UP Election 2022: पिंडरा सीट पर भाजपा को कांग्रेस की कड़ी चुनौती, जुटे हैं अजय राय

Up Election 2022 : वाराणसी (Varanasi Assembly seat) की पिंडरा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। दोनों पार्टी के प्रत्याशी जीत के लिए कड़ी महनत कर रहे हैं।

Report :  Anshuman Tiwari
Published By :  Ragini Sinha
Update: 2022-03-05 04:35 GMT

कांग्रेस और बीजेपी में कड़ा मुकाबला (Social media)

Up Election 2022 : वाराणसी (Varanasi Assembly seat) जिले की आठ विधानसभा सीटों में पिंडरा सीट (Pindra seat) पर भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच इस बार कड़ा मुकाबला दिख रहा है। भाजपा ने 2017 में इस सीट पर जीत हासिल करने वाले डॉक्टर अवधेश सिंह (bjp candidate Awadhesh Singh) को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है। मगर उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय (Congress candidate Ajay Rai) कड़ी चुनौती दे रहे हैं। ऐसे में अवधेश सिंह को अपनी सीट बचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।

सपा गठबंधन में यह सीट अपना दल कमेरावादी को मिली है जिसने राजेश कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है। राजेश कुमार और बसपा के बाबूलाल भी मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। भाजपा को यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का सहारा है और ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि मोदी और योगी के दम पर भाजपा यह सीट निकालने में कामयाब हो पाती है या नहीं।

दो बार बदला है इस सीट का नाम 

वैसे अगर इस सीट के इतिहास को देखा जाए तो इसका नाम दो बार बदल चुका है। 1952 में हुए पहले चुनाव के दौरान इस सीट का नाम वाराणसी पश्चिम था मगर 1957 के चुनाव में सीट का नाम बदलकर कोलअसला पड़ा। 2008 के परिसीमन तक यही नाम चलता रहा मगर परिसीमन के बाद इस विधानसभा क्षेत्र को पिंडरा नाम से जाना जाने लगा। कोलअसला को पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उदल का गढ़ माना जाता था और उन्होंने 9 बार इस विधानसभा सीट से चुनाव जीता। 

1996 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले अजय राय ने उदल को हराया था। 1996 के बाद 2002 और 2007 में भी अजय राय सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे। 2012 में सीट का नाम बदलकर पिंडरा पड़ा और तब भी अजय राय ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। 2012 में अजय राय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे और उन्होंने बसपा के जयप्रकाश को हराकर इस सीट पर जीत हासिल की थी। 

2017 का जनादेश 

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के अवधेश सिंह को इस सीट पर जीत हासिल हुई थी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में हिंदी के विभागाध्यक्ष रहे डॉ अवधेश सिंह ने बसपा के बाबूलाल पटेल को हराकर इस सीट पर जीत हासिल की थी। पिंडरा इलाके पर मजबूत पकड़ रखने वाले अजय राय 2017 के चुनाव में तीसरे स्थान पर खिसक गए थे। 2017 से पहले डॉ अवधेश सिंह कांग्रेस और बसपा के टिकट पर कई बार चुनाव लड़ चुके थे मगर उन्हें हर बार हार का सामना करना पड़ा था। 

इस बार के चुनाव में एक बार फिर उन्हें कांग्रेस के अजय राय से कड़ी चुनौती मिल रही है। वाराणसी की सियासत में अजय राय काफी चर्चित चेहरा रहे हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दी थी। हालांकि दोनों बार उन्हें भारी मतों से हार का सामना करना पड़ा था।

पिंडरा का जातीय समीकरण 

पिंडरा विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण को देखा जाए तो यहां पटेल बिरादरी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। 50,000 पटेल मतदाता किसी भी प्रत्याशी की हार और जीत में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही 45,000 भूमिहार और 35,000 यादवों की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण होती है। इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 30,000 दलित और 25,000 राजभर मतदाता भी हैं।

भाजपा प्रत्याशी डॉ अवधेश सिंह की ओर से क्षेत्र में कई विकास कार्य कराने के दावे किए जा रहे हैं जबकि विपक्षी दलों के प्रत्याशी उन्हें घेरने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वाराणसी में भव्य रोड शो किया है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी के काशी में डेरा डालने के बाद पिंडरा सीट पर डॉ अवधेश सिंह को सियासी लाभ मिल सकता है। वैसे इतना तो सच है कि पिंडरा सीट पर अपनी जीत को दोहराने के लिए इस बार डॉ अवधेश सिंह को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।

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