UP Election 2022: सरधना में हैट्रिक बनाने उतरे हैं संगीत सोम, घेरेबंदी में जुटी सपा को पहली जीत की तलाश

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार सरधना विधानसभा सीट पर मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़े टक्कर का होने वाला है।

Published By :  Bishwajeet Kumar
Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-01-24 19:54 IST

SP-BJP

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) के पहले चरण की सीटों में सरधना को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) ने इस सीट पर विवादित बयानों के लिए मशहूर संगीत सोम (Sangeet Som) को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है। 2012 और 2017 में चुनावी जीत हासिल करने के बाद अबकी बार संगीत सोम हैट्रिक बनाने के लिए इस विधानसभा क्षेत्र के सियासी रण में कूदें है। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी के अतुल प्रधान को हराया था और इस बार फिर उनका अतुल प्रधान से ही मुख्य मुकाबला माना जा रहा है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संगीत सोम भाजपा के चर्चित चेहरों में रहे हैं और यही कारण है कि इस बार भी सबकी नजरें उनके चुनाव क्षेत्र पर लगी हुई हैं। मुजफ्फरनगर के अंतर्गत आने वाले सरधना विधानसभा क्षेत्र (Sardhana Assembly Seat) में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि संगीत सोम एक बार फिर सपा के चक्रव्यूह को तोड़ने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं। वैसे सपा इस सीट पर अभी तक एक बार भी जीत हासिल नहीं कर सकी है।

पिछले दो चुनावों में विजयी रहे संगीत सोम

सरधना से भाजपा प्रत्याशी संगीत सोम की गिनती भाजपा के फायरब्रांड नेताओं में की जाती रही है। मुजफ्फरनगर दंगे में भी उनका नाम सामने आया था और उन्हें इस मामले में जेल भी जाना पड़ा था। भाजपा ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है। 2012 में चुनाव जीतने के बाद उन्होंने 2017 में भी चुनावी जीत हासिल की थी। 2017 में उन्होंने सपा प्रत्याशी अतुल प्रधान (Atul Pradhan) को 21,625 मतों से पराजित किया था। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की ओर से अतुल प्रधान को फिर टिकट देने से एक बार फिर 2017 के दो दिग्गजों के बीच मुकाबला होता दिख रहा है। अतुल प्रधान दो बार इस सीट से चुनाव हार चुके हैं। इस बार जीत हासिल करने के लिए उन्होंने पूरी ताकत लगा रखी है।

कांग्रेस ने चुनाव क्षेत्र में मुस्लिम प्रत्याशी सैयद रिहानुद्दीन (Syed Rihanuddin) को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने दलित प्रत्याशी संजीव धामा (Sanjeev Dhama) पर भरोसा जताते हुए उन्हें संगीत सोम को चुनौती देने का मौका दिया है। क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं के बाद सबसे ज्यादा संख्या दलित मतदाताओं की है। इसलिए मायावती ने इस चुनाव क्षेत्र में दलित प्रत्याशी पर दांव खेला है।

क्षेत्र पर भाजपा की मजबूत पकड़

सरधना में करीब साढ़े तीन लाख से अधिक मतदाताओं में 75,000 मुस्लिम मतदाता हैं जबकि दलित मतदाताओं की संख्या करीब 65,000 है। ठाकुर, गुर्जर और सैनी मतदाता भी यहां बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं। ऐसे में इस विधानसभा क्षेत्र में इस बार रोमांचक मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है। इस विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा की मजबूत पकड़ रही है। भाजपा के रविंद्र पुंडीर (Ravindra Pundir) ने इस सीट पर 1993, 1996 और 2002 में जीत हासिल की थी। 2007 में बसपा के चौधरी चंद्रवीर सिंह ने भाजपा के जीत के सिलसिले को तोड़ दिया था और वे चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। उसके बाद 2012 और 2017 में भाजपा के संगीत सोम ने जीत हासिल की और इस बार वे हैट्रिक बनाने के लिए इस चुनाव मैदान में उतरे हैं। संगीत सोम ने अपने 10 साल के कार्यकाल में क्षेत्र में काफी विकास कार्य कराने का दावा किया है।

सपा को अभी तक नहीं मिली है जीत

सरधना को गन्ने की मिठास वाला इलाका माना जाता है और गंगा-यमुना का दोआब होने के कारण यहां पर अधिकतर किसान गन्ने की खेती करते हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा होने के कारण सांप्रदायिक नजरिए से इस इलाके को संवेदनशील माना जाता रहा है। समाजवादी पार्टी अभी तक इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी है मगर इस बार सपा का रालोद से गठबंधन होने के कारण सपा प्रत्याशी की दावेदारी को आसानी से खारिज नहीं किया जा सकता। किसान आंदोलन के कारण सपा-रालोद गठबंधन को इस बारे यहां अच्छी चुनावी संभावनाएं दिख रही हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि विपक्ष के उम्मीदवार संगीत सोम को हैट्रिक बनाने से रोक पाते हैं या नहीं।

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