सियासी जमीन मजबूत करने में जुटी BJP, चुनावी तैयारियों का हिस्सा है गोरखपुर मंथन

गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन दिवसीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य पूर्वांचल के विकास का ब्लूप्रिंट तैयार करना है।

Update:2020-12-11 09:44 IST
सियासी जमीन मजबूत करने में जुटी BJP, चुनावी तैयारियों का हिस्सा है गोरखपुर मंथन

लखनऊ: प्रदेश सरकार की ओर से गोरखपुर में पूर्वांचल के समग्र विकास की संभावनाओं पर आयोजित तीन दिवसीय मंथन का राजनीतिक मकसद भी है। इस मंथन के जरिए भाजपा पूर्वांचल में अपनी सियासी जमीन को और मजबूत बनाना चाहती है। उत्तर प्रदेश में दो साल बाद 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में भाजपा पूर्वांचल में अभी से अपनी चुनावी तैयारियों में जुट गई है। गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन दिवसीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य पूर्वांचल के विकास का ब्लूप्रिंट तैयार करना है।

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योगी ने पूर्ववर्ती सरकारों को घेरा

गोरखपुर विश्वविद्यालय और नियोजन विभाग की ओर से आयोजित पूर्वांचल विकास बोर्ड के तीन दिवसीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि चार साल पहले तक यूपी की छवि खराब थी और पूर्वांचल मैं विकास की गति काफी धीमी थी। पूर्ववर्ती सरकारों की गलत धारणा के कारण पूर्वांचल लगातार बिछड़ता गया है जबकि यहां प्रचुर संसाधन हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में पूर्वांचल तरक्की की राह पर आगे बढ़ चला है और हम इसे देश का सबसे समृद्ध क्षेत्र बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने ओडीओपी को घर-घर पहुंचाकर रोजगार से जोड़ने और पर्यटन, विकास व इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में काम करने पर जोर दिया।

पूर्वांचल के विकास की चुनौती स्वीकारी

उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामर्थ्य और क्षमता को पहचानने की कभी कोशिश नहीं की गई है। हमने यहां विकास कराने की चुनौती को स्वीकार किया है। पूर्वांचल में स्प्रिचुअल, ईको, हेरीटेज और टूरिज्म के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और इसी कारण हमने इस दिशा में काम करना शुरू किया है। हम इस इलाके को गरीब और पिछड़ा बताने की मनोवृत्ति को बदलना चाहते हैं।

पीएम मोदी के उतरने से मजबूत हुई भाजपा

दरअसल पीएम मोदी के 2014 में काशी से चुनाव मैदान में उतरने के बाद से पूर्वांचल भाजपा के लिए उर्वर जमीन साबित हो रहा है। जिस पूर्वांचल में कभी भाजपा को सीटों के लाले पड़ जाते थे, वहां की ज्यादातर सीटों पर 2014 के लोकसभा चुनाव 2017 के विधानसभा चुनाव और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों ने बाजी मारी।

2014 के लोकसभा चुनाव के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पीएम मोदी वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। मोदी के पूर्वांचल से चुनाव मैदान में उतरने का भाजपा को काफी सियासी फायदा मिला है।

मंथन के पीछे 2022 का विधानसभा चुनाव

पीएम मोदी के साथ यही सीएम योगी आदित्यनाथ का भी पूर्वांचल से ही रिश्ता है और भाजपा पूर्वांचल में अपनी मजबूत होती सियासी जमीन में किसी दूसरे सियासी दल को दखल नहीं देना चाहती। यही कारण है कि भाजपा की ओर से गोरखपुर मंथन के बहाने पूर्वांचल में अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने की कोशिश की गई है। इसके पीछे कहीं न कहीं 2022 के विधानसभा चुनाव के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी भी है।

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दोनों डिप्टी सीएम सहित कई मंत्री लेंगे हिस्सा

इस तीन दिवसीय सेमिनार राज्य के दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा के साथ ही विभिन्न विभागों के मंत्री भी हिस्सा लेंगे। सियासी जानकारों के मुताबिक गोरखपुर मंथन के जरिए मुख्यमंत्री यह संदेश देना चाहते हैं कि पूर्वाचल के विकास और संभावनाओं की चिंता पूर्ववर्ती सरकारों ने भले न की हो मगर भाजपा सरकार इसके प्रति संवेदनशील है। वे यह भी संदेश देना चाहते हैं कि भाजपा की सरकार जमीनी सच्चाई समझकर योजनाओं को पूरा करने में जुटी हुई है। जानकारों के मुताबिक सच्चाई तो यह है कि इस मंथन के जरिए भाजपा पूर्वांचल में अपनी सियासी जमीन को और मजबूत करने की कोशिश में जुटी हुई है।

अंशुमान तिवारी

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