अभी से कांस के फूल देख किसान हैरान, छोड़ी बरसात की उम्मीद, जानें क्या है मान्यता
खेतों में खड़ी धान की फसल को अभी पानी की अधिक आवश्यकता है और अभी से अगर वर्षा ऋतु चली गयी तो किसानों के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी।
हरदोई: खेतों में खड़ी धान की फसल को अभी पानी की अधिक आवश्यकता है और अभी से अगर वर्षा ऋतु चली गयी तो किसानों के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी। यही सोंचकर किसान बेहद परेशान है, क्योंकि किसानों की चिंता की वजह कांस का फूलना है।
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कांस के फूलने के बाद वर्षा की हो जाती है विदाई
दरअसल एक कवि थे जिनको घाघ कवि कहा जाता है। घाघ की जितनी कहावतें हैं, वे सौ फीसदी सही पाई जाती हैं। इसलिए ग्रामीण उनकी कहावतों को अधिक महत्व देते हैं। उनकी एक कहावत की लाइन है- ''बोले लोमड़ी, फूली कांस, अब नाही वर्षा की आस''। ऐसे प्रसिद्ध ग्रामीण कवि घाघ की इस कहावत पर यकीन रखने वाले अनुभवी किसानों का मानना है कि अब बरसात की विदाई की बेला आ गई है। क्योंकि खेतों और जंगलों में खड़े कांस फूल गए हैं।
धान किसान परेशान अगर अभी नही हुई वर्षा तो दिक्कतें
कहावत को देखते हुए अगर ध्यान दिया जाए तो मौजूदा समय की स्थिति और भौतिक लक्षण यही बता रहे हैं कि मानसून रुखसत होने को है। अब अगर ऐसा हुआ तो सबसे ज्यादा झटका धान की फसल को लगेगा। इस बार करीब 8 दिन तक लगातार जिस तरह से बरसात हुई है उससे किसान खुश थे कि इस बार धान में पानी नही लगाना पड़ेगा लेकिन कांस फूलने के बाद किसान हैरान है।
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गौरतलब है कि मानसून का मौसम 15 सितंबर तक माना जाता है। अब जब से कांस फूले हैं लगभग रोजाना धूप निकल रही है। हालांकि आसमान में बादल आते हैं, लेकिन बिना बरसे ही वापस चले जाते हैं। ऐसे में गांवों में घाघ की कहावतों पर यकीन रखने वाले किसानों का मानना है कि घाघ ने जो आसार बताए हैं वह लक्षित हो रहे हैं। रात में ओस गिरने लगी है। कांस में फूल आ गए हैं। सियार चीख रहे हैं। बेर में भी फूल दिखने लगे हैं। यह सब बरसात की विदाई के लक्षण हैं। अब किसानों को लगने लगा कि बरसात न हुई तो अभी लगभग 10 बार पानी धान की फसल में लगाना पड़ेगा।
रिपोर्ट: मनोज तिवारी
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