UP Election 2022: यूपी में आबादी मात्र 7 प्रतिशत लेकिन CM दिए 5, हर दौर में रहा है ठाकुरों का जलवा
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के रण में उतरने को तैयार पार्टियों की नजर ठाकुर (राजपूत) वोटों पर भी है। आबादी के नजरिए से ठाकुरों की आबादी भले ही महज 6-7 प्रतिशत के करीब है लेकिन प्रदेश की राजनीति में यह जाति रसूख रखती है।
UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के रण में उतरने को तैयार पार्टियों की नजर ठाकुर (राजपूत) वोटों (kshatriya seat in up) पर भी है। आबादी के नजरिए से ठाकुरों की आबादी भले ही महज 6-7 प्रतिशत के करीब है लेकिन प्रदेश की राजनीति में यह जाति रसूख रखती है। सूबे में अब तक बने मुख्यमंत्रियों में ब्राह्मण के बाद सबसे ज्यादा ठाकुर समुदाय के ही रहे हैं। राजनीतिक धमक रखने के कारण ही ठाकुर समाज ने प्रदेश को अब तक पांच मुख्यमंत्री दिए हैं।
वर्तमान राजनीति की ही बात करें तो अलग-अलग पार्टियों में ही सही कई ठाकुर चेहरे हैं। इस बार तो सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ही खुद राजपूत समाज से आते हैं। इसके अलावा सुरेश राणा, संगीत सोम, वीरेंद्र सिंह, नीरज शेखर, पंकज सिंह, अरविन्द सिंह गोप, अखिलेश प्रताप सिंह रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) सहित कई अन्य नेता सूबे की राजनीति में सक्रिय है। आंकड़ों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी में ही सबसे ज्यादा ठाकुर नेता हैं। 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कुल 304 सीटें जीती थी जिनमें 50 चेहरे ठाकुर (Thakur Seat In UP) ही हैं, जबकि कुल 56 विधायक इस वक्त सदन में इसी समुदाय।
योगी सरकार (Yogi Sarkar) में बढ़ा ठाकुरों का दबदबा
यूपी ने पांच मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ देश को दो प्रधानमंत्री चेहरा भी दिया। पहले थे चंद्रशेखर (Chandra Shekhar) और दूसरे विश्वनाथ प्रताप सिंह (Vishwanath Pratap Singh)। लेकिन, जानकर ये भी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में राजपूत सीएम तो बने पर कोई अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। इसकी वजह जोड़-तोड़ की राजनीति रही है। सत्ता में आने के लिए, लोगों में भरोसा बनाने के लिए ठाकुर चेहरों ने मेहनत तो खूब की, मगर कुर्सी की रस्साकशी में वो कहीं पीछे छूटते गए। लेकिन 2017 में योगी सरकार के साथ ही सत्ता में राजपूतों (ठाकुरों) की एक बार फिर वापसी हुई। इस आंकड़े से आप ठाकुरों का कद ज्यादा अच्छे से समझ सकते हैं कि योगी सरकार के कैबिनेट में 7 मंत्री राजपूत हैं, तब जबकि राज्य में इस जाति की आबादी 7 प्रतिशत के ही करीब है।
उत्तर प्रदेश बीजेपी (BJP In UP) से इस वक्त चार बड़े ठाकुर चेहरे हैं। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath News) , राजनाथ सिंह (Rajnath Singh News), संगीत सोम और सुरेश राणा। जाहिर है इस सधे नेतृत्व का नतीजा ही है कि इस वर्ग का वोट भी बीजेपी को मिल रहा है। समाजवादी पार्टी में भी अमर सिंह और रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) जैसे बड़े ठाकुर नेता।
आखिर कौन है ठाकुर? (Who Claimed Kshatriya Caste)
अब मन में सहज सवाल उठना लाजिमी है कि, ठाकुर है कौन? वैदिक और पौराणिक कथाओं की मानें तो, ब्राह्मणों का उद्भव भगवान ब्रह्मा के सिर से हुआ था, जबकि ठाकुर (क्षत्रिय) सृष्टिकर्ता की भुजा से पैदा हुए थे। वर्ण व्यवस्था में भी इनकी श्रेष्ठ स्थिति उनकी आर्थिक हैसियत के साथ जुड़ी हुई थी। यही हैसियत उन्हें राजनीतिक ताकत प्रदान करती रही है। आज भी कोई भी पार्टी ठाकुरों से अलग जाने का जोखिम नहीं उठा पा रही।
आबादी कम, स्वामित्व ज्यादा
