UP Election 2022: क्या महिलाएं तोड़ पाएंगी जीतने का रिकॉर्ड ?
UP Election 2022: कांग्रेस ने तो 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने का ऐलान किया है और उसकी पहली लिस्ट में ये दिखाई भी दिया है ।
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में 2017 के विधान सभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunav 2017) महिलाओं के लिए वाकई अच्छे रहे थे। आजादी के बाद से यूपी में सबसे ज्यादा कुल 41 महिलाएं विधान सभा पहुंची थीं। 2012 में इनकी संख्या 35 थी।
2017 का रिकॉर्ड क्या 2022 में टूट पायेगा, ये बड़ा सवाल है। कांग्रेस (Congress) ने तो 40 फीसदी टिकट महिलाओं (40 percent tickets to women) को देने का ऐलान किया है और उसकी पहली लिस्ट में ये दिखाई भी दिया है लेकिन बाकी पार्टियों ने ऐसी कोई बात नहीं कि है और न अभी तक किसी की सूची में इसका जिक्र है। बहरहाल, 2017 के प्रदेश विधानसभा चुनाव में 485 महिलाएं चुनाव मैदान में उतरी थीं और उनमें से 41 ने जीत दर्ज की यानी सदन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत के लगभग रहा था। वैसे, ज्यादातर ये महिलाएं राजनीतिक पृष्ठभूमि से थीं।
सबसे ज्यादा 35 महिलाएं बीजेपी (BJP) से जीत कर आईं थीं। जबकि कांग्रेस (Congress) और बसपा (BSP) से दो-दो महिलाएं जीतीं। सपा (Samajwadi Party) और अपना दल से भी एक-एक महिला उम्मीदवार जीत कर सदन में आईं थीं।
2017 में कांग्रेस के मात्र 7 प्रत्याशी जीते
2017 में कांग्रेस के मात्र 7 प्रत्याशी जीते जिनमें दो महिलाएं थीं - आराधना मिश्र और अदिति सिंह। आराधना मिश्र मोना भी राजनीतिक पृष्ठभूमि की हैं। उनके पिता प्रमोद तिवारी प्रतापगढ़ जनपद की रामपुर खास सीट से नौ बार विधायक रहे। उनके राज्यसभा चले जाने के बाद मोना उपचुनाव में जीतीं थीं और 2017 में फिर वो अपनी सीट बचाने में सफल रहीं।
उधर, रायबरेली से कांग्रेस प्रत्याशी अदिति सिंह ने तो बहुत बड़ी मार्जिन से जीत दर्ज की। वो रायबरेली सीट पर करीब 89,163 वोटों से जीती थीं। अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह इसी सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं।
फैजाबाद जिले की बीकापुर सीट से शोभा सिंह चौहान बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतीं। शोभा सिंह के पति मुन्ना सिंह चौहान पूर्व मंत्री थे और राष्ट्रीय लोक दल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। उनकी मृत्यु के बाद शोभा ने अपनी राजनीतिक पारी शुरू की और बीजेपी में शामिल हुईं और चुनाव में जीत दर्ज की।
बीजेपी की महिला प्रत्याशी
बीजेपी की स्वाति सिंह लखनऊ की सरोजिनीनगर सीट से जीत कर आई थीं। उनका राजनीतिक बैकग्राउंड सिर्फ इतना था कि उनके पति दयाशंकर सिंह बीजेपी के नेता हैं। बीजेपी ने स्वाति सिंह को महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। स्वाति ने चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के भाई को हराया था।
बीजेपी की सुचि चौधरी बिजनौर सीट से विधायक बनी थीं। इनके पति ऐश्वर्य चौधरी हत्या के एक केस में जेल में थे जब सुचि ने चुनाव लड़ा।
इसी तरह सांसद कौशल किशोर की पत्नी जया देवी मलीहाबाद सीट से लड़ीं और जीत गईं। उधर, लखनऊ की कैंट सीट से डॉक्टर रीता बहुगुणा जोशी भी बीजेपी विधायक बन गईं थीं। रीता ने मुलायम की बहू अपर्णा यादव को चुनाव में हराया था। इस बार अपर्णा के बीजेपी जॉइन करने की चर्चा है।
आगरा में भदावर राजघराने की पक्षालिका सिंह बाह सीट से चुनाव जीत गईं थीं। इनके पति राजा अरिदमन सिंह सपा सरकार में मंत्री रहे लेकिन फिर भाजपा में चले गए। अमेठी राजघराने की गरिमा सिंह भी चुनाव जीत गयीं थीं। इनका चुनाव बहुत रोचक रहा था। इनके पति राजा संजय सिंह ने अपनी दूसरी पत्नी रानी अमिता सिंह को कांग्रेस की ओर से अमेठी से लड़ाया तो रानी गरिमा सिंह भाजपा से खुद लड़ीं।
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