण ढ़ंग से उपयोग किया जाए। आज प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया तीनों की आवश्यकता है कृपाशंकर जी मंगलवार सायं विश्व संवाद केन्द्र में मीडिया की आजादी और संविधान विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होने कहा कि आजादी के लिये पत्रकारिता एक माध्यम थी। पहले मन्त्रिमण्डल में अनेक पत्रकार, लेखक और बुद्धिजीवी शामिल हुये। उन्होने कहा कि गांधी जी जिन विषयों की चर्चा करते थे उन्हे आज संघ कर रहा है। संघ ने जल, पर्यावरण के लिए आयाम खड़े किए। आज आवश्यकता है कि जल और पर्यावरण के लिए आन्दोलन खड़ा किया जाये। उन्होंने कहा कि पत्रकार देश को आजादी दिलाने के लिए लड़े थे। आज उन्हें अपनी आजादी के लिए चिंतन करना पड़ रहा है। पत्रकार जान हथेली पर रखकर काम करते हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया में भी आज ऐसे विषयों पर ध्नान देने की आवश्यकता है जो समाज के लिए आवश्यक हैं। कुटुम्ब प्रबोधन, पर्यावरण, ग्राम विकास के क्षेत्र में पत्रकारिता को ध्यान केन्द्रित करने की जरूरत है। श्री रामजन्मभूमि आन्दोलन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसका श्रेय भी मीडिया को ही है।
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मीडिया को संविधान से मिले शक्ति
लखनऊ जनसंचार संस्थान के प्रमुख अशोक सिन्हा ने कहा कि भारत में पत्रकारिता का इतिहास चार सौ साल का है। बिलियम बोट ने 1780 में पहला अखबार निकाला था। समाचार पत्रों के प्रति अंग्रेजी शासन अत्यन्त क्रूर रहा है। इसीलिए वह वर्नाकुलर एक्ट लेकर आये। लेकिन समाचार पत्रों की शक्ति को हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने पहचाना था।
इसलिए सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने समाचार पत्रों का प्रकाशन किया। इसीलिये संविधान सभा के समक्ष यह विषय आया था कि प्रेस को विशेष अधिकार दिये जाए परन्तु ऐसा कोई अधिकार नही मिला। जो अधिकार आम लोगों के लिए हैं वही प्रेस के लिए भी हैं। हालांकि अमेरिका ने अलग से बिल लाकर प्रेस को अधिकार प्रदान किये हैं। हमारे यहां जनता को जानने का हक भी 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम के रूप में मिला।
आज मीडिया को ही आईना देखने की जरूरत
वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रमोद गोस्वामी जी ने कहा कि संविधान राष्ट्रधर्म पर आधारित है। अभिव्यक्ति की आजादी ही मीडिया है। अपनी बात कह सकें, इससे अधिक कोई बात और जोड़ने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि आज बड़ी विषम स्थिति है कि जो खुद आईना है उसे ही आईना देखने की जरुरत पड़ रही है। मीडिया को सोचना चाहिये कि जो सम्मान उसने पाया है वो वह क्यों खोता जा रहा है। मीडिया का सम्मान नहीं रह गया है। उन्होने कहा कि आज पत्रकार दलीय हो गए है। मीडिया की आजादी पर अब कोई संकट नही है। बल्कि पत्रकार खुद संकट बने हुए हैं।
फेक न्यूज सोशल मीड़िया से शुरु हुआ
प्रेस काउंसिल आफ इन्डिया के सदस्य रजा रिजवी ने कहा कि पत्रकार की आजादी और समाचार पत्र की आजादी दोनों अलग-अलग विषय है। मीडिया शब्द अत्यन्त पवित्र शब्द है सोशल मीडिया में इस शब्द का उपयोग ठीक नही है इसके स्थान पर इसे सोशल टूल कहा जाये तो अच्छा होगा। फेक न्यूज सोशल मीडिया से ही शुरू हुआ है और बदनाम समाचार पत्र होते है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में व्यापार नहीं आना चाहिए। मीडिया की आजादी ने वह काला समय भी देखा है जब इस पर सेंसरशिप लगी। वह कांग्रेस के कारण आया। आज फेक न्यूज और पेड न्यूज से पत्रकारिता में गिरावट आ रही है।
