इस कुलपति ने स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर उठाए कदम, किया ये काम

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एन.के तनेजा के आहवान पर विश्वविद्यालय में कुलपति स्वास्थ्य सुरक्षा अभियान की शुरूआत की गई है।

Update:2020-06-23 17:45 IST

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एन.के तनेजा के आहवान पर विश्वविद्यालय में कुलपति स्वास्थ्य सुरक्षा अभियान की शुरूआत की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालय के समस्त कर्मचारियों को कोरोना जैसी महामारी से बचाना तो ही है साथ ही अपनी पुरानी संस्कृति की ओर ध्यान आकर्षित करना है। कुलपति का कहना है कि हिन्दुत्व धर्म नहीं जीवन शैली है।

भारतीय संस्कृति हमेशा से ही श्रेष्ठ रही है। लेकिन पाश्चात्य संस्कृति की आपनाने के चक्कर में हम अपनी संस्कृति को भूल गए। जबकि पूरी दुनिया भारतीय संस्कृति को अपना रही है। कोरोना जैसी महामारी में केवल भारतीय संस्कृति को अपनाकर ही बचाव किया जा सकता है। इस अभियान की जिम्मेदारी कुलपति ने प्रतिकुलपति प्रोफेसर वाई विमला के निर्देशन में जन्तु विज्ञान विभाग को सौंपी है। जन्तु विज्ञान विभाग विभागाध्यक्ष प्रो0 नीलू जैन गुप्ता के अनुसार कोरोना से बचने के लिए कुलपति द्वारा दिये गये सात सूत्र इस प्रकार हैः-

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1- नमस्ते जैसा भारतीय अभिवादन ही श्रेयस्कर भारतीय संस्कृति में हाथ मिलाने की परंपरा कभी नहीं रही। हम हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन किया करते थे। यही हाथ जोडने की परंपरा ही कोरोना जैसी महामारी में काम आ रही है। इस समय हम किसी से हाथ नहीं मिला रहे दूर ही हाथ जोडकर सभी अभिवादन स्वीकार कर रहे हैं।

2- भारतीय संस्कृति में घर में जूते चप्पल ले जाने की परंपरा नहीं थी। हम घर के बाहर ही अपने जूते या चप्पल उतार दिया करते थे। उसके बाद बाहर ही लगे नल पर हाथ पांव धोकर ही घर के अंदर प्रवेश करते थे। कोरोना महामारी में ही अब घर के बाहर अपना सारा सामान रखकर घर के अंदर प्रवेश करते हैं।

3- नीम का पत्ते का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व बताया गया हैं। पहले हमारे घरों नीम की पेड जरूर होता था। नीम की ही हम दातून किया करते थे। किसी प्रकार की चर्म रोग होने पर नीम के पानी से स्नान किया करते थे। कान में दर्द या शरीर में कोई दर्द होने पर नीम के तेल की मालिश किया करते थे।

4- भारतीय संस्कृति में दिन में दो बार स्नान किया करते थे। एक तो सुबह स्नान करके पूजा पाठ किया करते थे। और दूसरी बार शाम को स्नान करके संध्या किया करते थे। कोरोना महामारी में भी हम बाहर से आने के बाद स्नान कर रहे हैं।

5- हमारी संस्कृति में बासी भोजन को कोई महत्व नहीं था। हमारे घरों में हमेशा में ताजा भोजन बनता था और उसको हम खाते थे। तीनो समय हमारे घरों में ताजा भोजन ही बनाया जाता था। यदि घर में भोजन बच जाता था तो वह हम घर में पल रहे पशुओं को दे देते थे।

6- पूराने रीति रिवाजों को यदि हम देखे तो हम लोग घर के बाहर ही तालाब या फिर नदी में कपडे को घोते थे। घर के अंदर कभी कपडे नहीं धोये जाते थे। कोरोना महामारी में भी हम प्रयास करते हैं कि घर के अंदर नहीं बल्कि बाहर ही आंगन आदि में कपडे को धोया जाए।

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7- भारतीय संस्कृति में योग का बहुत महत्व है। योग के माध्यम से हम अपनी श्वसन क्रिया को मजबूत किया करते थे। इसके अलावा योग करने से शारीरिक मजबूती भी आती है। कोरोना सबसे पहले श्वसन तंत्र ही हमला करता है। इसलिए योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाए और प्रतिदिन योग करें।

जन्तु विज्ञान विभाग विभागाध्यक्ष प्रो0 नीलू जैन गुप्ता के अनुसार कुलपति के आहवान पर शुरु इस अभियान को हम कई चरणों में चलाएंगे। इसमें विश्वविद्यालम में काम करने वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य परीक्षण भी करेंगे।

सुशील कुमार, मेरठ

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