गोरखपुर दंगा: CM योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा नहीं चलाएगी यूपी सरकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर मुख्य सचिव राहुल भटनागर गुरुवार को कोर्ट में हाजिर हुए। गोरखपुर में 2007 में हुए दंगे के आरोपियों के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति देने के मामले में महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि विधि परामर्शी की राय लेकर प्रमुख सचिव गृह ने अभियोजन की संस्तुति देने से इनकार कर दिया है।

Update: 2017-05-11 22:13 GMT

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर मुख्य सचिव राहुल भटनागर गुरुवार को कोर्ट में हाजिर हुए। गोरखपुर में 2007 में हुए दंगे के आरोपियों के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति देने के मामले में महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि विधि परामर्शी की राय लेकर प्रमुख सचिव गृह ने अभियोजन की संस्तुति देने से इनकार कर दिया है। इस पर कोर्ट ने याची को याचिका संशोधित कर राज्य सरकार के निर्णय की चुनौती के लिए 10 दिन का समय दिया। साथ ही सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे का जवाब मांगा है। कोर्ट ने राज्य सरकार को भी याची के पूरक हलफनामे का जवाब दाखिल करने का समय दिया। कोर्ट ने भविष्य में मुख्य सचिव की हाजिरी माफ करते हुए अगली सुनवाई की तिथि 7 जुलाई नियत की है।

यह आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस यूसी श्रीवास्तव की खंडपीठ ने परवेज परवाज की याचिका पर दिया है। महाधिवक्ता ने बताया कि 3 मई को अभियोग चलाने की संस्तुति देने से प्रमुख सचिव ने इनकार कर दिया है। पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। बाद में जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई। जांच पूरी होने के बाद राज्य सरकार से अभियोग चलाने की संस्तुति मांगी गई थी। राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह के अलावा अपर महाधिवक्ता विनोदकांत ने कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा। मुख्य सचिव के साथ कोर्ट में प्रमुख सचिव विधि रंगनाथ पांडेय, प्रमुख सचिव गृह डीके पंडा और अन्य अधिकारी मौजूद थे। राज्य सरकार ने इस मामले में अभियोग चलाने की संस्तुति देने से इनकार कर दिया है। इस पर कोर्ट ने आदेश को चुनौती देने का याची को समय दिया। दंगे में सीएम योगी आदित्यनाथ, मेयर अंजू चैधरी व विधायक राधामोहन अग्रवाल सहित अन्य को आरोपी बनाया गया है।

क्या है मामला ?

27 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। आरोप है कि इस दंगे में अल्पसंख्यक समुदाय के दो लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे। इस मामले में दर्ज केस में आरोप है कि तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ, विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और उस वक्त की मेयर अंजू चौधरी ने पुलिस के मना करने के बावजूद रेलवे स्टेशन के पास भड़काऊ भाषण दिया था इसके बाद ये दंगा भड़का था। पुलिस के मुताबिक ये विवाद मुहर्रम पर ताजिये के जुलूस के रास्ते को लेकर था।

इस मामले में योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के कई नेताओं के खिलाफ सीजेएम कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ था। योगी आदित्यनाथ समेत दूसरे बीजेपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने का आदेश दिए जाने का केस गोरखपुर के पत्रकार परवेज परवाज व सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात ने दाखिल किया था।

केस दर्ज होने के बाद मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई थी। एफआईआर दर्ज होने के आदेश और जांच पर आरोपी मेयर अंजू चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट से काफी दिनों तक स्टे ले रखा था। 13 दिसंबर 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे वापस ले लिया था।

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