आजादी की अति भी वर्जित
वरिष्ठ पत्रकार डॉ. एसके पाण्डेय ने कहा मीडिया के साथी आज आजादी चाहते है लेकिन अति सर्वत्र वर्जते कहा गया है। मीडिया की आजादी में भी अति अच्छी नही है। उन्होंने कहा कि संविधान से अभिव्यक्ति की आजादी मिली है। लेकिन अलग से मीडिया के लिए कुछ नहीं है। सोशल मीडिया एक ताकत के रूप में उभरा है।
सच कहने की हिम्मत और सलीका चाहिए
वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र भदौरिया ने कहा कि सूचना का उदय देवकाल से है। नारद पहले पत्रकार थे। उनका पूरा सूचना तंत्र था। वे प्रेस की मूल भावना सच्चाई पर चलते थे। उन्होंने कहा कि आज दो तरह की पत्रकारिता हो रही है। एक है पत्रकार की बोलने और लिखने की आजादी के लिए लड़ाई और दूसरी नहीं बोलने तथा नहीं लिखने के लिए संघर्ष । दूसरी तरह की लड़ाई सुविधाओं के लिए हो रही है। इसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। वायस्ड जर्नलिज्म हो रही है। राष्ट्र मंगल और विश्व मंगल की चर्चा तो हम करते हैं किन्तु विचारमीय यह है कि हम जूझ किन परिस्थितियों से रहे हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता महत्वपूर्म मुद्दे और घटनाओं से भी आंखें मूंद रही है।
राजस्थान की सांभर झील में अभी कुछ दिन में 18 से 20 हजार साइबेरियन पक्षियों की मृत्यु हो गई। किन्तु यह समाचार कहीं दिखायी नहीं दिया। किसी छोटे से समाचार पत्र मे गुमानामी जैसी स्थिति में प्रकाशित हुआ। यहीं अभिव्यक्ति की आजादी की लड़ाई का तो कोई प्रश्न नहीं था। किसी तरह की कोई रोक भी नहीं थी किन्तु चूंकि हम सुविधाओं के ढक्कन से ढके हैं इसलिए इसतरह की संवेदनशील सूचनाओं की भी अनदेखी कर देते हैं। उन्होंने कहा कि हमें सच कहने की हिम्मत और सलीका दोनो चाहिए।
प्रशन पूछना ही मीडिया की ताकत
नवयुग कॉलेज की प्रवक्ता डा. अपूर्वा अवस्थी ने कहा कि प्रश्न पूछने की शक्ति ही मीडिया की सबसे बड़ी ताकत है। यह शक्ति और साहस मीडिया को बनाये रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र दुनिया में सबसे अलग है। हमारे प्रेस ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जो सबकी बात को अभिव्यक्ति प्रदान करता है।
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संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश समाचार सेवा एवं मीडिया फाउन्डेशन द्वारा प्रकाशित स्मारिका गान्धी 150 का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर पत्रकार राजेश माहेश्वरी, अधिवक्ता शशि सिंह, सम्पादक कृष्ण मोहन मिश्र, स्थानीय सम्पादक देवेन्द्र कुमार सिन्हा, विशेषांक सम्पादक सर्वेश कुमार सिंह ने अपने विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी में अनेक वरिष्ठ पत्रकार समाजसेवी और बुद्धिजीवी उपस्थित हुए। इनमें प्रमुख रूप से अवध प्रहरी के प्रबंध सम्पादक दिवाकर अवस्थी, पत्रकार श्रीधर अग्निहोत्री, भारत सिंह, राजेश सिंह, जेपी शुक्ल, एसपी सिंह, श्रीमती अंजू, अभिषेक कुमार उपस्थित थे। संचालन कार्यकारी सम्पादक नीरजा मिश्र ने किया।