Doctors Retirement Age in UP: यूपी में सरकारी डाक्टरों की रिटायरमेंट आयु बढ़ाना क्यों है जरूरी
Doctors Retirement Age: शासन ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जल्द ही इसे कैबिनेट से मंजूरी मिल जाएगी। अभी डाक्टरों की रिटायरमेंट आयु 62 साल है।
Doctors Retirement Age: उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी डाक्टरों की रिटायरमेंट आयु बढ़ाने की तैयारी में है। शासन ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जल्द ही इसे कैबिनेट से मंजूरी मिल जाएगी। अभी डाक्टरों की रिटायरमेंट आयु 62 साल है। इसे बढ़ाकर 65 साल और बाद में कुछ शर्तों के साथ 70 साल तक करने की तैयारी है।
डाक्टरों की भारी कमी
दरअसल यूपी में सरकारी डाक्टरों की भारी कमी है। स्वास्थ्य विभाग में डाक्टरों के जो वर्तमान पद हैं वो साल 2007 के आधार पर हैं। इसके बाद 15 वर्षों में प्रदेश की जनसंख्या काफी बढ़ी है और साथ ही नए अस्पताल भी खुले हैं। लेकिन डाक्टरों के पद 2007 के हिसाब से ही सृजित हैं। ऊपर से विगत कई वर्षों से डाक्टरों की भर्ती भी नहीं हुई है। 2022 में करीब 350 डाक्टर सेवानिवृत हुए हैं। 2023 में अनुमान है कि प्रति माह 30 से 35 डाक्टर रिटायर होंगे। इसकी वजह से प्रदेश में चिकित्सा सेवाएं बद से बदतर होती जा रही हैं।
विशेषज्ञ डाक्टर कम होते जा रहे
स्वास्थ्य सेवाओं के बदहाल होने की एक बड़ी वजह विशेषज्ञ डाक्टरों की भारी कमी है। प्रदेश भर में विशेषज्ञ डाक्टरों के करीब 2400 पद रिक्त हैं। यदि हम ओवर आल डाक्टरों की कमी देखें तो यूपी में करीब 6642 डाक्टरों के पद रिक्त हैं। उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग और राज्य सरकार इन्हें भर नहीं पा रही है।
निजी के मुकाबले सरकारी डाक्टरों का वेतन काफी कम है
वैसे भी नए विशेषज्ञ डाक्टर सरकारी सेवा में कम ही आना चाहते हैं। निजी क्षेत्र के अस्पतालों की तुलना में सरकारी वेतन काफी कम है। सरकारी डाक्टरों को शुरू में करीब 70 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता है जबकि निजी क्षेत्र में ये वेतन औसतन तीन लाख रुपए प्रतिमाह होता है। इसके अलावा सरकारी सेवा की शर्तें भी काफी कड़ी होती हैं। इस समस्या का फिलहाल समाधान यही नजर आ रहा है कि जो वर्तमान डाक्टर कार्यरत हैं उन्हें ही 65 साल तक काम करने दिया जाए। इससे उनकी विशेषज्ञता का लाभ जनता को मिलता रहेगा। क्योंकि न तो सरकार नए डाक्टरों की भर्ती कर पा रही है और न ही बड़े संस्थानों से पास आउट डाक्टर सरकारी सेवा में आने के इच्छुक दिख रहे हैं।
सरकारी अस्पताल बस किसी तरह चल रहे हैं
देश के सबसे बड़े प्रदेश में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का हाल ये है कि राजधानी लखनऊ में ही बड़े सरकारी अस्पतालों जैसे कि बलरामपुर, सिविल, लोकबंधु आदि में विषय विशेषज्ञ डाक्टरों की भारी कमी है। इनमें निर्धारित संख्या की तुलना में बहुत कम डाक्टर काम कर रहे हैं। जब ये हाल प्रदेश की राजधानी का है तो प्रदेश के अन्य जिलों और दूरजराज के ग्रामीण अस्पतालों की हालत का अंदाजा ही लगाया जा सकता है। प्रशासनिक स्तर पर भी निदेशकों व महानिदेशकों पर काम का बोझ ज्यादा है। कई डाक्टर प्रशासनिक और चिकित्सकीय कार्य दोनों ही कर रहे हैं।
यही कारण है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डाक्टरों की रिटाटरमेंट आयु बढ़ाने का मन बना लिया है। क्योंकि अब सरकार को भी लग रहा है कि नए डाक्टरों की भर्ती के इंतजार में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश से जुड़े मध्य प्रदेश में भी डाक्टरों की रिटायरमेंट आयु 65 साल हो चुकी है। और यूपी भी अब एमपी की राह पर चलने की तैयारी कर चुका है।