मायावती को था इनसे प्यार, ‘बहन जी’ में है इनकी पूरी कहानी

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती आज अपना 64वां बर्थडे मनाया जा रहा है। वो उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में दलित राजनीति का चेहरा बनी मायावती का जन्मदिन चर्चा में बना रहता है।

Update:2020-01-15 14:32 IST

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती आज अपना 64वां बर्थडे मनाया जा रहा है। वो उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में दलित राजनीति का चेहरा बनी मायावती का जन्मदिन चर्चा में बना रहता है। मायावती के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनका जन्मदिन अक्सर विवादों के घेरे में रहता था। उनका नोटों की बड़ी सी माला पहनना विपक्षियों के निशाने पर रहता था। और तो और उन पर महत्वाकांक्षी होने के आरोप लगते थे।

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महत्वाकांक्षा का जन्म कहां से हुआ, इस बात के संकेत अजय बोस की किताब ‘बहन जी’ में मिलते हैं। इस किताब में मायावती की अपने पिता से तल्खी, दादा से प्यार और स्वयं को साबित करने की उत्कंठा का जिक्र किया गया है।

दूसरी शादी करने को तैयार थे पिता

मायावती के दादा मंगलसेन अंग्रेज सेना में सिपाही रह चुके थे और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इटली में लड़े थे। मायावती अपने दादा की चाहती थीं, वह उनकी बुद्धिमानी, निष्पक्षता और ऊंचे विचारों की सराहना करती हैं। वे गर्व से याद करती हैं कि उनके दादा ने दोबारा शादी करने से मना कर दिया था जब उन्होंने अपनी पत्नी को खो दिया था। जिस टाइम उनके पुत्र यानी मायावती के पिता प्रभुदास की उम्र महज 6 महीने की थी। उन्होंने अकेले ही प्रभुदास को पाला।

लेकिन पिता के लिए मायावती के मन में खुली अवहेलना की भावना थी जो रिश्तेदारों की सलाह पर दूसरी पत्नी लाने को तैयार थे क्योंकि उनकी मां ने एक के बाद एक तीन बेटियों को जन्म दिया था। रिश्तेदारों ने उनके कान भर दिए थे कि प्रभुदास अपने पिता के इकलौते बेटे हैं, वंश आगे बढ़ाने के लिए उन्हें बेटा पैदा करना ही पड़ेगा। उन्हें कई साल बाद तक अपनी मां का दुख और अपमान याद था जो उनके पिता ने पुत्र को पाने के लिए किया था।

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मायावती के दादा मंगलसेन ने जबरदस्ती अपने बेटे को दोबारा शादी करने से रोका। उन्होंने अपने बेटे प्रभुदास से और उनके साथियों को बुलाकर कहा कि मेरा वंश पोतियां ही चलाएंगी। हम अपनी पोतियों को ही अच्छी तरह पढ़ा लिखाकर होनहार बनाएंगे। कुछ टाइम बाद मायावती की मां ने एक के बाद एक 6 बेटों को जन्म दिया और एक तरह से तानों का बदला ले लिया। मायावती को याद है कि उनके पिता ने बेटियों को मुफ्त शिक्षा दिलाने के लिए सरकारी स्कूलों में भेजा और बेटों की पढ़ाई पर अच्छा पैसा खर्च किया।

‘बहन जी’ में मायावती का कथन कोट किया गया है जिसमें वे कहती हैं ‘मेरे पिता जी ने मेरे भाइयों पर तो काफी पैसा लगाकर अच्छा पढ़ाने लिखाने पर खूब ध्यान दिया। इसके विपरीत एक लड़की होने के कारण मुझे एक साधारण सरकारी स्कूल में ही पढ़ने का मौका मिला। फिर भी मैं अपनी मेहनत और लगन के आधार पर आगे बढ़ती रही और पढ़ाई में भाइयों के मुकाबले में अच्छा प्रदर्शन करती रही।’

जब पिता को हुआ गलती का अहसास

उनकी किस्मत ने 1993 में पलटी मारी और उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के लिए उनकी पार्टी बसपा सपा के साथ आ गई। मायावती की राजनैतिक हैसियत तेजी से ऊपर उठी और मुलायम सिंह यादव भले मुख्यमंत्री बने, मायावती को ‘महा मुख्यमंत्री’ की उपाधि मिली। वो ऐसा टाइम था जब मायावती के VVIP हो जाने पर मायावती के पिता प्रभुदास के पुश्तैनी गांव से लोग अपने काम की सिफारिश कराने लखनऊ आने लगे।

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उनके पिता प्रभुदास लखनऊ आए और उन्होंने अपने क्षेत्र बादलपुर के लिए खास योजनाओं का आग्रह किया। इस पर मायावती ने उन्हें ताना दिया ‘आपका वंश तो आपके बेटे चलाने वाले हैं।उन्हें अपने गांव बादलपुर ले जाओ और उन्हीं से गांव की तरक्की करवा लो। सड़कें बनवा लो, बस चलवा लो, स्कूल खुलवा लो, अस्पताल बनवा लो।’

मायावती अपनी आत्मकथा में लिखती हैं कि उनके पिता ने माफी मांगते हुए कहा कि, ''अब उन्होंने महसूस कर लिया था कि उनके जीवन में सबसे खास जगह उनकी बेटी की ही थी।'' बाद में मायावती उंचाई पर चढ़ती गई और उनकी पिता से दूरी बनी रही।

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