UP News: UPPSC एपीएस भर्ती 2010 में बड़ा फर्जीवाड़ा, फेल उम्मीदवारों का चयन, CBI ने दर्ज किया केस

UP News: सीबीआई ने यूपीपीएससी के पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ, आयोग के अज्ञात अफसरों,कर्मचारियों और बाहरी अज्ञात लोगों के खिलाफ फर्जीवाड़ा का केस दर्ज किया है।

Report :  Krantiveer
Published By :  Divyanshu Rao
Update:2021-08-07 10:34 IST

उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग और सीबीआई  (डिजाइन फोटो:न्यूज़ट्रैक)

UP News: अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती-2010 के मामले में सीबीआई ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ, आयोग के अज्ञात अफसरों,कर्मचारियों और बाहरी अज्ञात लोगों के खिलाफ फर्जीवाड़ा, कूटरचित दस्तोवेजों के प्रयोग, धोखाधड़ी और आपराधिक मुकदमा दर्ज कर लिया है।

अधिकारियों ने अयोग्य उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने की साजिश रची

प्रभुनाथ वर्तमान में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में विशेष सचिव के पद पर तैनात हैं। प्रभुनाथ के खिलाफ दिल्ली में मामला दर्ज किया गया है। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि सीबीआई ने जांच के दौरान पाया कि प्रभुनाथ ने यूपीपीएससी के अन्य अधिकारियों के साथ अपर निजी सचिव के रूप में चयन के लिए कुछ अयोग्य उम्मीदवारों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए एक आपराधिक साजिश रची थी।

उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (फोटो:सोशल मीडिया)

आधिकारिक पद का किया दुरुपयोग

उस साजिश को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कथित तौर पर योग्य उम्मीदवारों के बजाय कुछ अयोग्य उम्मीदवारों का चयन करने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया था। उम्मीदवारों को निर्धारित क्राइटेरिया के अनुसार सामान्य हिंदी, हिंदी शॉर्ट हैंड टेस्ट और हिंदी टाइप‍िंग परीक्षा पास करनी थी।

सीबीआई का आरोप आयोग ने विवेकाधीन शक्तियों का उपयोग करने का फैसला लिया

सीबीआई ने आरोप लगाया कि 15 जून, 2015 को एक बैठक में आयोग ने अपनी विवेकाधीन शक्तियों का उपयोग करने का फैसला लेते हुए तय किया कि यदि उम्मीदवार हिंदी शॉर्टहैंड परीक्षा में क्वालीफाई करने के न्यूनतम अंक हासिल करने में नाकाम रहे तो तीसरे चरण की परीक्षा यानी कंप्यूटर ज्ञान जांच में क्वालीफाई करने के निर्धारित अंकों में उन्हें छूट दी जाए।

सीबीआई का कहना था कि 1,233 उम्मीदवारों में से 913 ने हिंदी शॉर्ट हैंड की परीक्षा में पांच प्रतिशत की गलती के साथ न्यूनतम निर्धारित 125 अंक प्राप्त किये और 331 उम्मीदवारों ने (आठ प्रतिशत की गलती के साथ 119 से 124 के बीच अंक हासिल किये। सीबीआई ने कहा क‍ि ऐसी परिस्थितियों में, 15 जून, 2015 को आयोग के अप्रूवल के अनुसार, जब अंतिम चयन के लिए पर्याप्त संख्या में उम्मीदवार उपलब्ध थे।

तब गलती में अतिरिक्त तीन प्रतिशत छूट देने की कोई आवश्यकता नहीं थी और उन्हें परीक्षा के तीसरे चरण यानी कंप्यूटर ज्ञान के लिए योग्य नहीं माना जाना चाहिए था।

आयोग के नियमों का अधिकारियों ने किया उल्लघंन

आरोप है कि 15 जून, 2015 को आयोग के नियम और निर्णय के अनुसार, केवल 913 उम्मीदवारों को कंप्यूटर टेस्‍ट के लिए योग्य माना जाना चाहिए था। लेकिन प्रभुनाथ ने आयोग के अन्य अधिकारियों के साथ इसी निर्णय का उल्लंघन किया था ताकि कुछ गैर योग्य उम्मीदवारों को अनुचित पक्ष दिया जा सके और 1,244 उम्मीदवारों को योग्य घोषित कर दिया गया।

सीबीआई ने आरोप लगाया कि विशेषज्ञों और जांचकर्ताओं की ओर से हिंदी शॉर्टहैंड टेस्ट और हिंदी टाइप‍िंग परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन और जांच ठीक से नहीं की गई।

जिसके बाद एफआईआर में आरोप लगाया गया है क‍ि उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के दौरान पता चला कि विशेषज्ञों के साथ-साथ जांचकर्ताओं ने उत्तर पुस्तिकाओं की लापरवाही से मूल्यांकन और जांच की। जिसके परिणामस्वरूप अंकों में अनावश्यक बढ़ोत्तरी और कमी हुई।

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