UP Election 2022 : लोकतंत्र के इतिहास में दो दशक बाद पहली बार बसपा चुनावी दंगल से हुई बाहर, जानें क्या है कारण
UP Election 2022 : सातवें चरण में जौनपुर में मतदान होना है। इस बार सभी विधानसभा सीटों पर सपा, भाजपा के बीच सीधी टक्कर दिख रही है। वहीं बसपा लड़ाई से बाहर नजर आ रही है।
UP Election 2022 : जौनपुर के नौ विधानसभाओं में सातवें चरण के लिए हो रहे चुनाव में अब जनता की रूझान से संकेत मिलने लगे हैं। इस चुनावी दंगल में जिले की लगभग सभी विधानसभाओ में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) बनाम भाजपा (BJP) की जंग चल रही है, वहीं कुछ एक विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर बसपा पूरी तरह से चुनाव मैदान से बाहर हो गयी है। जिसका परिणाम है कि बसपा के मूल वोटरों के खरीद फरोख्त का सिलसिला भी चल चुका है। हालांकि निष्पक्ष चुनाव और मतदान कराने आये प्रेक्षक गण इससे बेखबर केवल कागजी खाना पूर्ति कर अपनी जिम्मेदारियां निभाते नजर आ रहे हैं।
जिले के पूर्वांचल में स्थित केराकत (सु) विधानसभा यहां से बसपा के प्रत्याशी डाॅ लालबहादुर सिद्धार्थ चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमाने आये हैं। लेकिन इनकी पत्नी अनीता सिद्धार्थ जो इनके खिलाफ बागी हो गयी हैं और बसपा के मूल वोटरों को भाजपा के प्रत्याशी की तरफ मोड़ने के लिए दिन रात एक कर दी हैं। पत्नी की बगावत डाॅ सिद्धार्थ पर भारी पड़ती नजर आने लगी है। यहां पर सपा और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई दिख रही है। कांग्रेस की स्थिति जग जाहिर है वह लड़ाई में है ही नहीं।
जौनपुर सदर विधानसभा
जौनपुर सदर विधान सभा से बसपा के टिकट पर चुनावी मैदान में सलीम खांन हैं और यहां सपा प्रत्याशी अरशद खांन पूर्व विधायक और कांग्रेस से पूर्व विधायक नदीम जावेद चुनाव लड़ रहे हैं। तीन मुसलमान होने के चलते सलीम खांन लड़ाई से बाहर नजर आने लगे हैं। हालांकि मुस्लिम वोटों की रूझान सपा और कांग्रेस की ओर नजर आ रही है और यहां पर भाजपा से चुनाव मैदान में आये प्रदेश सरकार के मंत्री गिरीश चंद्र यादव का भाग्य उदय होता दिखाई देने लगा है।
इसका एक फैक्टर यह भी है कि मौर्य समाज के नेता को सपा ने पहले टिकट दिया फिर काट कर अरशद को पकड़ा दिया। इससे नाराज मौर्य मतदाता गिरीश चंद्र यादव के पाले में चला गया और मजबूती प्रदान कर दिया है। यहां बता दें कि बसपा के बिखरे मूल वोटों पर सपा, भाजपा, कांग्रेस तीनों की गिद्ध नजर लगी हुई है। वोटर भी कीमत वसूलने को वेकरार भी हैं। यहां बसपा चौथे स्थान पर जा सकती है।
मड़ियाहूँ विधानसभा
मड़ियाहूँ विधानसभा के सर्वे के बाद जो रिपोर्ट आयी है उसके अनुसार बसपा का प्रत्याशी अनन्द दूबे चुनाव तो लड़ रहे हैं लेकिन उनके समाज के ब्राह्मण मतदाता की उपेक्षा उन्हे चुनवी जंग से बाहर धकेल दिया है। हालांकि खबर के अनुसार ये भी तीसरे अथवा चौथे स्थान के लिए अपनी पूरी ताकत लगाये हुए हैं। यहाँ सपा और अपना दल के बीच सीधी टक्कर चल रही है। कांग्रेस प्रचार ही नहीं कर रही है।
