Swami Prasad Maurya: दो बार जीतकर भी मौर्य ने पडरौना से काटी कन्नी, आखिर क्यों सीट बदलने को हुए मजबूर

UP Election 2022: पूर्व कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद मौर्य ने चुनौती दी थी कि उन्हें पडरौना से सपा का छोटा कार्यकर्ता भी चुनाव हरा सकता है मगर अब उन्होंने खुद ही पडरौना सीट से कन्नी काट ली है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update:2022-02-02 16:31 IST

अखिलेश यादव संग स्वामी प्रसाद मौर्य (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

  • UP Election 2022: समाजवादी पार्टी की ओर से बुधवार को जारी प्रत्याशियों की सूची (Samajwadi Party Candidate List 2022 UP) से साफ हो गया है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) इस बार अपना चुनाव क्षेत्र बदलकर फाजिलनगर (Fazilnagar Assembly Seat) से चुनाव लड़ेंगे। स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2012 और 2017 का विधानसभा चुनाव पडरौना विधानसभा सीट (Padrauna Vidhan Sabha Seat) से जीता था मगर इस बार उन्होंने अपना चुनाव क्षेत्र बदलने का फैसला किया है। 

पूर्व कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह (Ratanjit Pratap Narain Singh) के भाजपा में शामिल होने के बाद मौर्य ने चुनौती दी थी कि उन्हें पडरौना से सपा का छोटा कार्यकर्ता भी चुनाव हरा सकता है मगर अब उन्होंने खुद ही पडरौना सीट (Padrauna Seat) से कन्नी काट ली है। 

सियासी जानकारों का मानना है कि आरपीएन सिंह (RPN Singh) के भाजपा में शामिल होने के बाद मौर्य पडरौना से चुनाव लड़ कर कोई खतरा मोल लेना नहीं चाहते थे। मौर्य के इस बार चुनावी सीट बदलने की अटकलें पहले से ही लगाई जा रही थीं और अब सपा की सूची से साफ हो गया है कि वे फाजिलनगर विधानसभा क्षेत्र से किस्मत आजमाएंगे। 

आरपीएन सिंह (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

2009 में आरपीएन से हारे थे मौर्य

पडरौना विधानसभा सीट का इतिहास देखा जाए तो इस सीट पर आरपीएन सिंह ने तीन बार जीत हासिल की है। उन्होंने 1996, 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से जीत हासिल की थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में आरपीएन सिंह का मुकाबला स्वामी प्रसाद मौर्य (RPN Singh vs Swami Prasad Maurya) से ही हुआ था। इस मुकाबले में मौर्य को हार का सामना करना पड़ा था।

2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में मौर्य ने पडरौना सीट से ही जीत हासिल की थी। 2012 के चुनाव में वे बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे जबकि 2017 के चुनाव में उन्होंने भाजपा उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। आरपीएन के भाजपा में जाने के बाद वे लगातार उन्हें चुनौती देने में तो जुटे हुए थे मगर आखिरकार उन्होंने विधानसभा सीट बदलने में ही भलाई समझी। सियासी जानकारों का मानना है कि वे पडरौना से उतरकर कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहते थे। इसके साथ ही लगातार दो चुनाव जीतने के बाद उन्हें एंटी इनकंबेंसी का खतरा भी सता रहा था। 

स्वामी प्रसाद मौर्य (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

भाजपा की घोषणा से पहले ही सीट बदली

पडरौना में कुर्मी बिरादरी को वोट (Kurmi Voters In Padrauna) काफी संख्या में हैं और कुर्मी सैंथवार जाति (Sainthwar) से आने वाले आरपीएन की इन वोटों पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। पडरौना में भाजपा की ओर से आरपीएन को उतारे जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। भाजपा की ओर से अभी अपने पत्ते नहीं खोले गए हैं मगर उसके पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी विधानसभा सीट बदल कर फाजिलनगर से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

वैसे अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि पडरौना से भाजपा के पीएम को उतारेगी या नहीं। पार्टी स्तर पर चल रही चर्चाओं में उन्हें राज्यसभा भेजे जाने की बात भी कही जा रही है। पडरौना से भाजपा उम्मीदवार के नाम के ऐलान का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। 

फाजिलनगर में होगा कड़ा मुकाबला

फाजिलनगर में स्वामी प्रसाद मौर्य का मुकाबला भाजपा के दिग्गज गंगा सिंह कुशवाहा (Ganga Singh Kushwaha) के बेटे सुरेंद्र सिंह कुशवाहा (Surendra Singh Kushwaha) शुरू होगा। गंगा सिंह कुशवाहा जिला के पुराने भाजपा नेता रहे हैं और उन्होंने 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस बार पार्टी ने उनके बेटे सुरेंद्र सिंह कुशवाहा को चुनाव मैदान में उतारा है।

करीब 10 फ़ीसदी कुशवाहा मतों वाले इस विधानसभा क्षेत्र में 2012 के चुनाव में गंगा सिंह कुशवाहा ने करीब 5000 मतों से जीत हासिल की थी जबकि 2017 के चुनाव में वे करीब 42,000 वोटों से जीतने में कामयाब हुए थे। क्षेत्र पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। इसलिए फाजिलनगर विधानसभा सीट भी स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए आसान नहीं मानी जा रही है। इस चुनाव क्षेत्र में स्वामी प्रसाद मौर्य और भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह कुशवाहा के बीच कड़ा मुकाबला तय माना जा रहा है। 

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