UP Election 2022: अब सपा के लिए मुसीबत बने स्वामी प्रसाद मौर्य, कई नेताओं के टिकट कटने की संभावना बढ़ी

UP Election 2022: समाजवादी पार्टी में स्वामी प्रसाद मौर्या के शामिल होने के बाद कई विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी के पुराने नेताओं का टिकट कटने की संभावना है।

Report :  Bishwajeet Kumar
Update: 2022-01-18 16:29 GMT

समाजवादी पार्टी की सदस्यता लेते स्वामी प्रसाद मौर्या

UP Election 2022: चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में होने वाले 2022 विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का घोषणा कर दिया है। जिसके बाद राज्य की सभी सियासी पार्टियां अपना अपना समीकरण साधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं साथ ही राज्य के कई नेता भी अपना राजनीतिक भविष्य बेहतर रखने के लिए अपना-अपना दल बदल रहे हैं। दल बदलने वालों में इस वक्त उत्तर प्रदेश में सबसे चर्चित नाम स्वामी प्रसाद मौर्य का है।

स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) उत्तर प्रदेश की योगी कैबिनेट में श्रम मंत्री रह चुके हैं हाल ही में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का साथ यह कहते हुए छोड़ दिया कि भारतीय जनता पार्टी के सरकार में दलितों, पिछड़ों, बेरोजगारों की उपेक्षा हुई है। भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा देने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। गौरतलब है कि 2017 विधानसभा चुनाव के पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2016 में बहुजन समाज पार्टी का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था उस वक्त स्वामी प्रसाद मौर्य ने बहुजन समाज पार्टी पर टिकट के लिए पैसे लेने का आरोप लगाया था।

स्वामी प्रसाद मौर्या के अप समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद समाजवादी पार्टी के भीतर नेताओं को अपने टिकट को लेकर डर सताने लगा है। स्वामी प्रसाद मौर्या के आने से समाजवादी पार्टी के कई विधानसभा सीटों पर सियासी समीकरण गड़बड़ होने की संभावना है। दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य जब समाजवादी पार्टी में शामिल हुए तो उनके साथ भारतीय जनता पार्टी के कई अन्य विधायकों ने भी समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली जिसके बाद से समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं को अपने टिकट पर ही संकट गहराता दिख रहा है।

बदायूं सीट (Badaun Assembly Constituency)

जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दिया तो उनके बाद सबसे ज्यादा सवाल यह उठ रहा था कि क्या उनकी बेटी संघमित्र मौर्य भी भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा देंगी। बता दें कि संघमित्रा मौर्य बदायूं लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के सांसद है। पिता के भाजपा से इस्तीफा देने के बाद उनसे सभी यही सवाल पूछ रहे थे कि क्या वह भी भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा देंगी हालांकि उन्होंने कहा कि मेरी विचारधारा अभी भी भारतीय जनता पार्टी के ही साथ है।

लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अभी नहीं तो 2024 विधानसभा चुनाव तक संघमित्रा मौर्य भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा जरूर दे देंगी। उसके बाद उनके समाजवादी पार्टी में शामिल होने की संभावना सबसे अधिक रहेगी। बता दें बदायूं सीट से समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री सलीम शेरवानी और समाजवादी पार्टी के नेता धर्मेंद्र यादव भी हमेशा से दावेदार रहे हैं। ऐसे में अगर संघमित्रा मौर्य समाजवादी पार्टी की सदस्यता लेती हैं तो सबसे बड़ा संकट धर्मेंद्र यादव और सलीम शेरवानी के लिए ही होगा।

जलालाबाद सीट (Jalalabad UP Assembly constituency)

स्वामी प्रसाद मौर्य ने जब समाजवादी पार्टी की सदस्यता लिया तो उनके साथ जलालाबाद विधानसभा सीट से पूर्व विधायक रहे नीरज मौर्य ने भी समाजवादी पार्टी की सदस्यता लिया। जिसके बाद से ही जलालाबाद विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को लेकर आशंकाएं बढ़ने लगीं। नीरज मौर्या के आने से इस सीट पर सबसे बड़ा खतरा शरद वीर सिंह के टिकट मिलने पर गहराने लगा। बता दें शरद वीर सिंह जलालाबाद विधानसभा सीट से 3 बार विधायक रह चुके हैं। इस मुद्दे पर उन्होंने अखिलेश यादव से मुलाकात करने का प्रयास किया मगर मुलाकात हो नहीं पाई।

ऊंचाहार और बिधूना विधानसभा सीट (Unchahar Assembly Constituency)

स्वामी प्रसाद मौर्या के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद से ही ऊंचाहार विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के दावेदारों का बीपी पढ़ने लगा। क्योंकि स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे उत्कृष्ट मौर्य अभी ऊंचाहार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की चाह रखते हैं अब ऐसे में समाजवादी पार्टी के नेताओं का परेशान होना लाजमी है। वहीं बात अगर बिधूना विधानसभा सीट की करें तो स्वामी प्रसाद मौर्या के सपा में शामिल होने के साथ इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक रहे विनय शाक्य ने भी सपा का दामन थाम लिया था। अब सस्पेंस यह है कि समाजवादी पार्टी अपने पुराने साथी नवल किशोर को टिकट देगी या नए साथी विनय शाक्य को।

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