जफराबाद विधानसभा
जफराबाद विधानसभा की समीक्षा से खबर है कि यहां पर बसपा ने जिस संतोष कुमार मिश्रा को अपने प्रत्याशी घोषित कर चुनाव मैदान मे उतारा है। पहली बात वह जफराबाद विधानसभा क्षेत्र के निवासी नहीं हैं, न ही कोई बड़े नेता हैं। उनके सामने भाजपा से विधायक हरेन्द्र प्रताप सिंह तो सपा सुभासपा गठबंधन से दिग्गज नेता जगदीश नरायन राय हैं, जो एक तरफा चुनाव लड़कर विधान सभा पहुंचने वालों की सूची में नजर आने लगे हैं। हालांकि बसपा लड़ाई से बाहर दिख रही है।
मल्हनी विधानसभा
अब बात करते हैं जिले की सबसे संवेदनशील मल्हनी विधानसभा की तो यहां पर बसपा का प्रत्याशी शैलेन्द यादव जदयू प्रत्याशी बाहुबली नेता धनंजय सिंह का चुनाव प्रचार कर रहा है क्योंकि उसको टिकट दिलाने की पूरी स्क्रिप्ट धनंजय सिंह द्वारा लिखी गयी है। यहां भाजपा भी लड़ाई को धार नहीं दे सकी है। तो सीधी जंग सपा प्रत्याशी लकी यादव विधायक और जदयू प्रत्याशी धनंजय सिंह के बीच चल रही है हलांकि जद यू का अपना कोई जनाधार यहां नहीं है लेकिन प्रत्याशी अपने निज जनाधार की बदौलत लड़ाई को रोचक बना दिया है। यहां पर बसपा को पूरी तरह से शून्य होने के कारण उसके मूल वोटरो पर सभी की नजर टिक गयी है परिणाम आने के बाद साफ होगा कि कौन कितना खरीदने में सफल रहा।
शाहगंज विधानसभा
शाहगंज विधानसभा की भी कमोबेश स्थिति ऐसी ही है। यहां पर इन्द्रदेव यादव बसपा के प्रत्याशी जरूर है लेकिन लड़ाई के बाहर इसलिए हो गये हैं कि उनका समाज अखिलेश यादव को सीएम बनाने के लिए वोटिंग करने जा रहा है। दलित मतदाता यहां भी अपना मोल लगा दिये हैं। और सपा और भाजपा गठबंधन से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी वोटों की खरीद फरोख्त कर रहे हैं। हालांकि पैसा खूब बह रहा है और जिम्मेदार बेखबर हैं।
इसी तरह बदलापुर विधानसभा सहित मछलीशहर (सु) और मुंगराबादशाहपुर विधानसभा की भी स्थिति कमोबेश कुछ इसी तरह की हो गयी है। बसपा ने बदलापुर से मनोज सिंह को टिकट दिया, जिसका कोई निजी जनाधार नहीं है। यहां पर सीधा मुकाबला सपा और भाजपा के बीच चल रहा है। मुंगराबादशाहपुर विधान सभा से दिनेश शुक्ला चुनाव मैदान में हैं, लेकिन यहां पर सपा और भाजपा की सीधी टक्कर मानी जा रही है। सपा के पंकज पटेल और भाजपा अजय दूबे दोनों क्षेत्र में खासा असर रखने वाले माने जाते हैं। जहां तक मछलीशहर (सु) का सवाल है यहां से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले विजय कुमार की कोई राजनैतिक पहचान नहीं है। यहा पर भी सपा की रागनी सोनकर और भाजपा मेहीलाल के बीच जंग चल रही है।
इस तरह जनपद की सभी नौ विधानसभाओं में लगभग दो दशक के बाद लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि जनपद जौनपुर के अन्दर बसपा चुनाव दंगल की मुख्य धारा से दूर हो गयी है। उसके वोट बैंक की छीना झपटी मची हुई है। इतना ही नहीं बसपा का कोई बड़ा नेता भी अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए जौनपुर की सरजमीं पर आना जरूरी नहीं समझ रहा है। हां प्रत्याशी खुद से जूझ जरूर रहे हैं।