शाहजहांपुर: क्या आपने कभी उल्लू पूजन देखा है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि क्यों यहां पिछले दस साल से उल्लू पूजन होता है। आखिर इसे पढ़े लिखे तबके के प्रोफेसर क्यों करते हैं। देश में सबसे बङी घटनाओं को रोकने और शिक्षा के मंदिर से उठते नारे भारत तेरे टुकड़े होंगे, जैसे लोगों की ही बुद्धि शुद्धि करने के लिए ही यहां के प्रोफेसर उल्लू पूजन करते हैं। ये परंपरा पिछले कई सालों से चली आ रही है।
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दिवाली से पहले होता है पूजन
आंशिक रूप से सूर्यास्त के वक्त दिवाली से पहले उल्लू पूजन कर रहे पृथ्वी संस्था के ये वे पढ़े लिखे प्रोफ़ेसर लोग हैं। जो हर साल देश या फिर प्रदेश की किसी भी बड़ी समस्या के लिए उल्लू पूजन करते हैं। आज दिवाली से पहले हुआ ये उल्लू पूजन देश में लगातार राजनीति के गिरते स्तर और देश की अखंडता को कायम रखने के लिए समर्पित है। इस उल्लू पूजन में स्वामी शुकदेवानंद डिग्री कालिज के कई अहम विषयो के प्रोफ़ेसर शामिल हुए है। ख़ास बात ये है कि ये प्रोफ़ेसर हर साल दिवाली से पहले इस उल्लू पूजन का आयोजन करते है। इस पूजन में एक ईंट पर उल्लू का फोटो रखकर उसका आंशिक पूजन किया जाता है। पूजन के बाद उल्लू को नंगे पाँव शाहजहांपुर के छोर पर बहने वाली गर्रा नदी में प्रवाहित करते हैं। ताकि देश में होने वाले किसी भी विनाश को बचाया जा सके।
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दस साल से चल रहा अनुष्ठान
एसएस कालेज के कामर्स के विभागाध्यक्ष डॉ अनुराग अग्रवाल ने बताया कि वह दस साल से उल्लू पूजन करते है। देश की अखंडता को तोड़ने की जो साजिश चल रही है। इस वक्त देश को खतरा उन लोगो से जो शिक्षा के मंदिर मे शिक्षा लेकर नारे लगाते है कि भारत तेरे टुकड़े होंगे। ये पूजन उन लोगो के लिए हे। पूजन करने से उन लोगो की बुद्धी शुद्धी होगी और देश ऐसे लोगो से बच जाएगा।