यूपी: प्राइमरी स्कूलों में लागू होगा ग्रेडेड लर्निंग कार्यक्रम

निदेशक ने अपने आदेश में कहा है कि इसके लिए शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाए और कार्यक्रम की प्रगति की लगातार मानिटरिंग की जाए।

Update:2019-07-17 22:37 IST
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लखनऊ: प्रदेश के करीब एक लाख से ज्यादा प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को ग्रेडेड लर्निंग के माध्यम से उनको पढ़ने लिखने तथा गणित के बुनियादी कौशलों को बढ़ाने कक्षा और विषय के लिए निर्धारित पाठयक्रम का बेहतर नतीजा प्राप्त करने और ड्रापआउट कम करने के लिए शैक्षिक सत्र 2019 -20 में ग्रेडेड लर्निंग कार्यक्रम संचालित किया जाएगा।

रिसोर्स टीम गठित करने का निर्देश

बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने इस कार्यक्रम को सुचारू ढंग से चलाने के लिए सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को शैक्षिक सत्र 2019-20 से इसे प्रदेश के सभी जिलों में लागू करने के लिए जिला तथा ब्लाक स्तर पर आगामी 22 जुलाई तक रिसोर्स टीम गठित करने का निर्देश दिया है।

निदेशक ने अपने आदेश में कहा है कि इसके लिए शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाए और कार्यक्रम की प्रगति की लगातार मानिटरिंग की जाए। साथ ही कार्यक्रम शुरू करने से पहले छात्र-छात्राओं का मौजूदा पढ़ाई का स्तर क्या है, इसके आकलन के लिए बेसलाइन सर्वे भी कराया जाये।

बेसिक शिक्षा निदेशक ने सभी बीएसए को हिदायत देते हुये कहा है कि विद्यालयों में ग्रेडेड लर्निंग कार्यक्रम प्रारंभ करने से पहले सभी ब्लाक शिक्षा अधिकारियों, जिला समन्वयक (प्रशिक्षण) और प्रथम संस्था के सदस्यों के साथ आगामी 21 जुलाई तक कार्यक्रम के क्रियान्वयन के संबंध में बैठक आयोजित कर आवश्यक तैयारी कर ली जाए तथा डीआरपी, बीआरपी व शिक्षकों के चयन व प्रशिक्षण के बारे में कार्ययोजना तैयार कर ली जाए।

उन्होंने कहा है कि 18 जुलाई से 22 जुलाई के बीच ब्लाक स्तर पर सभी ब्लाक शिक्षा अधिकारियों द्वारा अपने ब्लाक के अंतर्गत आने वाले परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का ग्रेडेड लर्निंग कार्यक्रम का एक दिवसीय कार्यक्रम जरूर किया जाए।

गौरतलब है कि प्राथमिक कक्षाओं विशेष रूप से कक्षा-एक से पांच में छात्र-छात्राओं को पढ़ने का बुनियादी कौशल, लिखने तथा गणितीय संख्याओं से परिचित कराया जाता है, जिसमें आगे की कक्षाओं में छात्र-छात्राओं के लिए सीखना व दक्षताओं और कौशलों का विकास संभव होता है।ऐसी स्थिति में छात्र-छात्राएं कक्षा के अनुरूप दक्षता को न सीख पाने के कारण पिछड़ जाते हैं तथा उनका शैक्षिक विकास अवरुद्ध हो जाता है, जिसका परिणाम अनेक बार ड्रॉपआउट के रूप में होता है।

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