ये लड़ रहे हैं कोरोना के साथ ही मच्छरों से 'जंग'
इत्रनगरी में 140 स्थानों पर करीब 3000 लोगों को क्वारन्टीन किया गया है। 14 दिन पूरे होने के बाद ही इनको घर जाने को मिलेगा। कोरोना वायरस के साथ ही बाहर से आने वाले कई लोग रात में मच्छरों से ‘जंग’ लड़ रहे हैं।
अजय मिश्रा
कन्नौज। इत्रनगरी में 140 स्थानों पर करीब 3000 लोगों को क्वारन्टीन किया गया है। 14 दिन पूरे होने के बाद ही इनको घर जाने को मिलेगा। कोरोना वायरस के साथ ही बाहर से आने वाले कई लोग रात में मच्छरों से ‘जंग’ लड़ रहे हैं। इससे बचने के लिए कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है।
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लॉक डाउन के दौरान करीब 140 स्थानों पर ऐसे लोगों को 14 दिन के लिए क्वारंटीन किया गया है, जो लॉकडाउन के बीच बाहर से आये हैं। ये स्थान ऐसे हैं, जहां सरकारी भवन बने हैं। कुछेक निजी भवनों में बाहरी लोगों और लॉक डाउन के बीच बाहर से आने वालों को रोका गया है। इन स्थानों पर करीब तीन हजार लोग 14-14 दिन के लिए रुके हैं।
जीटी रोड बाईपास किनारे अर्शी पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट छात्रावास में 144 लोग ठहरे हुए हैं। यहां के लोगों का कहना है कि रात में मच्छरों की तादात बढ़ जाती है, जिसकी वजह से नींद नही आती।
मलेरिया और अन्य मच्छरजनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। शिकायत मिलने पर डीएम राकेश मिश्र ने मच्छर भगाने के लिए फॉगिंग और अन्य छिड़काव कराने को कहा है।
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बताया गया है कि यहां गैर प्रान्तों के भी लोग रुके हैं। सात अप्रैल को हैदराबाद से फर्रुखाबाद जा रहे छह युवकों को भी पकड़कर यहीं भेजा गया। इनको पुलिस ने पकड़ा था। जिला अस्पताल में पहले इन लोगों की जांच हुई, उसके बाद 14 दिन के लिए क्वारन्टीन कर दिया गया।
डीएम के कहने पर भी दूसरा पैकेट नही
शहर किनारे स्थित पैरामेडिकल छात्रावास में बने क्वारन्टीन सेंटर में डीएम राकेश मिश्र ने छह अप्रैल को निरीक्षण किया था। रुके लोगों की शिकायत पर निर्देश दिए थे, मांग के तहत भोजन दिया जाए। अगर कोई दूसरा डिब्बा मांग रहा या एक पैकेट में पेट नही भर रहा तो अतिरिक्त भोजन मुहैया कराया जाए।
बताया गया है सुबह और शाम दो वक्त चाय दी जाती है। सुबह पूड़ी सब्जी और शाम को रोटी सब्जी दी जाती है। भोजन में चावल भी दिए जाते हैं। कुछ बच्चे भी ठहरे हुए हैं, जिला प्रशासन ने इनके लिए दूध की भी व्यवस्था की है।
गांव में नहीं पहुंचते अधिकारी
जनपद में कन्नौज, जसोदा और छिबरामऊ इलाके के तीन-चार क्वारन्टीन सेंटर ऐसे हैं जहां ज्यादा लोग रुके हैं। ऐसे सेंटरों पर तो अधिकारी निरीक्षण कर आते हैं, लेकिन गांव के जिन स्कूल, कॉलेज व पंचायतघरों में लोग ठहराए गए हैं वहां अफसर जल्द नही पहुंचते। लापरवाही और ढील की वजह से लोग इधर उधर घूमते हैं।
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