उपनिवेशवाद के दौर से ठाकुरों को राजपूतों के नाम से जाना जाता रहा है। उत्तर प्रदेश के पूर्ववर्ती राजा, महाराजा, जमींदार और तालुकदार अधिकतर ठाकुर ही रहे हैं। वर्तमान में इनकी जनसंख्या महज 6-7 प्रतिशत है, बावजूद अनुमानतः राज्य में 50 प्रतिशत से अधिक भूमि का स्वामित्व इसी समाज के हिस्से है। वास्तव में ठाकुरों की वह नेतृत्व क्षमता ही है जिसने जनसंख्या के विषम अनुपात के बावजूद शक्ति, धन और सामाजिक प्रतिष्ठा को सदैव अपने साथ बनाए रखा।
दलित आंदोलन के बीच भी जलवा बरकरार
60 के दशक की राजनीति में चौधरी चरण सिंह का उदय हुआ। इस दौरान भूमि सुधार और जातीय आंदोलन का दौर शुरू हुआ। इसी के साथ ओबीसी जातियों ने भी उभार लेना शुरू किया। यादव, जाट, कुर्मी और गुर्जर सत्ता में दखल को बेकरार थे। 80 के दशक में यूपी में दलित नेताओं का ने अपनी पार्टियां तक बना ली थी। रही-सही कसर मंडल आंदोलन ने पूरी कर दी। ये वो दौर था जब सत्ता के शीर्ष पर रहे ठाकुरों को हाशिए की तरफ धकेला जाने लगा। इस दौर में पिछड़ों और दलित की राजनीति भले ही चरम पर थी लेकिन ठाकुरों ने बावजूद विपरीत परिस्थियों के अपना जलवा बरकरार रखा। यह अजीबोगरीब स्थिति थी, कि जिस मंडल आरक्षण को यूपी के ठाकुर नेता विश्वनाथ प्रताप सिंह ने लागू कराया, उन्हीं ठाकुरों के खिलाफ बाद में ओबीसी जातियां खड़ी हो गईं थी।
योगी पर ठाकुरों की नियुक्ति का आरोप बेमानी
योगी आदित्यनाथ की बायोग्राफी लिखने वाले शांतनु गुप्ता कहते हैं, 'डीएम,एसपी और न जाने किन-किन ठाकुरों चेहरों की नियुक्ति को लेकर योगी सरकार पर बहुत कुछ कहा जाता रहा, मगर मैंने घंटों बैठकर ठाकुर एसपी और डीएम के नामों को तलाशा, लेकिन 2017 के बाद मुझे इस दिशा में कोई ज्यादा प्रतिनिधित्व की बात नजर नहीं आई।' शांतनु कहते हैं 'जो लोग भी ऐसी बात कहते हैं, वो ये नहीं सोचते कि योगी ठाकुरों की राजनीति करके नहीं बल्कि हिंदू की राजनीति कर जीत हासिल की है।'
बीजेपी ने ऐसे किया था 'जूता कांड' का डैमेज कंट्रोल
जानकर मानते हैं कि आजादी के बाद कई दशकों तक ठाकुरों ने ब्राह्मणों का पक्ष लिया। आज भी सवर्ण मत को प्रायः एक गुट ही माना जाता है। आजाद भारत के शुरुआती 42 वर्षों में उत्तर प्रदेश के 14 मुख्यमंत्रियों की सूची को देखें तो आपको इस बात के संकेत मिलेंगे। लेकिन साल 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जब बीजेपी के ब्राह्मण चेहरा शरद त्रिपाठी ने पार्टी के एक कार्यक्रम में अपनी ही पार्टी के विधायक और राजपूत फेस राकेश सिंह पर जूता चला दिया। तब इसे जातिगत समीकरण के दरकने और प्रभुत्व में 'टकराहट' के तौर पर देखा गया। इस घटना के बाद बीजेपी, जो अब तक इन दोनों ही जाति को साधकर चल रही थी, सकते में आ गई। बीजेपी किसी कीमत पर ठाकुरों की नाखुशी मोल नहीं ले सकती थी। इसलिए उसने शरद त्रिपाठी का टिकट काट कर डैमेज कंट्रोल किया था। बीजेपी के इस एक्शन से किस पार्टी का रसूख दिखा, समझाने की जरूरत नहीं है।
ठाकुर बहुल आबादी वाला जिला
उत्तर प्रदेश में यूं तो राजपूत आबादी पूरे प्रदेश में फैली है, लेकिन कुछ जिले हैं जहां उनका वर्चस्व है। ये जिले हैं, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, प्रतापगढ़, हमीरपुर, फतेहपुर, जौनपुर, गाजीपुर और बलिया। ये जिले ठाकुर बहुल कहलाते हैं। यहां की विधानसभा सीटों पर इनका मत निर्णायक सिद्ध होता है।
अब जबकि 2022 विधानसभा चुनाव (2022 Uttar Pradesh Legislative Assembly election) नजदीक है बीजेपी सहित सभी पार्टियां ठाकुर वोट बैंक की तरफ देख रही है। हालांकि, ये भी सच है कि आंकड़े बीजेपी के पक्ष में जाते दिखायी दे रहे हैं, मगर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
उत्तर प्रदेश के पांच ठाकुर मुख्यमंत्री (UttarPradesh Ke Thakur Mukhyamantr)
त्रिभुवन नारायण सिंह (Tribhuvan Narain Singh)
विश्वनाथ प्रताप सिंह (Vishwanath Pratap Singh)
वीर बहादुर सिंह (Vir Bahadur Singh)
राजनाथ सिंह (Rajnath Singh)
योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)
यूपी से दो ठाकुर चेहरा जो बने प्रधानमंत्री (Thakur Pradhanmantri)
विश्वनाथ प्रताप सिंह
चंद्रशेखर