Gorakhpur News: 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रदेश में दर्ज हुए थे 2940 मुकदमे, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने क्यों मांगा स्टेटस रिपोर्ट?
Gorakhpur News: सिख विरोधी दंगों की फाइलें 40 साल बाद फिर खुलने की तैयारी है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने सभी राज्यों से दंगों के मुकदमों की स्टेटस रिपोर्ट तलब कर जानने की कोशिश की है कि दंगों में दर्ज मुकदमों की प्रगति क्या है।;
Goarkhpur News: वर्ष 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कह हत्या के बाद देश में हुए सिख विरोधी दंगों की फाइलें 40 साल बाद फिर खुलने की तैयारी है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने सभी राज्यों से दंगों के मुकदमों की स्टेटस रिपोर्ट तलब के जानने की कोशिश की है कि दंगों में दर्ज मुकदमों की प्रगति क्या है। अपर पुलिस महानिदेशक एसके भगत ने प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को पत्र लिखकर दंगों के मुकदमों और उनकी वर्तमान स्थिति की जानकारी मांगी है। गोरखपुर समेत कई जिलों में 1984 के दंगों वाली फाइलें मिल नहीं रही है। इसे लेकर पुलिस के अधिकारी मुश्किलों में दिख रहे हैं।
पुलिस विभाग के 2010 की रिपोर्ट में सिख दंगों में 11 केस का जिक्र था, लेकिन फिलहाल किसी का ब्योरा नहीं है। जबकि दंगे की आग में झुलसे 150 से अधिक परिवारों ने जिला ही छोड़ दिया था। बुजुर्ग बताते हैं कि दंगों के दौरान यहां सिख समुदाय की दुकानें जला दी गई थीं और घरों को भी निशाना बनाया गया था। जसपाल सिंह ने बताया कि दंगे के बाद 150 से ज्यादा परिवार ने गोरखपुर छोड़ दिया और कभी वापस नहीं लौटे। गोलघर में कोहली टायर्स और पाल ऑटोमोबाइल्स जैसी दुकानों को लूटा गया और आग लगा दी गई थी। इसी के साथ रेती पर एक जूते-चप्पल की दुकान और कैंट इलाके में टायर की दुकान में आग लगाने समेत कई घटनाएं सामने आई थीं। मगर उसका ब्यौरा अब पुलिस के पास नहीं है। रिकॉर्ड न मिलने से यहां की पुलिस ने केस की स्टेटस रिपोर्ट शून्य दी है।
प्रदेश में दर्ज हुए थे 2940 मुकदमे
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगे में प्रदेश में 2940 मामले दर्ज किए गए थे। अब अल्पसंख्यक आयोग यह जानना चाहता है कि सिख समुदाय पर हुए हमलों के मामलों में राज्यों ने क्या कार्रवाई की। मुकदमों की अद्यतन स्थिति क्या है। माना जा रहा है कि सभी राज्यों से रिपोर्ट मिलने के बाद अल्पसंख्यक आयोग राज्यों को इस बाबत कोई दिशा-निर्देश दे सकता है। पीड़ितों को मुआवजा देने के बारे में किसी ठोस कदम पर विचार किया जा सकता है।